सूरज भान: Difference between revisions
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==परिचय एवं शिक्षा== | ==परिचय एवं शिक्षा== | ||
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Revision as of 08:18, 20 June 2017
सूरज भान
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पूरा नाम | सूरज भान |
जन्म | 1 अक्टूबर, 1928 |
जन्म भूमि | महलांवली, पंजाब |
मृत्यु | 6 अगस्त 2006 |
पति/पत्नी | पत्नी- श्रीमती चमेली देवी |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | दलित नेता |
पद | राज्यपाल (उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, बिहार)। |
कार्य काल | 20 अप्रैल 1998 से 23 नवम्बर 2000 तक |
शिक्षा | एम.ए., एल.एल.बी. |
विद्यालय | पंजाब, कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय |
जेल यात्रा | मीसा के अन्तर्गत उन्नीस माह तक नजरबन्द रहे। |
अन्य जानकारी | सूरज भान हरियाणा सरकार में 1987 से 1990 तक राजस्व मंत्री रहे तथा 1996 में प्रधानमंत्री माननीय श्रीअटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कृषि मंत्री भी रहे। |
अद्यतन | 17:58, 20 अक्टूबर 2016 (IST)
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सूरज भान (अंग्रेज़ी: Suraj Bhan, जन्म- 1 अक्टूबर, 1928, महलांवली, ज़िला अम्बाला,पंजाब; मृत्यु- 6 अगस्त 2006) भारतीय राजनीतिज्ञ एवं दलित नेता थे। ये उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और बिहार के राज्यपाल रहे।[1]
परिचय एवं शिक्षा
सूरज भान का जन्म एक दलित परिवार में गांव-महलांवली, ज़िला अम्बाला में 1 अक्टूबर, 1928 को हुआ। इन्होंने अपनी शिक्षा अम्बाला में प्राप्त की और पंजाब व कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से एम.ए., एल.एल.बी. पास किया। उनकी धर्मपत्नी श्रीमती चमेली देवी सामाजिक कल्याण कार्यो में रूचि रखती थीं। पारिवारिक स्तर पर इनका सुशिक्षित, सुखी व सम्पन्न परिवार था।
कॅरियर
श्रीसूरजभान ने भारत सरकार के डाक तार विभाग से देशसेवा का कार्य प्रारम्भ किया। ये प्रारम्भ से ही दलित, पिछड़े वर्गोें तथा मजदूरों के हितों के प्रबल समर्थक रहें। सेवाकाल के दौरान 1952 से 1967 तक वे केवल डाक तार विभाग की यूनियन के ही कार्यकर्ता नहीं थे, बल्कि अन्य विभाग व कामगारों की भलाई के लिये उनके संगठन में भी लगातार अपना समय, सुझाव व सहयोग सक्रिय रूप से देते रहे। जहां पर भी इन वर्गों पर अन्याय हुआ, इन्होंने उसका डटकर मुकाबला किया। इन्होंने किसान आन्दोलन व केन्द्रीय सरकार कर्मचारी हड़ताल के दौरान गिरफ़्तारियां भी दीं तथा तीन माह तक जेल में रहे। आपात काल में तत्कालीन सरकार के तानाशाही रवैये का विरोध करने के कारण मीसा के अन्तर्गत उन्नीस माह तक नजरबन्द रहना पड़ा।[1]
राजनीतिक गतिविधियाँ
सूरजभान का राजनैतिक जीवन परिचय भारतीय जनसंघ से आरम्भ हुआ। वे भारतीय जनसंघ की 1970-1973 तक अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य, 1973-1976 तक भारतीय जनसंघ के अनुसूचित जाति/जनजाति प्रकोष्ठ के इन्चार्ज व हरियाणा प्रदेश के सेक्रेटरी रहे। इन्होंने हरियाणा में दलितों के हितों के लिये संगठित हरिजन संघर्ष समिति के संगठन सचिव का महत्त्वपूर्ण पद संभाला तथा उसका विस्तार पूरे प्रदेश में किया, श्री सूरजभान जी अखिल भारतीय डिप्रेरड क्लासेज लीग के महासचिव भी रहे। ये 1967 में अम्बाला से लोकसभा संसदीय चुनाव जीते। 1968 से 1970 तक व 1977 से 1979 की अवधि में संसद की अनुसूचित जाति/जनजाति कल्याण समिति के सदस्य भी रहे। इसके अतिरिक्त अनुसूचित जाति/जनजाति के सूची संशोधन समिति के अध्यक्ष, 1978 व 1979 में अनुसूचित जाति/जनजाति के संसदीय समिति के महासचिव तथा संसद की (पटीशन कमेटी) के सदस्य भी रहे। इन्होंने संसदीय प्रतिनिधि मंडल के सदस्य के रूप में मिस्र, सूडान, व अल्जीरिया की विदेश यात्रा की।
हरियाणा सरकार में 1987 से 1990 तक राजस्व मंत्री रहे तथा 1996 में प्रधानमंत्री माननीय श्रीअटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कृषि मंत्री भी रहे। सूरजभान जी का बहुमूल्य समय दलितों व पिछड़ों के कल्याण के लिये समर्पित रहा है। 1948 में इन्होंने पंजाब अनुसूचित जाति/जनजाति विद्यार्थी परिषद संघ की स्थापना की तथा 1952 में पंजाब अनुसूचित जाति/जनजाति कल्याण संघ का संगठन किया। सदियों से दलित समुदाय पर हो रहे अत्याचार व अन्याय को इन्होंने कभी सहन नहीं किया। और उसके लिये बराबर संघर्ष करते रहे हैं। माननीय सूरजभान जी एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति हैं। इन्होंने 1969-1970 तक अंग्रेजी पत्रिका ‘‘अपराइट’’ का सम्पादन किया। इनको बागवानी करने का बहुत ही शौक था। ये डिप्टी स्पीकर जैसे व्यस्त पदों पर विराजमान रहकर भी अपना बहुमूल्य समय ज्ञानवर्द्धन के लिये [[संसद के पुस्तकालय में लगाते रहे हैं। ताकि लोकसभा में रखे जाने वाले विषयों पर बहस के दौरान माननीय सांसदों का उचित मार्ग-दर्शन कर सकें।[1]
ये राज्यपाल के रूप में उत्तर प्रदेश (20 अप्रैल 1998-23 नवम्बर 2000), हिमाचल प्रदेश (नवम्बर 2000- मई 2003) तथा बिहार (1999) में कार्यरत रहे।
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