भारतीय जन नाट्य संघ: Difference between revisions

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औपनिवेशीकरण, साम्राज्यवाद व फासीवाद के विरोध में ‘इप्टा’ की स्थापना [[25 मई]] [[1943]] को की गयी थी। ‘इप्टा’ का यह नामकरण सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक [[होमी जहाँगीर भाभा]] ने किया था। ऐसे कलाकार जो सामाजिक सरोकारों जुड़े हुए थे और कला के विविध रूपों यथा संगीत, [[नृत्य]], फ़िल्म व रंगकर्म आदि को वृहद मानव कल्याण के परिप्रेक्ष्य में देखते थे, एक-एक कर इप्टा से जुड़ते गये।
औपनिवेशीकरण, साम्राज्यवाद व फासीवाद के विरोध में ‘इप्टा’ की स्थापना [[25 मई]] [[1943]] को की गयी थी। ‘इप्टा’ का यह नामकरण सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक [[होमी जहाँगीर भाभा]] ने किया था। ऐसे कलाकार जो सामाजिक सरोकारों जुड़े हुए थे और कला के विविध रूपों यथा संगीत, [[नृत्य]], फ़िल्म व रंगकर्म आदि को वृहद मानव कल्याण के परिप्रेक्ष्य में देखते थे, एक-एक कर इप्टा से जुड़ते गये।
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इप्टा के सफर में बहुत से नामचीन लोगों ने अपना योगदान दिया है, जिनमें से कुछ नाम [[पं. रविशंकर]], [[हबीब तनवीर]], [[कैफ़ी आज़मी]], शबाना आजमी, [[सलिल चौधरी]], [[शैलेन्द्र]], [[साहिर लुधियानवी]], [[राजेन्द्र रघुवंशी]], [[बलराज साहनी]], [[भीष्म साहनी]], एम. एस. सथ्यू, [[फ़ारुख़ शेख़]], अंजन श्रीवास्तव आदि हैं। अखिल भारतीय स्तर पर 25 मई 1943 को [[बंबई]] (अब [[मुंबई]]) में स्थापित इप्टा की स्वर्ण जयन्ती के अवसर पर [[भारत सरकार]] ने विशेष [[डाक टिकट]] जारी किया। इस समय देशभर में इप्टा की 600 से भी अधिक इकाइयां सक्रिय हैं।
इप्टा के सफर में बहुत से नामचीन लोगों ने अपना योगदान दिया है, जिनमें से कुछ नाम [[पं. रविशंकर]], [[हबीब तनवीर]], [[कैफ़ी आज़मी]], शबाना आजमी, [[सलिल चौधरी]], [[शैलेन्द्र]], [[साहिर लुधियानवी]], [[राजेन्द्र रघुवंशी]], [[बलराज साहनी]], [[भीष्म साहनी]], एम. एस. सथ्यू, [[फ़ारुख़ शेख़]], अंजन श्रीवास्तव आदि हैं। अखिल भारतीय स्तर पर 25 मई 1943 को [[बंबई]] (अब [[मुंबई]]) में स्थापित इप्टा की [[स्वर्ण जयन्ती]] के अवसर पर [[भारत सरकार]] ने विशेष [[डाक टिकट]] जारी किया। इस समय देशभर में इप्टा की 600 से भी अधिक इकाइयां सक्रिय हैं।





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thumb|भारतीय जन नाट्य संघ|150px thumb|भारत सरकार द्वारा जारी डाक टिकट|150px भारतीय जन नाट्य संघ या 'इंडियन पीपुल्स थियेटर एसोसिएशन' अथवा 'इप्टा' (अंग्रेज़ी: Indian People's Theatre Association) कोलकाता में स्थित रंगमंच कर्मियों का एक संघ है। असमपश्चिम बंगाल में इसे ‘भारतीय गण नाट्य संघ’ व आन्ध्र प्रदेश में 'प्रजा नाट्य मंडली' के नाम से जाना जाता है। इसका सूत्र वाक्य है ‘पीपुल्स थियेटर स्टार्स द पीपुल' अर्थात, ‘जनता के रंगमंच की असली नायक जनता है।’ प्रतीक चिन्ह सुप्रसिद्ध चित्रकार चित्त प्रसाद की कृति नगाड़ावादक है, जो संचार के सबसे प्राचीन माध्यम की याद दिलाता है।

स्थापना

औपनिवेशीकरण, साम्राज्यवाद व फासीवाद के विरोध में ‘इप्टा’ की स्थापना 25 मई 1943 को की गयी थी। ‘इप्टा’ का यह नामकरण सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक होमी जहाँगीर भाभा ने किया था। ऐसे कलाकार जो सामाजिक सरोकारों जुड़े हुए थे और कला के विविध रूपों यथा संगीत, नृत्य, फ़िल्म व रंगकर्म आदि को वृहद मानव कल्याण के परिप्रेक्ष्य में देखते थे, एक-एक कर इप्टा से जुड़ते गये।

प्रसिद्ध व्यक्ति

इप्टा के सफर में बहुत से नामचीन लोगों ने अपना योगदान दिया है, जिनमें से कुछ नाम पं. रविशंकर, हबीब तनवीर, कैफ़ी आज़मी, शबाना आजमी, सलिल चौधरी, शैलेन्द्र, साहिर लुधियानवी, राजेन्द्र रघुवंशी, बलराज साहनी, भीष्म साहनी, एम. एस. सथ्यू, फ़ारुख़ शेख़, अंजन श्रीवास्तव आदि हैं। अखिल भारतीय स्तर पर 25 मई 1943 को बंबई (अब मुंबई) में स्थापित इप्टा की स्वर्ण जयन्ती के अवसर पर भारत सरकार ने विशेष डाक टिकट जारी किया। इस समय देशभर में इप्टा की 600 से भी अधिक इकाइयां सक्रिय हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ


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