तबला: Difference between revisions
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Revision as of 10:39, 12 October 2012
thumb|250px|तबला तबला एक वाद्य यंत्र है। आधुनिक काल में गायन, वादन तथा नृत्य की संगति में तबले का प्रयोग होता है। तबले के पूर्व यही स्थान पखावज अथवा मृदंग को प्राप्त था। कुछ दिनों से तबले का स्वतन्त्र-वादन भी अधिक लोक-प्रिय होता जा रहा है। स्थूल रूप से तबले को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है, दाहिना तबला जिसे कुछ लोग दाहिना भी कहते हैं, और बायां अथवा डग्गा ।
- कहा जाता है कि तबला हज़ारों साल पुराना वाद्ययंत्र है किन्तु नवीनतम ऐतिहासिक वर्णन में बताया जाता है कि 13वीं शताब्दी में भारतीय कवि तथा संगीतज्ञ अमीर ख़ुसरो ने पखावज के दो टुकड़े करके तबले का आविष्कार किया।[1]
- तबले दो भागों को क्रमशः तबला तथा डग्गा या डुग्गी कहा जाता है। तबला शीशम की लकड़ी से बनाया जाता है। तबले को बजाने के लिये हथेलियों तथा हाथ की उंगलियों का प्रयोग किया जाता है। तबले के द्वारा अनेकों प्रकार के बोल निकाले जाते हैं।[1]
प्रसिद्ध तबला वादक
तबलावादन के कुछ प्रसिद्ध घराने
- दिल्ली घराना
- लखनऊ घराना
- फ़र्रुखाबाद घराना
- बनारस घराना
- पंजाब घराना[1]
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वीथिका
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- तबले का इतिहास (अंग्रेज़ी)
- The dawn of Indian music in the West: Bhairavi
- Solo Tabla Drumming of North India: Inam Ali Khan
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