समावर्तन संस्कार: Difference between revisions
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*'''वेदान्त में''' शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द और ज्योतिषशास्त्रं। | *'''वेदान्त में''' शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द और ज्योतिषशास्त्रं। | ||
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*'''उपागों में''' [[पूर्वमीमांसा]], [[वैशेषिक दर्शन|वैशेषिकशास्त्र]], [[न्याय]] ([[तर्कशास्त्र]]), [[योगशास्त्र]], [[सांख्य दर्शन|सांख्यशास्त्र]] और [[वेदान्तशास्त्र]] आदि। | *'''उपागों में''' [[पूर्वमीमांसा]], [[वैशेषिक दर्शन|वैशेषिकशास्त्र]], [[न्याय]] ([[तर्कशास्त्र]]), [[योगशास्त्र]], [[सांख्य दर्शन|सांख्यशास्त्र]] और [[वेदान्तशास्त्र]] आदि। |
Revision as of 09:32, 30 May 2010
- हिन्दू धर्म संस्कारों में समावर्तन संस्कार द्वादश संस्कार है।
- यह संस्कार विद्याध्ययनं पूर्ण हो जाने पर किया जाता है।
- प्राचीन परम्परा में बारह वर्ष तक आचार्यकुल या गुरुकुल में रहकर विद्याध्ययन परिसमाप्त हो जाने पर आचार्य स्वयं शिष्यों का समावर्तन-संस्कार करते थे।
- उस समय वे अपने शिष्यों को गृहस्थ-सम्बन्धी श्रुतिसम्मत कुछ आदर्शपूर्ण उपदेश देकर गृहस्थाश्रम में प्रवेश के लिए प्रेरित करते थे।
- जिन विद्याओं का अध्ययन करना पड़ता था, वे चारों वेद हैं-
- वेदान्त में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द और ज्योतिषशास्त्रं।
- उपवेद में अथर्ववेद, धनुर्वेद, गान्धर्ववेद, आयुर्वेद आदि।
- ब्राह्मणग्रन्थों में शतपथब्राह्मण, ऐतरेयब्राह्मण, ताण्ड्यब्राह्मण और गोपथब्राह्मण आदि।
- उपागों में पूर्वमीमांसा, वैशेषिकशास्त्र, न्याय (तर्कशास्त्र), योगशास्त्र, सांख्यशास्त्र और वेदान्तशास्त्र आदि।