सकहा शंकर मंदिर: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
No edit summary |
||
Line 15: | Line 15: | ||
*[http://yatrasalah.com/touristPlaces.aspx?id=222 हरदोई] | *[http://yatrasalah.com/touristPlaces.aspx?id=222 हरदोई] | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{शिव मंदिर}} | |||
{{उत्तर प्रदेश के मन्दिर}} | {{उत्तर प्रदेश के मन्दिर}} | ||
[[Category:उत्तर प्रदेश]][[Category:उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थल]][[Category:हिन्दू मन्दिर]][[Category:हिन्दू धर्म कोश]] | [[Category:उत्तर प्रदेश]][[Category:उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थल]][[Category:हिन्दू मन्दिर]][[Category:हिन्दू धर्म कोश]] |
Revision as of 10:45, 7 October 2013
सकहा शंकर मंदिर हरदोई |thumb|250px सकहा शंकर मंदिर उत्तर प्रदेश के हरदोई जनपद मुख्यालय से लगभग पच्चीस तीस किलोमीटर दूर सकहा नामक स्थान में स्थित है।
- जिसका पुराना नाम सोनिकपुर था तथा यहां पर शंकासुर] नामक दैत्य रहा करता था जो हरदोई के शासक हिरण्यकशिपु का सहयोगी था।
- भक्त प्रह्लाद के आह्वान पर जब भगवान ने नरसिंह रूप धारण कर हिरण्यकशिपु का वध किया तो शंकासुर भी ने भी यह स्थान छोड दिया। इस स्थान पर शिवलिंगों की एक पिरामिड जैसी आकृति उभर आयी जिस पर भगवान शंकर का मंदिर स्थापित हुआ।
सकहा स्थित शंकर जी का लिंग शीर्ष|thumb|left
- यह एक प्राचीन मंदिर था जिसका जीर्णोधार लगभग सत्तर वर्ष पूर्व इस क्षेत्र में तैनात रहे कोतवाल द्वारा कराया गया था।
- इसके संबंध में यह भी किंवदंती है कि आजादी से कई वर्ष पूर्व लाला लाहौरीमल नामक एक व्यापारी के पुत्र को फांसी की सजा हुयी थी जिसकी माफी के लिये लाला लाहौरीमल ने यहां दरकार लगायी थी और मनौती पूरी होने के पश्चात उनके द्वारा यहां पर शंकर जी का मंदिर बनवाया गया।
- कालान्तर में यहां पर आवासीय संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना हुयी जो आज भी सुचारू रूप से गतिमान है। वर्तमान में इस मंदिर की व्यवस्था आदि का काम स्थानीय महंत श्री उदयप्रताप गिरि द्वारा देखा जा रहा है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख