संग्रहालय: Difference between revisions

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[[चित्र:Indain-museum.jpg|thumb|[[भारतीय संग्रहालय]], [[कोलकाता]]]]
'''संग्रहालय''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Museum'') एक ऐसा संस्थान है जो समाज की सेवा और विकास के लिए जनसामान्य के लिए खोला जाता है और इसमें मानव और पर्यावरण की विरासतों के संरक्षण के लिए उनका संग्रह, शोध, प्रचार या प्रदर्शन किया जाता है जिसका उपयोग शिक्षा, अध्ययन और मनोरंजन के लिए होता है। [[भारत]] में संग्रहालय की अवधारणा अति प्राचीन काल में देखी जा सकती है जिसमें चित्र-शाला (चित्र-दीर्घा) का उल्‍लेख मिलता है। किंतु भारत में संग्रहालय का दौर [[यूरोप]] में इसी प्रकार के विकास के बाद प्रारंभ हुआ।   
'''संग्रहालय''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Museum'') एक ऐसा संस्थान है जो समाज की सेवा और विकास के लिए जनसामान्य के लिए खोला जाता है और इसमें मानव और पर्यावरण की विरासतों के संरक्षण के लिए उनका संग्रह, शोध, प्रचार या प्रदर्शन किया जाता है जिसका उपयोग शिक्षा, अध्ययन और मनोरंजन के लिए होता है। [[भारत]] में संग्रहालय की अवधारणा अति प्राचीन काल में देखी जा सकती है जिसमें चित्र-शाला (चित्र-दीर्घा) का उल्‍लेख मिलता है। किंतु भारत में संग्रहालय का दौर [[यूरोप]] में इसी प्रकार के विकास के बाद प्रारंभ हुआ।   
==पहला संग्रहालय==
==पहला संग्रहालय==

Revision as of 13:58, 4 January 2015

[[चित्र:Indain-museum.jpg|thumb|भारतीय संग्रहालय, कोलकाता]] संग्रहालय (अंग्रेज़ी:Museum) एक ऐसा संस्थान है जो समाज की सेवा और विकास के लिए जनसामान्य के लिए खोला जाता है और इसमें मानव और पर्यावरण की विरासतों के संरक्षण के लिए उनका संग्रह, शोध, प्रचार या प्रदर्शन किया जाता है जिसका उपयोग शिक्षा, अध्ययन और मनोरंजन के लिए होता है। भारत में संग्रहालय की अवधारणा अति प्राचीन काल में देखी जा सकती है जिसमें चित्र-शाला (चित्र-दीर्घा) का उल्‍लेख मिलता है। किंतु भारत में संग्रहालय का दौर यूरोप में इसी प्रकार के विकास के बाद प्रारंभ हुआ।

पहला संग्रहालय

पुरातत्‍व विषय अवशेषों को संग्रहित करने की सबसे पहले 1796 ई. में आवश्‍यकता महसूस की गर्इ जब बंगाल की एशियाटिक सोसायटी ने पुरातत्‍वीय, नृजातीय, भूवैज्ञानिक, प्राणि-विज्ञान दृष्‍टि से महत्‍व रखने वाले विशाल संग्रह को एक जगह पर एकत्र करने की आवश्‍यकता महसूस की। किंतु उनके द्वारा पहला संग्रहालय 1814 में प्रारंभ किया गया। इस एशियाटिक सोसायटी संग्रहालय के नाभिक से ही बाद में भारतीय संग्रहालय, कोलकाता का जन्‍म हुआ। भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण में भी, इसके प्रथम महानिदेशक एलेक्‍जेंडर कनिंघम के समय से प्रारंभ किए गए विभिन्‍न खोजी अन्‍वेषणों के कारण विशाल मात्रा में पुरातत्‍व विषयक अवशेष एकत्रित किए गए। स्‍थल संग्रहालयों का सृजन सर जॉन मार्शल के आने के बाद हुआ, जिन्‍होंने सारनाथ (1904), आगरा (1906), अजमेर (1908), दिल्‍ली क़िला (1909), बीजापुर (1912), नालंदा (1917) तथा सांची (1919) जैसे स्‍थानीय संग्रहालयों की स्‍थापना करना प्रारंभ किया। भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण के एक पूर्व महानिदेशक हरग्रीव्‍स द्वारा स्‍थल-संग्रहालयों की अवधारणा की बड़ी अच्‍छी तरह से व्‍याख्‍या की गई है। 'भारत सरकार की यह नीति रही है कि प्राचीन स्‍थलों से प्राप्‍त किए गए छोटे और लाने एवं लेजा सकने योग्‍य पुरावशेषों को उन खंडहरों के निकट संपर्क में रखा जाए जिससे वे संबंधित है ताकि उनके स्‍वाभाविक वातावरण में उनका अध्‍ययन किया जा सके और स्‍थानांतरित हो जाने के कारण उन पर से ध्‍यान हट नहीं जाए।' मॉर्टिन व्‍हीलर द्वारा 1946 में भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण (ए एस आई) में एक पृथक संग्रहालय शाखा का सृजन किया गया। आज़ादी के बाद, भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण में स्‍थल-संग्रहालयों के विकास में बहुत तेजी आई। वर्तमान में, भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण के नियंत्रणाधीन 41 स्‍थल संग्रहालय हैं। [1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संग्रहालय - Museums (हिंदी) भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण। अभिगमन तिथि: 4 जनवरी, 2015।

बाहरी कड़ियाँ

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