अभियांत्रिकी उद्योग: Difference between revisions
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[[भारत]] में रेलवे से सम्बन्धित उपकरणों को बनाने में आत्मनिर्भरता प्राप्त कर ली गयी है। इससे सम्बन्धित पहली कम्पनी [[झारखण्ड]] के सिंहभूमि ज़िलें में 'पेनिन्सुलर लोकोमोटिव कम्पनी' के नाम से [[1921]] में स्थापित की गयी थी। इसको [[1945]] में टाटा समूह ने | [[भारत]] में रेलवे से सम्बन्धित उपकरणों को बनाने में आत्मनिर्भरता प्राप्त कर ली गयी है। इससे सम्बन्धित पहली कम्पनी [[झारखण्ड]] के सिंहभूमि ज़िलें में 'पेनिन्सुलर लोकोमोटिव कम्पनी' के नाम से [[1921]] में स्थापित की गयी थी। इसको [[1945]] में टाटा समूह ने ख़रीद कर 'टाटा इंजीनियरिंग एण्ड लोकोमोटिव कम्पनी' (टेल्को) का नाम दिया। [[1950]] में [[पश्चिम बंगाल]] राज्य के मिहीजाम नामक स्थान पर चितरंजन लोकोमोटिव वक्र्स की स्थापना की गयी। यहाँ [[1961]] से बिजली के इंजन बनाये जाने लगे हैं। [[1961]] में डीजल लोकोमोटिव वक्र्स, मडुआडीह ([[वाराणसी]]) की स्थापना हुई। यहाँ रेल के डीजल इंजन बनाये जाने जाते हैं। | ||
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भारत में जलयान निर्माण का पहला कारख़ाना [[1941]] में मे. सिन्धिया स्टीम नेवीगेशन कं. द्वारा [[विशाखापत्तनम]] में स्थापित किया गया। [[1952]] में सरकार द्वारा इसका अधिग्रहण करके 'हिन्दुस्तान शिपयार्ड विशाखापत्तनम' नाम दिया गया। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक क्षेत्र में 3 इकाइयाँ जलयानों का निर्माण करती हैं- | भारत में जलयान निर्माण का पहला कारख़ाना [[1941]] में मे. सिन्धिया स्टीम नेवीगेशन कं. द्वारा [[विशाखापत्तनम]] में स्थापित किया गया। [[1952]] में सरकार द्वारा इसका अधिग्रहण करके 'हिन्दुस्तान शिपयार्ड विशाखापत्तनम' नाम दिया गया। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक क्षेत्र में 3 इकाइयाँ जलयानों का निर्माण करती हैं- |
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अभियांत्रिकी उद्योग या इंजीनियरिंग उद्योग के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के धातुओं एवं अन्य निर्माण उद्योगों में काम आने वाली मशीनों तथा यन्त्रों का निर्माण किया जाता है। इसके सामान्यतः दो उपविभाग हैं- भारी मशीन का इंजीनियरिंग उद्योग तथा हल्की मशीनों का इंजीनियरिंग उद्योग। भारी मशीनों का निर्माण करने वाली प्रमुख औद्योगिक इकाइयाँ निम्नलिखित हैं-
भारी इंजीनियरिंग निगम लिमिटेड
'भारी इंजीनियरिंग निगम लिमिटेड राँची' की स्थापना 1958 में की गई। इसके अधीन 3 इकाईयां कार्यरत हैं।
- पूर्व सोवियत संघ के सहयोग से स्थापित भारी मशीनों के निर्माण का कारख़ाना
- फाउण्ड्री फोर्ज लिमिटेड (चेकोस्लोवाकिया के सहयोग से निर्मित)
- भारी मशीन औजार बनाने का कारख़ाना।
खनन एवं सम्बद्ध मशीनरी निगम लिमिटेड
खनन एवं सम्बद्ध मशीनरी निगम लिमिटेड दुर्गापुर प्रारम्भ में भारी इंजीनियरिंग निगम लिमिटेड रांची का ही अंग था। 1965 में रूस के सहयोग से इसे अलग किया गया। इसमें कोयला खनन से सम्बन्धित उपकरणों का निर्माण किया जाता है।
भारत हैवी प्लेट्स एण्ड वैसेल्स लिमिटेड
भारत हैवी प्लेट्स एण्ड वैसेल्स लिमिटेड विशाखापट्नम को 1966 में चेकोस्लोवाकिया के सहयोग से स्थापित किया गया। इसमें अभियांत्रिकी की भारी मशीनों एवं सामानों का निर्माण किया जाता है।
त्रिवेणी स्ट्रक्चरल्स लिमिटेड
त्रिवेणी स्ट्रक्चरल्स लिमिटेड नैनी (इलाहाबाद) की स्थापना 1965 में की गई। इसमें ट्रांसमिशन टावर, इस्पात के पुल, स्टारैज, क्रेनें आदि बनाये जाते हैं।
तुंगभद्रा स्टील प्रोडक्ट्स लिमिटेड
