लखनऊ विश्वविद्यालय: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replacement - " महान " to " महान् ")
m (Text replacement - "पश्चात " to "पश्चात् ")
Line 2: Line 2:
'''लखनऊ विश्वविद्यालय''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''University of Lucknow'') [[भारत]] के प्रमुख शैक्षिक-संस्थानों में से एक है। यह विश्वविद्यालय [[उत्तर प्रदेश]] की राजधानी [[लखनऊ]] के समृद्ध [[इतिहास]] को तो प्रदर्शित करता ही है नगर के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से भी एक है। इसका प्राचीन भवन [[स्थापत्य एवं वास्तुकला (सल्तनत काल)|मध्यकालीन भारतीय स्थापत्य]] का सुंदर उदाहरण है। इसमें पढ़ने और पढाने वाले अनेक शिक्षक और विद्यार्थी भारत और विदेश में प्रसिद्धि प्राप्त कर चुके हैं।
'''लखनऊ विश्वविद्यालय''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''University of Lucknow'') [[भारत]] के प्रमुख शैक्षिक-संस्थानों में से एक है। यह विश्वविद्यालय [[उत्तर प्रदेश]] की राजधानी [[लखनऊ]] के समृद्ध [[इतिहास]] को तो प्रदर्शित करता ही है नगर के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से भी एक है। इसका प्राचीन भवन [[स्थापत्य एवं वास्तुकला (सल्तनत काल)|मध्यकालीन भारतीय स्थापत्य]] का सुंदर उदाहरण है। इसमें पढ़ने और पढाने वाले अनेक शिक्षक और विद्यार्थी भारत और विदेश में प्रसिद्धि प्राप्त कर चुके हैं।
==स्थापना और इतिहास==
==स्थापना और इतिहास==
लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना [[18 मार्च]] [[1921]] को [[लखनऊ]] में [[गोमती नदी|गोमती]] के तट पर हुई थी। स्थापना में तत्कालीन संयुक्त प्रान्त के उपराज्यपाल 'सर हरकोर्ट बटलर' तथा [[अवध]] के तालुकेदारों का विशेष योगदान रहा। इससे पूर्व अवध के तालुकेदारों ने [[लार्ड कैनिंग]] की स्मृति में [[27 फरवरी]] [[1864]] को लखनऊ में कैनिंग कालेज के नाम से एक विद्यालय स्थापित करने के लिए पंजीकरण कराया। [[1 मई]] 1864 को कैनिंग कालेज का औपचारिक उद्घाटन अमीनुद्दौला पैलेस में हुआ। प्रारम्भ में 1867 तक कैनिंग कालेज [[कलकत्ता विश्वविद्यालय]] से सम्बद्ध किया गया था। तत्पश्चात [[1888]] में इसे [[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]] से सम्बद्ध किया गया। सन [[1905]] में प्रदेश सरकार ने गोमती की उत्तर दिशा मे लगभग 90 एकड़ का भूखण्ड कालेज को स्थानांतरित किया, जिसे बादशाहबाग के नाम से जाना जाता है। मूलरूप से यह अवध के नवाब नसीरूद्दीन हैदर का निवास स्थान था।
लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना [[18 मार्च]] [[1921]] को [[लखनऊ]] में [[गोमती नदी|गोमती]] के तट पर हुई थी। स्थापना में तत्कालीन संयुक्त प्रान्त के उपराज्यपाल 'सर हरकोर्ट बटलर' तथा [[अवध]] के तालुकेदारों का विशेष योगदान रहा। इससे पूर्व अवध के तालुकेदारों ने [[लार्ड कैनिंग]] की स्मृति में [[27 फरवरी]] [[1864]] को लखनऊ में कैनिंग कालेज के नाम से एक विद्यालय स्थापित करने के लिए पंजीकरण कराया। [[1 मई]] 1864 को कैनिंग कालेज का औपचारिक उद्घाटन अमीनुद्दौला पैलेस में हुआ। प्रारम्भ में 1867 तक कैनिंग कालेज [[कलकत्ता विश्वविद्यालय]] से सम्बद्ध किया गया था। तत्पश्चात् [[1888]] में इसे [[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]] से सम्बद्ध किया गया। सन [[1905]] में प्रदेश सरकार ने गोमती की उत्तर दिशा मे लगभग 90 एकड़ का भूखण्ड कालेज को स्थानांतरित किया, जिसे बादशाहबाग के नाम से जाना जाता है। मूलरूप से यह अवध के नवाब नसीरूद्दीन हैदर का निवास स्थान था।


