वासुदेव (कुषाण): Difference between revisions

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Revision as of 04:51, 7 September 2011

  • हुविष्क के बाद वासुदेव कुषाण साम्राज्य का स्वामी बना।
  • उसके सिक्कों पर शिव और नंदी की प्रतिमाएँ अंकित हैं।
  • यवनों आदि के विदेशी देवताओं से अंकित उसके कोई सिक्के उपलब्ध नहीं हुए। इससे सूचित होता है, कि उसने प्राचीन हिन्दू धर्म को पूर्ण रूप से अपना लिया था। उसका वासुदेव नाम भी इसी बात का निर्देश करता है।
  • ऐसा प्रतीत होता है कि राजा वासुदेव के शासन काल में कुषाण साम्राज्य की शक्ति क्षीण होनी शुरू हो गई थी।
  • उत्तरापथ में इस समय अनेक ऐसी राजशक्तियों का प्रादुर्भाव हुआ, जिन्होंने कुषाणों के गौरव का अन्त कर अपनी शक्ति का विकास किया था।
  • हुविष्क के शासन काल में ही दक्षिणापथ में शकों ने एक बार फिर अपना उत्कर्ष किया था।
  • रुद्रदामा के नेतृत्व में शक लोग एक बार फिर दक्षिणापथ की प्रधान राजशक्ति बन गए।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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