ताजुल मस्जिद: Difference between revisions
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'''ताजुल मस्जिद''' [[भोपाल]], [[मध्य प्रदेश]] में स्थित है। यह मस्जिद विश्व की तीसरी बड़ी मस्जिद के रूप में शुमार होती है। प्रत्येक वर्ष तबलीगी जमात का तीन दिवसीय इज्तिमा<ref>सम्मेलन, जनसमूह</ref> भी नियमित रूप से इसी मस्जिद में होता है, जिसमें देश-विदेश की ज़मातें शिरकत करती हैं। इस मस्जिद का मुख्य वास्तुकार 'अल्लारखा' था। | '''ताजुल मस्जिद''' [[भोपाल]], [[मध्य प्रदेश]] में स्थित है। यह मस्जिद विश्व की तीसरी बड़ी मस्जिद के रूप में शुमार होती है। प्रत्येक वर्ष तबलीगी जमात का तीन दिवसीय इज्तिमा<ref>सम्मेलन, जनसमूह</ref> भी नियमित रूप से इसी मस्जिद में होता है, जिसमें देश-विदेश की ज़मातें शिरकत करती हैं। इस मस्जिद का मुख्य वास्तुकार 'अल्लारखा' था। | ||
*[[इस्लाम धर्म]] के उदय के बाद [[मुस्लिम]] शासकों द्वारा अनेक स्थानों पर | *[[इस्लाम धर्म]] के उदय के बाद [[मुस्लिम]] शासकों द्वारा अनेक स्थानों पर ख़ूबसूरत एवं बड़ी मस्जिदों का निर्माण कराया गया। | ||
*एक छोटी-सी रियासत की महिला शासक नवाब शाहजहाँ बेगम ने [[1877]] ई. में अपने राजमहल के निकट दुनिया की बड़ी मस्जिद बनाने का स्वप्न देखा था। इस समय उसके ख़ज़ाने की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। | *एक छोटी-सी रियासत की महिला शासक नवाब शाहजहाँ बेगम ने [[1877]] ई. में अपने राजमहल के निकट दुनिया की बड़ी मस्जिद बनाने का स्वप्न देखा था। इस समय उसके ख़ज़ाने की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। | ||
*ताजुल मस्जिद ऊँची जगती पर बनी है, जिसका विशाल प्रांगण इसकी भव्यता को दर्शाता है। | *ताजुल मस्जिद ऊँची जगती पर बनी है, जिसका विशाल प्रांगण इसकी भव्यता को दर्शाता है। |
Revision as of 14:29, 2 September 2013
ताजुल मस्जिद भोपाल, मध्य प्रदेश में स्थित है। यह मस्जिद विश्व की तीसरी बड़ी मस्जिद के रूप में शुमार होती है। प्रत्येक वर्ष तबलीगी जमात का तीन दिवसीय इज्तिमा[1] भी नियमित रूप से इसी मस्जिद में होता है, जिसमें देश-विदेश की ज़मातें शिरकत करती हैं। इस मस्जिद का मुख्य वास्तुकार 'अल्लारखा' था।
- इस्लाम धर्म के उदय के बाद मुस्लिम शासकों द्वारा अनेक स्थानों पर ख़ूबसूरत एवं बड़ी मस्जिदों का निर्माण कराया गया।
- एक छोटी-सी रियासत की महिला शासक नवाब शाहजहाँ बेगम ने 1877 ई. में अपने राजमहल के निकट दुनिया की बड़ी मस्जिद बनाने का स्वप्न देखा था। इस समय उसके ख़ज़ाने की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी।
- ताजुल मस्जिद ऊँची जगती पर बनी है, जिसका विशाल प्रांगण इसकी भव्यता को दर्शाता है।
- मस्जिद का मुख्य द्वार 'ईवान' 74 फीट ऊँचा है। इसके आंतरिक उत्तरी भाग में जनाना हिस्सा है, जिसमें पर्दानशीन महिलायें नमाज अदा कर सकती हैं।
- प्रांगण के पश्चिम में इबादत भवन है, जिसमें स्तंभों पर आधारित नौ प्रवेश द्वार एवं छत हैं, जिसमें 27 खोखले गुम्बद निर्मित हैं।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सम्मेलन, जनसमूह
- ↑ ताजुल मस्जिद (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 11 नवम्बर, 2012।