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         '''[[अहोई अष्टमी]]''' का व्रत महिलायें अपनी सन्तान की रक्षा और दीर्घ आयु के लिए रखती हैं। यह व्रत [[कार्तिक]] [[कृष्ण पक्ष]] की [[अष्टमी]] के दिन किया जाता है। माताएँ अहोई अष्टमी के [[व्रत]] में दिन भर उपवास रखती हैं और सायंकाल तारे दिखाई देने के समय अहोई माता का पूजन किया जाता है। अहोई माता के चित्रांकन में ज़्यादातर आठ कोष्ठक की एक पुतली बनाई जाती है। यह अहोई माता [[गेरू]] आदि के द्वारा दीवार पर बनाई जाती है। इस दिन धोबी मारन लीला का भी मंचन होता है, जिसमें [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] द्वारा [[कंस]] के भेजे धोबी का वध प्रदर्शन किया जाता है। [[अहोई अष्टमी|... और पढ़ें]]
         '''[[दीपावली]]''' अथवा 'दिवाली' [[भारत]] के प्रमुख त्योहारों में से एक है। त्योहारों का जो वातावरण [[धनतेरस]] से प्रारम्भ होता है, वह आज के दिन पूरे चरम पर आता है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार [[कार्तिक]] [[अमावास्या|अमावस्या]] को भगवान [[राम|श्रीराम]] चौदह वर्ष का वनवास काटकर [[अयोध्या]] लौटे थे, तब अयोध्यावासियों ने श्रीराम के राज्यारोहण पर दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था। रात्रि के समय प्रत्येक घर में धनधान्य की अधिष्ठात्री देवी [[महालक्ष्मी देवी|महालक्ष्मी]], विघ्न-विनाशक [[गणेश|गणेश जी]] और विद्या एवं कला की देवी मातेश्वरी [[सरस्वती]] की पूजा-आराधना की जाती है। [[ब्रह्म पुराण]] के अनुसार इस अर्धरात्रि में महालक्ष्मी स्वयं भूलोक में आती हैं और प्रत्येक सद्गृहस्थ के घर में विचरण करती हैं। जो घर हर प्रकार से स्वच्छ, शुद्ध और सुंदर तरीक़े से सुसज्जित और प्रकाशयुक्त होता है, वहां अंश रूप में ठहर जाती हैं। [[दीपावली|... और पढ़ें]]</poem>
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| [[एक त्योहार|पिछले लेख]]
| [[अहोई अष्टमी]] ·
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Revision as of 14:36, 17 October 2014

एक त्योहार

        दीपावली अथवा 'दिवाली' भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। त्योहारों का जो वातावरण धनतेरस से प्रारम्भ होता है, वह आज के दिन पूरे चरम पर आता है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार कार्तिक अमावस्या को भगवान श्रीराम चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे, तब अयोध्यावासियों ने श्रीराम के राज्यारोहण पर दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था। रात्रि के समय प्रत्येक घर में धनधान्य की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मी, विघ्न-विनाशक गणेश जी और विद्या एवं कला की देवी मातेश्वरी सरस्वती की पूजा-आराधना की जाती है। ब्रह्म पुराण के अनुसार इस अर्धरात्रि में महालक्ष्मी स्वयं भूलोक में आती हैं और प्रत्येक सद्गृहस्थ के घर में विचरण करती हैं। जो घर हर प्रकार से स्वच्छ, शुद्ध और सुंदर तरीक़े से सुसज्जित और प्रकाशयुक्त होता है, वहां अंश रूप में ठहर जाती हैं। ... और पढ़ें


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