बैंगन: Difference between revisions
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*[[सफ़ेद रंग|सफेद]] बैंगन बवासीर वाले रोगी के लिए विशेष फ़ायदेमंद होता है।<ref>{{cite web |url=http://www.jkhealthworld.com/detail.php?id=1135 |title=बैंगन (Eggplant) |accessmonthday=[[26 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=जनकल्याण |language=हिन्दी }}</ref> | *[[सफ़ेद रंग|सफेद]] बैंगन बवासीर वाले रोगी के लिए विशेष फ़ायदेमंद होता है।<ref>{{cite web |url=http://www.jkhealthworld.com/detail.php?id=1135 |title=बैंगन (Eggplant) |accessmonthday=[[26 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=जनकल्याण |language=हिन्दी }}</ref> | ||
==बैंगन से होने वाले नुक़सान== | ==बैंगन से होने वाले नुक़सान== | ||
*ज़्यादा बीज वाले बैंगन और नर्म कुम्हडा | *ज़्यादा बीज वाले बैंगन और नर्म कुम्हडा ज़हर रूप माना जाता है। | ||
*बैंगन पेट में बादी पैदा करता है और बवासीर को बढ़ाता है। | *बैंगन पेट में बादी पैदा करता है और बवासीर को बढ़ाता है। | ||
*बैंगन नींद लाता है, खाँसी पैदा करता है, कफ (बलगम) और सांस को बढ़ाता है तथा लम्बा बैंगन श्रेष्ठ होता है। | *बैंगन नींद लाता है, खाँसी पैदा करता है, कफ (बलगम) और सांस को बढ़ाता है तथा लम्बा बैंगन श्रेष्ठ होता है। |
Revision as of 10:21, 12 February 2011
बैंगन एक लोकप्रिय सब्ज़ी है। बैंगन का जन्म स्थान भारत ही है। बैंगन का वानस्पतिक नाम सोलेनम मेलान्जिना है और अंग्रेज़ी भाषा में बैंगन को ब्रिंजल कहा जाता है। बैंगन जितना कोमल और मुलायम होते हैं, उतने ही ज़्यादा गुण वाले और बलवर्धक माने जाते हैं। यह तब उगाया जाना चाहिए जब कि रोजाना का ओसत तापमान 22-30 की श्रेणी में हो, बैंगन बहुत ज़्यादा गर्म और सूखे मौसम को बर्दाशत नहीं कर पाता है। बैंगन गर्म जलवायु का पौधा होता है तथा पाला सहन करने की क्षमता कम होती है।[1] बैंगन की लोकप्रियता स्वाद और गुण के नज़र से ठंडी के मौसम तक ही रहती है। इसलिए पूरे सर्दी के मौसम की सब्जी-भाजियों में बैंगन को राजा के रूप में माना जाता है। गर्मी के महीनों में इसका स्वाद भी बदल जाता है। बैंगन की उन्नत किस्मों को फलों के आकार के अनुसार निम्न दो भागों में विभक्त किया जाता है:- लम्बा बैंगन और गोल बैंगन[2]
उत्पत्ति
बैंगन की उत्पत्ति सम्भवतः भारत के उष्ण कटिबंधी प्रदेशों में हुई हमारे देश में इसकी खेती प्राचीन काल से हो रही है। पुराने ग्रन्थों में इसका उल्लेख लगभग पाँचवी शताब्दी में मिलता है। बैंगन अभी भी भारत के कुछ क्षेत्रों में जगंली रूप से उगता हुआ पाया जाता है। चीन में इसकी खेती का उल्लेख 1500 वर्ष से भी पूर्व मिलता है।[3]
बैंगन के फ़ायदे
- बैंगन हृदय को शक्ति देता है।
- पेट में गैस बनती हो तो ताजा़ लम्बे बैंगन की सब्जी जब तक मौसम में बैंगन रहे, खाते रहे। इससे गैस की बीमारी दूर हो जाएगी।
- बैंगन मधुमेह में औषधि का आर्य करता है।
- आंबा हल्दी के साथ इसको सेंक कर इसका सेंक देना चोट को लाभकारी होता है।
- कफ (बलगम) प्रकृतिवालों और समप्रकृति वालों के लिये भी सर्दी के मौसम में बैंगन का सेवन गुणकारी है।
- बैंगन कड़वा, रुचि को बढ़ाने वाला, मधुर होता है अथवा पित्त को पैदा करता है, बल को बढ़ाता है और धातु (वीर्य) को बढ़ाता है।
- यह दिल के रोगों और वात रोगों में फ़ायदेमंद है।
- कच्चा बैंगन कफ (बलगम), पित्त को खत्म करता है।
- पक्का बैंगन क्षार युक्त, पित्त को शांत करने वाला, मध्यम बैंगन त्रिदोष नाशक, रक्त-पित्त को निर्मल करने वाला होता है।
- आग पर भूना हुआ बैंगन का भर्ता पित्त को शांत करता है तथा वात और पित्त रोगों को खत्म करता है।
- सफेद बैंगन बवासीर वाले रोगी के लिए विशेष फ़ायदेमंद होता है।[4]
बैंगन से होने वाले नुक़सान
- ज़्यादा बीज वाले बैंगन और नर्म कुम्हडा ज़हर रूप माना जाता है।
- बैंगन पेट में बादी पैदा करता है और बवासीर को बढ़ाता है।
- बैंगन नींद लाता है, खाँसी पैदा करता है, कफ (बलगम) और सांस को बढ़ाता है तथा लम्बा बैंगन श्रेष्ठ होता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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