भारत कला भवन, वाराणसी: Difference between revisions

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'''भारत कला भवन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Bharat Kala Bhavan'') [[वाराणसी]] (वर्तमान [[बनारस]]), [[उत्तर प्रदेश]] में स्थित है। इसकी स्थापना [[1920]] में हुयी थी। यहां के कई चित्रों से, 15वीं व 16वीं सदी में [[काशी]] में कृष्ण पंथ के होने की पुष्टि होती है। [[मुग़ल|मुग़लों]] व अन्य शासकों के समय की चित्रकारी के नमूने भी बड़ी मात्रा में भारत कला भवन में हैं। यह कला भवन [[काशी हिन्दू विश्वविद्यालय]] के प्रांगण में स्थित एक चित्रशाला है। यह [[एशिया]] का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय संग्रहालय है।


*भारतीय चित्रकला के विषय में यदि कोई भी विद्वान, शोधकर्ता या कलाविद गहन अध्ययन करना चाहे तो यह बात निश्चित रूप से कही जा सकती है कि उसे वाराणसी में स्थित 'भारत कला भवन' के चित्र संग्रह का अवलोकन करना ही होगा।
*भारतीय चित्रकला के विषय में यदि कोई भी विद्वान, शोधकर्ता या कलाविद गहन अध्ययन करना चाहे तो यह बात निश्चित रूप से कही जा सकती है कि उसे वाराणसी में स्थित 'भारत कला भवन' के चित्र संग्रह का अवलोकन करना ही होगा।

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भारत कला भवन (अंग्रेज़ी: Bharat Kala Bhavan) वाराणसी (वर्तमान बनारस), उत्तर प्रदेश में स्थित है। इसकी स्थापना 1920 में हुयी थी। यहां के कई चित्रों से, 15वीं व 16वीं सदी में काशी में कृष्ण पंथ के होने की पुष्टि होती है। मुग़लों व अन्य शासकों के समय की चित्रकारी के नमूने भी बड़ी मात्रा में भारत कला भवन में हैं। यह कला भवन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रांगण में स्थित एक चित्रशाला है। यह एशिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय संग्रहालय है।

  • भारतीय चित्रकला के विषय में यदि कोई भी विद्वान, शोधकर्ता या कलाविद गहन अध्ययन करना चाहे तो यह बात निश्चित रूप से कही जा सकती है कि उसे वाराणसी में स्थित 'भारत कला भवन' के चित्र संग्रह का अवलोकन करना ही होगा।
  • भारत में प्रचलित लगभग समस्त शैलियों के चित्रों का विशाल संग्रह इस संग्रहालय में है। यहाँ का चित्र संग्रह, विशेषकर लघुचित्रों का विश्व में अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है।
  • भारत कला भवन की स्थापना सन् 1920 में हुई थी। विख्यात कला मर्मज्ञ तथा कलाविद पद्मविभूषण राय कृष्णदास 'भारत कला भवन' संग्रहालय के संस्थापक थे। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन 'भारत कला भवन' के लिए संग्रह हेतु समर्पित कर दिया। उनके जीवन का यही समर्पण और आत्मविश्वास आज 'भारत कला भवन' के रूप में काशी हिंदू विश्वविद्यालय को गौरवान्वित कर रहा है।
  • विभिन्न कला कृतियों के संयोजन में तो राय कृष्णदास की अभिरुचि थी ही, किंतु भारतीय चित्रों के संकलन के प्रति उनकी आत्मीय आस्था थी। यही कारण है कि 'भारत कला भवन' न केवल राष्ट्रीय स्तर पर अपितु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लघुचित्रों के संग्रह में अपना एक निजस्व रखता है।
  • इस संग्रहालय में लगभग बारह हज़ार विभिन्न शैलियों के चित्र संकलित हैं। इन सभी चित्रों की अपनी पृथक तथा रोमांचक कहानियाँ हैं।


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