देवकी का बेटा -रांगेय राघव: Difference between revisions

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*लेखक ने उपन्यास में कृष्ण को एक महान पुरूषार्थी, त्यागी, कर्मठ और जीवन को एक विशिष्ट मोड़ देने वाले एक सामान्य मनुष्य के रूप में चित्रित किया है।
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*'देवकी का बेटा' में समय के धुंधलके और कुहासे से ढके एक महान ऐतिहासिक पुरूष के चरित्र को बहुत ही स्पष्ट, यथार्थसंगत और प्रामाणिक रूप में चित्रित किया गया है।
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Revision as of 07:57, 23 January 2013

देवकी का बेटा -रांगेय राघव
लेखक रांगेय राघव
प्रकाशक राजपाल एंड संस
प्रकाशन तिथि 22 अगस्त, 2002
ISBN 81-7028-383-3
देश भारत
पृष्ठ: 130
भाषा हिन्दी
प्रकार उपन्यास

देवकी का बेटा हिन्दी के प्रसिद्धि प्राप्त साहित्यकार और उपन्यासकार रांगेय राघव द्वारा लिखा गया उपन्यास है। इस उपन्यास का प्रकाशन 'राजपाल एंड संस' ने किया था। यह 22 अगस्त, 2002 को प्रकाशित हुआ। अपने उपन्यास "देवकी का बेटा" में राघव जी ने जननायक श्रीकृष्ण का चरित्र ऐतिहासिक दृष्टि से प्रस्तुत किया है।

  • रांगेय राघव ने विशिष्ट काव्य कलाकारों और महापुरुषों के जीवन पर आधारित उपन्यासों की एक माला लिखकर साहित्य की एक बड़ी आवश्यकता को पूर्ण किया है।
  • इस उपन्यास में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के साथ संबद्ध अनेकानेक अलौकिक घटनाओं को लेखक ने वैज्ञानिक कसौटी पर रखकर उन सबका संगत अर्थ दिया है।
  • लेखक ने उपन्यास में कृष्ण को एक महान पुरूषार्थी, त्यागी, कर्मठ और जीवन को एक विशिष्ट मोड़ देने वाले एक सामान्य मनुष्य के रूप में चित्रित किया है।
  • 'देवकी का बेटा' में समय के धुंधलके और कुहासे से ढके एक महान ऐतिहासिक पुरूष के चरित्र को बहुत ही स्पष्ट, यथार्थसंगत और प्रामाणिक रूप में चित्रित किया गया है।


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