देवगढ़, राजस्थान: Difference between revisions
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देवगढ़ में चूड़ावतों के पूर्वज मेवाड़ के उत्तराधिकारी कुमार चूंडा ने अपने [[पिता]] के मारवाड़ की राजकुमारी के साथ [[विवाह]] कर लेने पर अपना राज्याधिकार [[भीष्म]] के समान ही त्याग दिया था। उसने अपने सौतेले भाई 'मुकुल' की उसके मातामह [[जोधपुर]] नरेश रनमल के [[मेवाड़]] पर आक्रमण करने के समय सहायता भी की थी। चूंडा ने अपनी प्रथम राजधानी देवगढ़ में बनाई थी। बाद में उनका अधिकार [[मंडौर जोधपुर|मंडोर]] पर भी हो गया था। | देवगढ़ में चूड़ावतों के पूर्वज मेवाड़ के उत्तराधिकारी कुमार चूंडा ने अपने [[पिता]] के [[मारवाड़]] की राजकुमारी के साथ [[विवाह]] कर लेने पर अपना राज्याधिकार [[भीष्म]] के समान ही त्याग दिया था। उसने अपने सौतेले भाई 'मुकुल' की उसके मातामह [[जोधपुर]] नरेश रनमल के [[मेवाड़]] पर आक्रमण करने के समय सहायता भी की थी। चूंडा ने अपनी प्रथम राजधानी देवगढ़ में बनाई थी। बाद में उनका अधिकार [[मंडौर जोधपुर|मंडोर]] पर भी हो गया था। | ||
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चित्र:Disamb2.jpg देवगढ़ | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- देवगढ़ |
[[चित्र:Devgarh.jpg|thumb|250px|देवगढ़, राजस्थान]] देवगढ़ उदयपुर ज़िला, राजस्थान का एक ऐतिहासिक नगर है। यह कुंभलगढ़ से 4 मील (लगभग 6.4 कि.मी.) की दूरी पर स्थित है। पहले देवगढ़ चूड़ावत सरदारों की राजधानी हुआ करता था।
इतिहास
देवगढ़ में चूड़ावतों के पूर्वज मेवाड़ के उत्तराधिकारी कुमार चूंडा ने अपने पिता के मारवाड़ की राजकुमारी के साथ विवाह कर लेने पर अपना राज्याधिकार भीष्म के समान ही त्याग दिया था। उसने अपने सौतेले भाई 'मुकुल' की उसके मातामह जोधपुर नरेश रनमल के मेवाड़ पर आक्रमण करने के समय सहायता भी की थी। चूंडा ने अपनी प्रथम राजधानी देवगढ़ में बनाई थी। बाद में उनका अधिकार मंडोर पर भी हो गया था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 443 |