रामायण सामान्य ज्ञान 6: Difference between revisions
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||[[चित्र:Valmiki-Ramayan.jpg|right|80px|रामायण लिखते हुए वाल्मीकि]][[रामायण]] के 'अरण्यकांड' में [[श्रीराम]], [[सीता]] तथा [[लक्ष्मण]] [[दंडकारण्य]] में प्रवेश करते हैं। जंगल में तपस्वी जनों, [[मुनि|मुनियों]] तथा [[ऋषि|ऋषियों]] के [[आश्रम]] में विचरण करते हुए राम उनकी करुण-गाथा सुनते हैं। मुनियों आदि को [[राक्षस|राक्षसों]] का भी भीषण भय रहता है। इसके | ||[[चित्र:Valmiki-Ramayan.jpg|right|80px|रामायण लिखते हुए वाल्मीकि]][[रामायण]] के 'अरण्यकांड' में [[श्रीराम]], [[सीता]] तथा [[लक्ष्मण]] [[दंडकारण्य]] में प्रवेश करते हैं। जंगल में तपस्वी जनों, [[मुनि|मुनियों]] तथा [[ऋषि|ऋषियों]] के [[आश्रम]] में विचरण करते हुए राम उनकी करुण-गाथा सुनते हैं। मुनियों आदि को [[राक्षस|राक्षसों]] का भी भीषण भय रहता है। इसके पश्चात् राम [[पंचवटी]] में आकर आश्रम में रहते हैं। वहीं [[शूर्पणखा]] से मिलन होता है। शूर्पणखा के प्रसंग में उसका नाक-कान विहीन करना तथा उसके भाई [[खर दूषण]] तथा [[त्रिशिरा]] से युद्ध और उनका संहार वर्णित है। 'बृहद्धर्मपुराण' के अनुसार इस काण्ड का पाठ उसे करना चाहिए, जो वन, राजकुल, [[अग्नि]] तथा जलपीड़ा से युक्त हो। इसके पाठ से अवश्य मंगल प्राप्ति होती है। अरण्यकांड में 75 सर्ग हैं, जिनमें 2,440 [[श्लोक]] गणना से प्राप्त होते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अरण्य काण्ड वा. रा.|अरण्यकांड]] | ||
{[[लंका]] का राजा [[रावण]] किस [[वाद्य यंत्र|वाद्य]] को बजाने में निपुण था? | {[[लंका]] का राजा [[रावण]] किस [[वाद्य यंत्र|वाद्य]] को बजाने में निपुण था? |
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