इसी कैनिंग कालेज के परिसर में 'सैडलर आयोग' के द्वारा लखनऊ में एक आवासीय और अध्यापन विश्वविद्यालय खोलने के प्रस्ताव को तत्कालीन संयुक्त राज्य के उप- राज्यपाल- सर हरकोर्ट बटलर, महमूदाबाद के राजा मुहम्मद अली खान आदि के प्रयासों से [[7 अगस्त]] [[1920]] को इलाहाबाद विश्वविद्यालय की सीनेट ने अतिविशिष्ट बैठक में अपनी सहमति प्रदान की। सहमति के दो महीनों बात [[8 अक्टूबर]] [[1920]]  को [[विधान परिषद]] ने लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना संबधी विधेयक पारित किया, जिसे [[1 नवम्बर]] 1920 को उपराज्यपाल और [[25 नवम्बर]] 1920 को गवर्नर जनरल की मंजूरी मिली। इस समय लखनऊ विश्वविद्यालय में कला, प्राच्यविद्या, विज्ञान, चिकित्सा, विधि और वाणिज्य संकाय संचालित थे। कैनिंग कॉलेज, किंगजार्ज मेडिकल कॉलेज और ईसाबेला थॉबर्न कॉलेज केन्द्र में थे। माननीय श्री ज्ञानेन्द्र नाथ चक्रवर्ती लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति, मेजर टी. एफ. ओ. डॉनेल प्रथम कुल सचिव और श्री ई. ए. एच. ब्लंट प्रथम कोषाध्यक्ष नियुक्त हुए। विश्वविद्यालय कोर्ट की पहली बैठक 21 मार्च 1921 को हुई। [[अगस्त]] से [[सितम्बर]] 1921 के मध्य कार्य परिषद (एक्ज्यूकेटिव काऊंसिल) तथा अकादमिक परिषद का गठन किया गया। सन 1922 में पहला दीक्षान्त समारोह आयोजित किया गया। तब से लेकर आज तक लखनऊ विश्वविद्यालय उत्तरोत्तर उन्नति पथ पर अग्रसर है। सन 1991 से लखनऊ विश्वविद्यालय का द्वितीय परिसर 75 एकड़ भूमि पर सीतापुर रोड पर प्रारम्भ हुआ, जहाँ वर्तमान में विधि तथा प्रबंधन की कक्षाएँ संचालित होती हैं।<ref name="hindivibhaglu">{{cite web |url=http://hindivibhaglu.com/Index.htm |title=लखनऊ विश्वविद्यालय: एक परिचय |accessmonthday=4 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=हिंदी तथा आधुनिक भारतीय भाषा, लखनऊ विश्वविद्यालय |language=हिंदी}}</ref>
इसी कैनिंग कालेज के परिसर में 'सैडलर आयोग' के द्वारा लखनऊ में एक आवासीय और अध्यापन विश्वविद्यालय खोलने के प्रस्ताव को तत्कालीन संयुक्त राज्य के उप- राज्यपाल- सर हरकोर्ट बटलर, महमूदाबाद के राजा मुहम्मद अली खान आदि के प्रयासों से [[7 अगस्त]] [[1920]] को इलाहाबाद विश्वविद्यालय की सीनेट ने अतिविशिष्ट बैठक में अपनी सहमति प्रदान की। सहमति के दो महीनों बात [[8 अक्टूबर]] [[1920]]  को [[विधान परिषद]] ने लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना संबधी विधेयक पारित किया, जिसे [[1 नवम्बर]] 1920 को उपराज्यपाल और [[25 नवम्बर]] 1920 को गवर्नर जनरल की मंजूरी मिली। इस समय लखनऊ विश्वविद्यालय में कला, प्राच्यविद्या, विज्ञान, चिकित्सा, विधि और वाणिज्य संकाय संचालित थे। कैनिंग कॉलेज, किंगजार्ज मेडिकल कॉलेज और ईसाबेला थॉबर्न कॉलेज केन्द्र में थे। माननीय श्री ज्ञानेन्द्र नाथ चक्रवर्ती लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति, मेजर टी. एफ. ओ. डॉनेल प्रथम कुल सचिव और श्री ई. ए. एच. ब्लंट प्रथम कोषाध्यक्ष नियुक्त हुए। विश्वविद्यालय कोर्ट की पहली बैठक 21 मार्च 1921 को हुई। [[अगस्त]] से [[सितम्बर]] 1921 के मध्य कार्य परिषद (एक्ज्यूकेटिव काऊंसिल) तथा अकादमिक परिषद का गठन किया गया। सन 1922 में पहला दीक्षान्त समारोह आयोजित किया गया। तब से लेकर आज तक लखनऊ विश्वविद्यालय उत्तरोत्तर उन्नति पथ पर अग्रसर है। सन 1991 से लखनऊ विश्वविद्यालय का द्वितीय परिसर 75 एकड़ भूमि पर सीतापुर रोड पर प्रारम्भ हुआ, जहाँ वर्तमान में विधि तथा प्रबंधन की कक्षाएँ संचालित होती हैं।<ref name="hindivibhaglu">{{cite web |url=http://hindivibhaglu.com/Index.htm |title=लखनऊ विश्वविद्यालय: एक परिचय |accessmonthday=4 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=हिंदी तथा आधुनिक भारतीय भाषा, लखनऊ विश्वविद्यालय |language=हिंदी}}</ref>

