हवा महल जयपुर: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "मुगल " to "मुग़ल ") |
||
Line 34: | Line 34: | ||
|पाठ 1=लाल चंद उस्ताद | |पाठ 1=लाल चंद उस्ताद | ||
|शीर्षक 2=स्थापत्य शैली | |शीर्षक 2=स्थापत्य शैली | ||
|पाठ 2=[[वास्तुकला|राजपूत वास्तुकला]] और [[वास्तुकला| | |पाठ 2=[[वास्तुकला|राजपूत वास्तुकला]] और [[वास्तुकला|मुग़ल वास्तुकला]] | ||
|अन्य जानकारी=यह मूल रूप से शाही परिवार की महिलाओं को शहर के दैनिक जीवन और जलसों को देखने के लिए बनवाया गया था। | |अन्य जानकारी=यह मूल रूप से शाही परिवार की महिलाओं को शहर के दैनिक जीवन और जलसों को देखने के लिए बनवाया गया था। | ||
|बाहरी कड़ियाँ= | |बाहरी कड़ियाँ= |
Revision as of 10:52, 8 December 2011
हवा महल जयपुर
| |||
विवरण | राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर की पहचान माना जाने वाला हवा महल पाँच मंजिला भवन है। | ||
राज्य | राजस्थान | ||
ज़िला | जयपुर | ||
निर्माता | महाराजा सवाई प्रताप सिंह | ||
स्थापना | 1799 | ||
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 26° 55' 25.00", पूर्व- 75° 49' 36.00" | ||
मार्ग स्थिति | जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 से 1.8 किमी की दूरी पर हवा महल स्थित है। | ||
प्रसिद्धि | भवन में 152 खिड़कियाँ व जालीदार छज्जे हैं यह भवन राजपूत व मुग़ल कला का शानदार नमूना है इसमें बनाए गए अनगिनत हवादार झरोखों के कारण इसका नाम हवा महल पड़ा। | ||
कब जाएँ | अक्टूबर से मार्च | ||
कैसे पहुँचें | हवाई जहाज़, रेल, बस आदि | ||
हवाई अड्डा | संगनेर हवाई अड्डा | ||
रेलवे स्टेशन | जयपुर जक्शन | ||
बस अड्डा | सिन्धी कैम्प, घाट गेट | ||
यातायात | साइकिल-रिक्शा, ऑटो-रिक्शा, मीटर-टैक्सी, सिटी बस | ||
कहाँ ठहरें | होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह | ||
एस.टी.डी. कोड | 0141 | ||
ए.टी.एम | लगभग सभी | ||
चित्र:Map-icon.gif | गूगल मानचित्र | ||
संबंधित लेख | जन्तर मन्तर, अल्बर्ट हॉल संग्रहालय, जल महल, जयगढ़ क़िला | वास्तुकार | लाल चंद उस्ताद |
स्थापत्य शैली | राजपूत वास्तुकला और मुग़ल वास्तुकला | ||
अन्य जानकारी | यह मूल रूप से शाही परिवार की महिलाओं को शहर के दैनिक जीवन और जलसों को देखने के लिए बनवाया गया था। | ||
अद्यतन | 15:28, 11 नवम्बर 2011 (IST)
|
- राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर की पहचान माना जाने वाला हवा महल कई स्तरों पर बना हुआ महल है।
- इसका निर्माण सवाई प्रताप सिंह (सवाई जयसिंह के पौत्र और सवाई माधोसिंह के पुत्र) ने 1799 ए. डी. में कराया था और श्री लाल चंद उस्ता इसके वास्तुकार थे।
- महल का निर्माण महाराज सवाई प्रताप सिहं ने सिर्फ़ इसलिये करवाया था ताकि रानियाँ व राजकुमारियाँ विशेष मोकों पर निकलने वाले जुलूस व शहर आदि को देख सकें।
- शहर की चारदीवारी के बीच स्थित इस ख़ूबसूरत भवन में 152 खिड़कियाँ व जालीदार छज्जे हैं यह भवन राजपूत व मुग़ल कला का शानदार नमूना है इसमें बनाए गए अनगिनत हवादार झरोखों के कारण इसका नाम हवा महल पड़ा।
- मधुमक्खी के छत्ते जैसी संरचना के लिए प्रसिद्ध, हवा महल लाल और गुलाबी सेंड स्टोन से मिल जुल कर बनाया गया है, जिसमें सफ़ेद किनारी और मोटिफ के साथ बारीकी से पच्चीकारी की गई है।
- यह भवन पाँच मंजिला है, जो पुराने शहर की मुख्य सड़क पर दिखाई देता है और यह राजपूत कलाकारी का एक चौंका देने वाला नमूना है।
- जिसमें गुलाबी रंग के अष्ट भुजाकार और बारीकी से मधुमक्खी के छत्ते के समान बनाई गई सेंड स्टोन की खिड़कियाँ हैं।
- यह मूल रूप से शाही परिवार की महिलाओं को शहर के दैनिक जीवन और जलसों को देखने के लिए बनवाया गया था।
[[चित्र:Hawa-Mahal-1.jpg|left|250px|thumb|हवा महल, जयपुर]]
|
|
|
|
|