तुंगभद्रा स्टील प्रोडक्ट्स लिमिटेड की स्थापना कर्नाटक तथा आन्ध्र प्रदेश सरकारों के संयुक्त उपक्रम के रूप में 1960 में की गयी। इसमें भी ट्रांसमिशन टावर, पैनस्टाक पाइप, ट्रांसमिशन लाइन तथा भवन संरचनाओं का उत्पादन किया जाता है।
हिन्दुस्तान मशीन टूल्स लिमिटेड
हिन्दुस्तान मशीन टूल्स लिमिटेड (एच.एम.टी.), बंगलुरू की स्थापना स्विट्जरलैण्ड की कम्पनी के सहयोग से 1963 में की गयी। इसके अन्तर्गत 5 कारखाने कार्यरत हैं-
- बंगलुरू (कर्नाटक)
- पिंजौर (हरियाणा)
- कालमसेरी (केरल)
- श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर)
- हैदराबाद (आन्ध्र प्रदेश)
नेशनल इंसट्रमेण्ट्स लिमिटेड
नेशनल इंसट्रमेण्ट्स लिमिटेड जादवपुर (कोलकाता) का प्रारम्भ 1830 में एक सरकारी विभाग के रूप में हुआ था। 26 जून, 1957 को इसे एक लिमिटेड कम्पनी से परिवर्तित कर दिया गया। यहाँ सर्वेक्षण, धातु कार्मिक, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक यन्त्रों का उपकरणों का निर्माण किया जाता है।
भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड
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भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड भारत में ऊर्जा के उपकरणों के निर्माण में कार्यरत सार्वजनिक क्षेत्र की संस्था है, जिसकी इकाइयाँ - हरिद्वार, भोपाल, त्रिची, हैदराबाद, रानीपेट, बंगलौर एवं जमशेदपुर में कार्यरत हैं। इनके अतिरिक्त रूपनारायणपुर (कोलकाता) में हिन्दुस्तान केबिल्स फैक्टरी, कोलकाता में नेशनल इंस्ट्रमेण्ट्स फैक्टरी तथा बेंगलुरु एवं नैनी में भारतीय टेलीफोन उद्योग के कारखाने स्थापित हैं।
रेलवे उपकरण
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भारत में रेलवे से सम्बन्धित उपकरणों को बनाने में आत्मनिर्भरता प्राप्त कर ली गयी है। इससे सम्बन्धित पहली कम्पनी झारखण्ड के सिंहभूमि ज़िलें में 'पेनिन्सुलर लोकोमोटिव कम्पनी' के नाम से 1921 में स्थापित की गयी थी। इसको 1945 में टाटा समूह ने ख़रीद कर 'टाटा इंजीनियरिंग एण्ड लोकोमोटिव कम्पनी' (टेल्को) का नाम दिया। 1950 में पश्चिम बंगाल राज्य के मिहीजाम नामक स्थान पर चितरंजन लोकोमोटिव वक्र्स की स्थापना की गयी। यहाँ 1961 से बिजली के इंजन बनाये जाने लगे हैं। 1961 में डीजल लोकोमोटिव वक्र्स, मडुआडीह (वाराणसी) की स्थापना हुई। यहाँ रेल के डीजल इंजन बनाये जाने जाते हैं।
जलयान निर्माण
भारत में जलयान निर्माण का पहला कारख़ाना 1941 में मे. सिन्धिया स्टीम नेवीगेशन कं. द्वारा विशाखापत्तनम में स्थापित किया गया। 1952 में सरकार द्वारा इसका अधिग्रहण करके 'हिन्दुस्तान शिपयार्ड विशाखापत्तनम' नाम दिया गया। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक क्षेत्र में 3 इकाइयाँ जलयानों का निर्माण करती हैं-
वायुयान निर्माण
भारत में वायुयान निर्माण का प्रथम कारख़ाना 1940 में बंगलुरू में 'हिन्दुस्तान एअरक्राफ्ट कम्पनी' के नाम से स्थापित किया गया। इस समय इसे 'हिन्दुस्तान एअरोनॉटिक्स लिमिटेड' (एच.ए.एल.) के नाम से जाना जाता हे। बंगलुरू में ही इसकी 5 इकाइयाँ तथा कोरापु, कोरावाँ, नासिक, बैरकपुर, लखनऊ, हैदराबाद तथा कानपुर में एक-एक इकाइयाँ वायुयानों के निर्माण में कार्य में संलग्न हैं।
मोटरगाड़ी उद्योग
भारत में सभी प्रकार के छोटे-बड़े वाहनों का निर्माण किया जाता है। इस उद्योग से सम्बन्धित प्रमुख इकाइयाँ हैं-
- हिन्दुस्तान मोटर (कोलकाता)
- प्रीमियर आटोमोबाइल्स लिमिटेड (मुम्बई)
- अशोक लेलैण्ड (चेन्नई)
- टाटा इंजीनियरिंग एण्ड लोकोमोटिव कं. लिमिटेड (जमशेदपुर)
- महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा लिमिटेड (पुणे)
- मारुति उद्योग लिमिटेड, गुड़गांव (हरियाणा)
- सराइज इण्डस्ट्रीज (बंगलुरू)
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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