Revision as of 07:33, 7 November 2017

thumb|250px|लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ विश्वविद्यालय (अंग्रेज़ी: University of Lucknow) भारत के प्रमुख शैक्षिक-संस्थानों में से एक है। यह विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के समृद्ध इतिहास को तो प्रदर्शित करता ही है नगर के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से भी एक है। इसका प्राचीन भवन मध्यकालीन भारतीय स्थापत्य का सुंदर उदाहरण है। इसमें पढ़ने और पढाने वाले अनेक शिक्षक और विद्यार्थी भारत और विदेश में प्रसिद्धि प्राप्त कर चुके हैं।

स्थापना और इतिहास

लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना 18 मार्च 1921 को लखनऊ में गोमती के तट पर हुई थी। स्थापना में तत्कालीन संयुक्त प्रान्त के उपराज्यपाल 'सर हरकोर्ट बटलर' तथा अवध के तालुकेदारों का विशेष योगदान रहा। इससे पूर्व अवध के तालुकेदारों ने लार्ड कैनिंग की स्मृति में 27 फरवरी 1864 को लखनऊ में कैनिंग कालेज के नाम से एक विद्यालय स्थापित करने के लिए पंजीकरण कराया। 1 मई 1864 को कैनिंग कालेज का औपचारिक उद्घाटन अमीनुद्दौला पैलेस में हुआ। प्रारम्भ में 1867 तक कैनिंग कालेज कलकत्ता विश्वविद्यालय से सम्बद्ध किया गया था। तत्पश्चात् 1888 में इसे इलाहाबाद विश्वविद्यालय से सम्बद्ध किया गया। सन 1905 में प्रदेश सरकार ने गोमती की उत्तर दिशा मे लगभग 90 एकड़ का भूखण्ड कालेज को स्थानांतरित किया, जिसे बादशाहबाग के नाम से जाना जाता है। मूलरूप से यह अवध के नवाब नसीरूद्दीन हैदर का निवास स्थान था।

