झाँसी का क़िला: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 10: | Line 10: | ||
|पाठ 3=1613 ई. | |पाठ 3=1613 ई. | ||
|शीर्षक 4=निर्माणकर्ता | |शीर्षक 4=निर्माणकर्ता | ||
|पाठ 4=ओरछा नरेश | |पाठ 4=ओरछा नरेश [[वीरसिंह बुन्देला|वीरसिंह देव]] | ||
|शीर्षक 5= | |||
|पाठ 5= | |पाठ 5= | ||
|शीर्षक 6= | |शीर्षक 6= |
Revision as of 12:31, 5 May 2015
झाँसी का क़िला
| |
विवरण | 'झाँसी का क़िला' उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थानों में से एक है। इतिहास में यह क़िला कई महत्त्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा है। |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | झाँसी |
निर्माण काल | 1613 ई. |
निर्माणकर्ता | ओरछा नरेश वीरसिंह देव |
संबंधित लेख | झाँसी, वीरसिंह बुन्देला, रानी लक्ष्मीबाई |
अन्य जानकारी | इस क़िले में 'रानी झाँसी गार्डन', 'शिव मंदिर' और ग़ुलाम गौस ख़ान, मोती बाई व ख़ुदा बक्श की मजार देखी जा सकती है। |
झाँसी का क़िला उत्तर प्रदेश के झाँसी ज़िले में स्थित है। यह क़िला मात्र उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि भारत के सबसे बेहतरीन क़िलों में से एक है। ओरछा के राजा वीरसिंह देव ने यह क़िला 1613 ई. में बनवाया था।
- यह प्रसिद्ध ऐतिहासिक क़िला बंगरा नामक पहाड़ी पर बना है। क़िले में प्रवेश के लिए दस दरवाज़े हैं।
- क़िले में 'रानी झाँसी गार्डन', 'शिव मंदिर' और ग़ुलाम गौस ख़ान, मोती बाई व ख़ुदा बक्श की मजार देखी जा सकती है।
- झाँसी का क़िला 16 से 20 फुट मोटी दीवार से घिरा हुआ है, जो इसकी चार दीवारी का एक भाग है। इस दीवार में दस दरवाज़े हैं, जिनमें से प्रत्येक का नाम किसी राजा या राज्य के ऐतिहासिक स्थान के नाम पर रखा गया है।
- इस क़िले में 'चाँद द्वार', 'दतिया दरवाज़ा', 'झरना द्वार', 'लक्ष्मी द्वार', 'ओरछा द्वार', 'सागर द्वार', 'उन्नाव द्वार', 'खंडेराव द्वार' और 'सैनयार द्वार' हैं। हालाँकि इसमें से कुछ द्वार समय के साथ लुप्त हो गए हैं, फिर भी कुछ ऐसे हैं जो अभी भी अच्छी अवस्था में हैं।[1]
- झाँसी के क़िले ने 'भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन' में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, क्योंकि यह 1857 ई. के भारत के स्वतंत्रता संग्राम का प्रमुख केंद्र था।
- क़िले की दीवारों पर बने हुए चित्र झाँसी की रानी द्वारा अंग्रेज़ों के विरुद्ध लड़ी गई लड़ाई का चित्रण करते हैं।
- क़िले में एक संग्रहालय भी है, जिसमें विभिन्न प्रदर्शनों के अलावा 'करक बिजली' नाम की तोप भी है, जिसकी प्राणघातक आग ने ब्रिटिश सेना को डरा दिया था। यह संग्रहालय केवल झाँसी की ऐतिहासिक धरोहर को ही नहीं अपितु सम्पूर्ण बुन्देलखण्ड की झलक प्रस्तुत करता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ झाँसी का क़िला, झाँसी (हिन्दी) नेटिव प्लेनेट। अभिगमन तिथि: 05 मई, 2015।