इसी कैनिंग कालेज के परिसर में 'सैडलर आयोग' के द्वारा लखनऊ में एक आवासीय और अध्यापन विश्वविद्यालय खोलने के प्रस्ताव को तत्कालीन संयुक्त राज्य के उप- राज्यपाल- सर हरकोर्ट बटलर, महमूदाबाद के राजा मुहम्मद अली खान आदि के प्रयासों से 7 अगस्त 1920 को इलाहाबाद विश्वविद्यालय की सीनेट ने अतिविशिष्ट बैठक में अपनी सहमति प्रदान की। सहमति के दो महीनों बात 8 अक्टूबर 1920 को विधान परिषद ने लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना संबधी विधेयक पारित किया, जिसे 1 नवम्बर 1920 को उपराज्यपाल और 25 नवम्बर 1920 को गवर्नर जनरल की मंजूरी मिली। इस समय लखनऊ विश्वविद्यालय में कला, प्राच्यविद्या, विज्ञान, चिकित्सा, विधि और वाणिज्य संकाय संचालित थे। कैनिंग कॉलेज, किंगजार्ज मेडिकल कॉलेज और ईसाबेला थॉबर्न कॉलेज केन्द्र में थे। माननीय श्री ज्ञानेन्द्र नाथ चक्रवर्ती लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति, मेजर टी. एफ. ओ. डॉनेल प्रथम कुल सचिव और श्री ई. ए. एच. ब्लंट प्रथम कोषाध्यक्ष नियुक्त हुए। विश्वविद्यालय कोर्ट की पहली बैठक 21 मार्च 1921 को हुई। अगस्त से सितम्बर 1921 के मध्य कार्य परिषद (एक्ज्यूकेटिव काऊंसिल) तथा अकादमिक परिषद का गठन किया गया। सन 1922 में पहला दीक्षान्त समारोह आयोजित किया गया। तब से लेकर आज तक लखनऊ विश्वविद्यालय उत्तरोत्तर उन्नति पथ पर अग्रसर है। सन 1991 से लखनऊ विश्वविद्यालय का द्वितीय परिसर 75 एकड़ भूमि पर सीतापुर रोड पर प्रारम्भ हुआ, जहाँ वर्तमान में विधि तथा प्रबंधन की कक्षाएँ संचालित होती हैं।[1]

विभाग

लखनऊ विश्वविद्यालय में कला, विज्ञान, वाणिज्य, शिक्षा, ललित कला, विधि और आयुर्वेद सात संकायों से सम्बद्ध, 51 विभाग हैं। इन संकायों मे लगभग 196 पाठ्यक्रम संचालित है, जिसमें 70 से अधिक व्यावसायिक पाठ्यक्रम स्ववित्तपोषित योजना में संचालित हैं। यहाँ वर्तमान में 38,000 के लगभग छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। सम्प्रति 72 महाविद्यालय, विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हैं। जहाँ स्नातक स्तर पर शिक्षा प्रदान की जाती है। कुछ महाविद्यालयों को परास्नातक कक्षायें चलाने की भी अनुमति प्राप्त है। यहाँ शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की संख्या लगभग 80,000 है। लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में शोध की उच्चस्तरीय सुविधाएँ उपलब्ध हैं।[1]

केन्द्रीय पुस्तकालय

शिक्षकों, शोधार्थियों एवं सामान्य छात्रों के लिए विभिन्न विभागीय पुस्तकालयों के अतिरिक्त दो केन्द्रीय पुस्तकालय हैं- कोऑपरेटिव लैण्डिंग लाइब्रेरी और टैगोर पुस्तकालय। टैगोर पुस्तकालय भारत के प्रतिष्ठित पुस्तकालयों में से एक माना जाता है। यहाँ लगभग 5.25 लाख पुस्तकें तथा 10,000 शोध ग्रन्थ उपलब्ध हैं। पुस्तकालय में लगभग 50,000 शोध पत्रिकाएँ और पाण्डुलिपियाँ उपलब्ध हैं। यह पुस्तकालय लखनऊ विश्वविद्यालय की वेबसाईट के द्वारा भली-भाँति जुड़कर कम्प्यूटररीकृत हो रहा है।[1]

छात्रावास

विश्वविद्यालय में शिक्षकों, कर्मचारियों के लिए आवास के साथ-साथ छात्रों के लिए 14 छात्रावास हैं। 9 छात्रों के लिए तथा 5 छात्राओं के लिए हैं। 1 अन्तर्राष्ट्रीय छात्रावास पुराने परिसर में आचार्य नरेन्द्रदेव की स्मृति में है तथा 1 अन्तर्राट्रीय छात्रावास विदेशी छात्रों के लिए नए परिसर में भी हैं। इसके अतिरिक्त नगर में इससे संबद्ध 15 महाविद्यालय भी हैं।

सुविधाएँ

खिलाड़ियों को खेलकूद की सुविधा प्रदान करने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय एथेलेटिक एशोसिएशन का गठन किया गया है। इसके अन्तर्गत एथलेटिक, हॉकी, फुटबॉल, क्रिकेट, बास्केटबॉल, बालीबॉल, तैराकी एवं नौकायन, जिमनास्टिक, कबड्डी आदि क्लब हैं, जो छात्रों की खेल प्रतिभा को बढाने का कार्य करते हैं। खेलकूद में भी विश्वविद्यालय के छात्रों का राष्ट्रीय तथा अन्तराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व रहा है। महान् हॉकी खिलाड़ी बाबू के. डी. सिंह बाबू ओलम्पिक से लेकर वर्तमान क्रिकेट खिलाड़ी - सुरेश रैना और आर. पी. सिंह यहाँ के विद्यार्थी रहे हैं।

सांस्कृतिक कार्यक्रम

छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए नेशनल कैडेड कोर की थल, जल, वायु कमान तथा राष्ट्रीय सेवा योजना की शाखायें भी विश्वविद्यालय में हैं। इसके अतिरिक्त लखनऊ विश्वविद्यालय सांस्कृतिक समिति द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन समय-समय पर किया जाता है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा शिक्षकों को प्रशिक्षित करने एवं नवीनतम जानकारी उपलब्ध कराने के लिए 1988 में अकादमिक स्टॉफ कॉलेज की परिसर में स्थापना की गई। लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रों ने अन्तर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। भारत के उत्कृष्ट पुरस्कारों में से 2 पद्म विभूषण, 4 पद्मभूषण, एवं 18 पद्मश्री पुरस्कारों के साथ-साथ बी. सी. राय और शान्तिस्वरूप भट्नागर पुरस्कार भी यहाँ के छात्रों ने प्राप्त किये हैं। लोकप्रिय चलचित्र (फ़िल्म) 'ओंकारा’, राजपाल यादव और रितुपर्णा सेनगुप्ता अभिनीत ‘मैं, मेरी पत्नी और वो’ एवं पंकज कपूर की फ़िल्म ‘कहाँ कहाँ से गुजर गया’ की शूटिंग के लिए इस विश्वविद्यालय के परिसर का उपयोग किया गया है।[1]

प्रसिद्ध व्यक्ति

भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा, योजना आयोग के पूर्व अक्ष्यक्ष- श्री के. सी. पंत, पूर्व मुख्य न्यायधीश-श्री ए. एस. आनन्द, पूर्व राज्यपाल - श्री सुरजीत सिंह बरनाला (तमिलनाडु), श्री सैयद सिब्ते रजी (झारखंड) के अतिरिक्त अनेक पत्रकार, साहित्यकार, वैज्ञानिक, कलाकार, चिकित्सक एवं प्रशासनिक आधिकारी यहाँ के छात्र रहे है। गर्व का विषय है कि प्रो. टी. एन. मजूमदार, प्रो. डी. पी. मुखर्जी, प्रो. कैमरॉन, प्रो. बीरबल साहनी, प्रो. राधाकमल मुखर्जी, प्रो. राधाकुमुद मुखजी, प्रो. सिद्धान्त, आचार्य नरेन्द्र देव,प्रो. काली प्रसाद, डा. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल, प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित, रमेश कुन्तल मेघ, प्रो. शंकरलाल यादव आदि विद्वानों ने अपने ज्ञान के आलोक से लखनऊ विश्वविद्यालय को प्रकाशित किया है। विश्वविद्यालय में समय-समय पर अनेक अन्तर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय संगोष्ठियॉ आयोजित की जाती हैं। सन् 2002 में राष्ट्रीय विज्ञान काँग्रेस का आयोजन भी एक विशेष उपलब्धि है जिसमें भारत रत्न से विभूषित, भारत के राष्ट्रपति महामहिम श्री ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी, राज्यपाल - श्री विष्णुकान्त शास्त्री के साथ अनेक अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिलब्ध वैज्ञानिको ने सहभागिता की थी। सम्प्रति, लखनऊ विश्वविद्यालय को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की कमेटी ने सर्वांगीण क्षेत्रों में गुणवत्ता के लिए 'फोर स्टार' प्रदान किये हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 लखनऊ विश्वविद्यालय: एक परिचय (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) हिंदी तथा आधुनिक भारतीय भाषा, लखनऊ विश्वविद्यालय। अभिगमन तिथि: 4 दिसम्बर, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख