प्रयोग:कविता सा.-1: Difference between revisions

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{[[जामिनी राय]] का जन्म कब हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-86,प्रश्न-71
{प्रसिद्ध लोक चित्रकारी मांडना किस प्रदेश से संबंधित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-171,प्रश्न-34
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+1887 में
-[[उत्तर प्रदेश]]
-1897 में
+[[राजस्थान]]
-1877 में
-[[पश्चिम बंगाल]]
-1880 में
-[[बिहार]]
||[[जामिनी राय]] एक भारतीय [[चित्रकार]] हैं। वे [[अवनीन्द्रनाथ टैगोर]] के शिष्य थे। इनका जन्म [[11 अप्रैल]], [[1887]] को पश्चिमी बंगाल के बांकुरा जिले के बेलियातोर ग्राम में हुआ था। [[24 अप्रैल]], [[1972]] को इनकी मृत्यु हुई। उन्हें वर्ष [[1954]] में [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया गया।


{प्रख्यात चित्र 'सर्कस' के [[चित्रकार]] हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-121,प्रश्न-44
{न्यूज पेपर 'बंगाल गजट' के संस्थापक का नाम- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-192,प्रश्न-57
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-दिनकर कौशिक
-डेविड ओगील्वी
-अर्पणा कौर
+जेम्स आगस्ट
+जॉर्ज सोरा
-वोल्नी बी. पालमर
-[[अंजलि इला मेनन]]
-ए.डब्ल्यू. अय्यर
||प्रख्यात चित्र 'सर्कस' के चित्रकार जॉर्ज सोरा हैं। नवप्रभाववाद के प्रणेता सोरा ने तैल रंगों से लगभग 250 अध्ययन-चित्र बनाए। सोरा की [[कला]] की तुलना दक्ष गृहिणी के गृहकार्य से की जा सकती है। सूत्र रूप में सोरा की शैली के तीन प्रमुख पहलू हैं-नैसर्गिक, आकारों का सरलीकृत, ज्यामितीय तथा मूल रंगों का समाकार बिंदुओं में रंगांकन।
||भारतवर्ष में प्रकाशित पहला अखबार '[[बंगाल गजट]]' है जो वर्ष 1780 में [[अंग्रेज]] (आयरिश) जेम्स आगस्ट हेकीज द्वारा [[कलकत्ता]] से प्रकाशित किया गया था। अत: इसी समय से [[कोलकाता]] में पहली छपाई मशीन की शुरुआत हुई।


{[[वात्स्यायन]] के 'कामसूत्र' में कितनी कलाओं का उल्लेख है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-157,प्रश्न-27
{[[जैन चित्रकला]] कहलाती है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-44,प्रश्न-30
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+चौंसठ
-भित्ति चित्र
-साठ
+पोथी चित्र
-बहत्तर
-लद्यु चित्र
-सत्तर
-पट चित्र
||'कामसूत्र' [[वात्स्यायन]] द्वारा लिखा गया [[भारत]] का एक 'कामशास्त्र ग्रंथ' है। कामसूत्र को उसके विभिन्न आसनों के लिए जाना जाता है। वात्स्यायन का कामसूत्र विश्व की प्रथम यौन संहिता है जिसमें यौन प्रेम के मनोशारीरिक सिद्धांतों तथा प्रयोग की विस्तृत व्याख्या एवं विवेचना की गई है।
||[[जैन चित्रकला]] 'पोथी चित्रकला' भी कहलाती है। इसका विकास 1100 ई. से 1500 ई. के [[गुजरात]], [[अहमदाबाद]] तथा मरवाड़ के आस-पास में हुआ है। [[जैन चित्रकला]] शैली को विवादित रूप में '[[गुजरात चित्रकला|गुजरात शैली]]', 'पश्चिम भारतीय शैली' तथा 'अपभ्रंश शैली' के नामों से भी जाना जाता है। डॉ. आनंद कुमारस्वामी ने इस शैली का नाम लामा तारानाथ के द्वारा दिए गए नाम 'पश्चिमी-भारत शैली' का समर्थन करते हुए इस शैली का नवीन नाम 'पश्चिम भारतीय शैली' माना है।


{निम्नलिखित में से कौन [[ललित कला अकादमी]] का पब्लिकेशन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-198,प्रश्न-97
{कौन-सा पहाड़ी शैली के चित्रों का केंद्र नहीं है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-50,प्रश्न-28
|type="()"}
|type="()"}
+समकालीन कला
-[[बसौली]]
-कथ्यरूप
-[[गुलेरी चित्रकला|गुलेर]]
-हंस
+[[मेवाड़ की चित्रकला (तकनीकी)|मेवाड़]]
-आजकल
-[[कांगड़ा चित्रकला|कांगड़ा]]
||[[ललित कला अकादमी]] का पब्लिकेशन 'समकालीन कला' है जिसका प्रकाशन वर्ष [[1982]] में शुरू हुआ।
||[[मेवाड़ चित्रकला]] शैली का संबंध [[राजस्थानी चित्रकला]] शैली से था बसौली, गुलेर तथा कांगड़ा पहाड़ी शैली के अंतर्गत आते हैं।


{चित्र में प्राण आता है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-163,प्रश्न-46
{[[जहांगीर]] अपने समय में सबसे अच्छा [[चित्रकार]] मानता था- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-61,प्रश्न-36
|type="()"}
|type="()"}
-रंग से
-[[उस्ताद मंसूर]]
-रेखा से
-अबुल फजल को
-लय से
+अबुल हसन को
+उक्त सभी से
-[[बसावन]] को
||चित्र में प्राण प्रवाह रंग, रेखा और लय के संयोजन से होता है, सतत आंतरिक एकीकरण में ही चित्र भावपूर्ण होता है और लय चित्र का प्राण ही नहीं बल्कि उसके आकार और आलेखन आदि की अंतिम अवस्था भी होती है।


{'मोनालिसा' चित्र किसने बनाया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-108,प्रश्न-41
{'[[अकबर]]' की चित्रशाला में कुल कितने गुजराती [[चित्रकार]] थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-69,प्रश्न-84
|type="()"}
-सात
-आठ
+छ:
-चार
||[[अकबर]] की चित्रशाला में कुल छ: गुजराती चित्रकार थे। अकबर के दरबार में अधिकांश चित्रकार कायस्थ, चितेरा, खाती तथा कहार जाति के थे।
 
{इनमें [[मूर्तिकार]] कौन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-81,प्रश्न-28
|type="()"}
+[[देवी प्रसाद रायचौधरी]]
-ईश्वरी प्रसाद
-सुधीर रंजन खास्तगीर
-मुकुल डे
 
{'हरिपुरा पैनल' की विषय-वस्तु बताइये? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-81,प्रश्न-35
|type="()"}
+भारतीय ग्राम्य जीवन
-पौराणिक कथायें
-रामायण
-महाभारत
 
{एक कवि-चित्रकार जिनकी कर्मभूमि शांतिनिकेतन थी, हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-85,प्रश्न-60
|type="()"}
-[[नंदलाल बोस]]
-[[देवी प्रसाद रायचौधरी]]
+[[रबींद्रनाथ ठाकुर]]
-गगनेन्द्रनाथ ठाकुर
||आधुनिक [[भारत]] के प्रमुख चित्रकारों में [[रबींद्रनाथ ठाकुर]] की सहज स्फूर्त अंकन पद्धति क्ले के निर्दिष्ट मार्ग का अनुसरण करती है। [[कवि]], लेखक तथा चिंतक एवं पेंटर के रूप में रबीन्द्रनाथ ठाकुर की कर्मभूमि [[शांतिनिकेतन]] थी।
 
{किस लैंडस्केप [[चित्रकार]] ने प्रभाववादियों को प्रेरणा दी थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-117,प्रश्न-14
|type="()"}
+टर्नर
-क्लॉड
-मिले
-गोया
||इंग्लैंड के भू-दृश्य (लैंडस्केप) चित्रकारों में जोसेफ मैलॉर्ड विलियम टर्नर (1775-1851 ई.) को अद्भुत प्रतिभाशाली एवं संयमी कलाकार माना जाता है। उनका कार्य प्रभाववादियों के लिए एक रोमांटिक प्रस्तावना के रूप में जाना जाता है। वह अपने तैल चित्रों के लिए प्रसिद्ध थे। वर्ष 1839 में उनके द्वारा चित्रित चित्र 'द फाइटिंग टेंपरेरी' तैलीय माध्यम में बनी हुई है। वह ब्रिटिश वाटरकलर लैंडस्केप चित्रकारी के महानतम पुरोधा भी थे। टर्नर ने अपनी [[कला]] के द्वारा प्रकाश का प्रयोग विकसित किया।
 
{किस भारतीय कलाकार ने [[2001]] में अपना 100 वां वर्ष मनाया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-146,प्रश्न-63
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-के.जी. सुब्रमण्यन
-सत्येन घोषाल
+भावेश सान्याल
-अतुल बसु
||भावेश सान्याल (B.C. Sanyal) का जन्म [[22 अप्रैल]], [[1901]] की असम के धुबरी जिले में हुआ था। इस प्रकार वर्ष 2001 में उन्होंने अपना 100 वां जन्म दिवस मनाया।
 
{प्रभाववादी चित्रों का भूल उद्देश्य था- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-119,प्रश्न-25
|type="()"}
-विषय का भाववादी चित्रण
+विषय पर क्षणिक दृष्टि के प्रभाव का चित्रण
-विषय पर रंगों की छटा का चित्रण
-विषय का सौंदर्यपूर्ण चित्रण
||प्रभाववाद 19वीं सदी का एक कला आंदोलन था जो पेरिस स्थित कलाकारों के एक मुक्त संगठन के रूप में आरंभ हुआ। इसका मूल उद्देश्य विषय पर क्षणिक दृष्टि के प्रभाव का चित्रण था।
 
{अजंता भित्तिचित्रों की रचना किस राजवंश के शासनकाल में हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-31,प्रश्न-21
|type="()"}
-[[मौर्य]]
+वाकाटक
-[[शुंग]]
-[[पल्लव]]
||अजंता भित्तिचित्रों की अधिकांश चित्र रचना वाकाटक एवं चालुक्य राजाओं के समय में की गई। वाकाटक एवं चालुक्य राजवंश के शासक बौद्ध धर्मानुयायी थे, इसलिए अजंता के चित्रों में बौद्ध चित्रों की प्रमुखता है।
 
{[[कांगड़ा चित्रकला]] पर किस शैली का प्रभाव पड़ा? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-74,प्रश्न-15
|type="()"}
-[[राजस्थानी चित्रकला|राजस्थानी]]
+[[मुगल कालीन चित्रकला|मुगल]]
-[[जैन चित्रकला|जैन]]
-कश्मीरी
||[[कांगड़ा चित्रकला]] शैली तथा परंपरागत प्राचीन भारती कला शैली तथा पहाड़ी हिंदू कला का प्रभाव पड़ा। मुगल चित्रकारों तथा मूल पहाड़ी चित्रकारों ने मिलकर पहाड़ी चित्र शैली को जन्म दिया। जिसके मुखत: तीन रूप थे- [[बसौली|बसौली शैली]], गुलेर शैली तथा कांगड़ा शैली। यद्यपि पहाड़ी कला के विशेषज्ञ डो. बी.एन. गोस्वामी पहाड़ी कला को मुगल प्रभाव मुक्त अर्थार पूरी तरह से भिन्न मानते हैं। गोस्वामी के अनुसार, पहाड़ी चित्रकला गुलेरवासी चित्रकार 'सेऊ' के वंशजों के आधार पर पली-बढ़ी।
 
{प्रसिद्ध कलाकृति, 'द लास्ट सपर' के चित्रकार हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-107,प्रश्न-35
|type="()"}
|type="()"}
-राफेल
-मोने
+[[लियोनार्डो दा विंची]]
+[[लियोनार्डो दा विंची]]
-फ्रा-फिल्लिप्पो-लिप्पी
-माइकल एंजेलो
||मोनालिया इटैलियन चित्रकार [[लियोनार्डो दा विंची]] द्वारा 1508-06 ई. के मध्य चित्रित की गई। इस चित्र की पृष्ठभूमि में प्राकृतिक दृश्य चित्र दर्शाया गया है। वर्तमान में यह पेरिस के लूव्र संग्रहालय में है।
-राफेल सौंजियो डयू
-अलबर्ट ड्यूरर
||'द लास्ट सपर', [[लियोनार्डो दा विंची]] द्वारा 15 वीं शताब्दी में चित्रित एक प्रसिद्ध चित्र है। यह ईसा मसीह के शूली पर चढ़ने के पूर्व येरूसलम में उनके प्रेरितों के साथ साझा गया अंतिम भोजन का चित्र है।


{सूर्यमुखी चित्रित किया है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-122,प्रश्न-54
{प्रभाववादी चित्रकार का मुख्य विषय होता है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-120,प्रश्न-35
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|type="()"}
-पिकासो ने
-तान
+वान गॉग ने
-वस्तु
-गॉगिन ने
-रंग
-राफेल ने
+वातावरण और प्रकाश
||'[[सूरजमुखी]] के फूल' का चित्र विन्सेंट वान गॉग द्वारा चित्रित एक प्रसिद्ध चित्र है। वर्तमान में यह चित्र नेशनल गैलरी ([[लंदन]]) में रखा हुआ है।
||[[प्रभाववाद]] एवं यथार्थवाद में स्पष्ट अंतर है। यथार्थवाद में विषय का अस्तित्व उद्देश्यपूर्ण होता है जबकि प्रभाववाद में विषय का कार्य सौंदर्यानुभूति को जागृत करना मात्र है। यथार्थवाद में वस्तु के नैसर्गिक वर्ण का विचार करके रंगांकन किया जाता है जबकि प्रभाववाद में प्रकाश एवं वातावरण के प्रभाव के साथ रंगों के नैसर्गिक सौंदर्य की भी विचार था। एडवर्ड माने ने सुंदर [[रंग]] योजना व स्पष्ट तूलिका संचालन जैसे गुणों का विकास करके अपने अंतिम वस्तु निरपेक्ष सौंदर्य से परिपूर्ण चित्र बनाए, जो प्रभाववाद की आधुनिक कला की देन है।


{'3 मई' किस [[चित्रकार]] की रचना है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-176,प्रश्न-75
{घनवाद से प्रेरणा लेने के उपरांत निजी विशेषता वाले कलाकार का नाम बताइए-(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-129,प्रश्न-38
|type="()"}
|type="()"}
+गोया
-ब्राक
-पिकासो
-ओकेनफेन्ट
-मोने
-के.एस. कुलकर्णी
-कूर्बे
+राजकुमार
||'3 मई' चित्र के [[चित्रकार]] गोया हैं। इनका चित्र '2 मई' भी प्रसिद्ध है। युद्ध के विषय पर उन्होंने 'युद्ध के दृष्परिणाम' नाम से कुछ तैल चित्र भी बनाए जिनमें से 'दो मई' एवं 'तीन मई' विशेष प्रसिद्ध हैं और वे उनके समाजवादी चित्रण की स्फोटकता के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
||राजकुमार जी ने कला का अध्ययन [[पेरिस]] में 'आन्द्रे लाहोत' तथा फर्नांड लेंगर' के निर्देशन किया। इन्होंने वर्ष [[1970]] में जे.आर.डी. फैलोशिप के अंतर्गत [[अमेरिका]] की यात्रा की। राजकुमार जी को चित्रों के द्वारा नई दुनिया की रचना करने वाले 'मनुष्य की सभ्यता' का [[चित्रकार]] कहा जाता है। ये पहले भारतीय थे जिन्होंने अमूर्तकाल (Abstract Art) के लिए अलंकारिक कला (Figurativism) को छोड़ दिया। अमूर्त कला, घनवादी शैली का ही प्रारूप है।


{पॉल सेजां किस  कला आंदोलन के अंतर्गत आते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-124,प्रश्न-67
{[[तैयब मेहता]] का प्रसिद्ध चित्र कौन-सा है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-145,प्रश्न-50
|type="()"}
|type="()"}
-[[प्रभाववाद]]
-[[दुर्गा]]
-उत्तरप्रभाववाद
-[[सरस्वती]]
+नवप्रभाववाद
+[[काली]]
-स्वच्छंदवाद
-रेवती
||पॉल सेजां का जन्म 1839 ई. में एजा प्रिवांस में हुआ था। बीसवीं सदी की कला पर सेजां का सर्वाधिक प्रभाव पड़ा, इसलिए इन्हें 'आधुनिक कला का जन्मदाता' कहा जाता है। चित्रकार सोरा, वान गॉग एवं गॉगिन, सेजां आदि थे जिन्हें उत्तर प्रभाववादी के नाम से विश्लेषित किया गया। ये सभी कलाकार प्रभाववाद से असंतुष्ट थे। सेजां ने अपने अधिकांश विख्यात चित्र 1870 ई. से 1900 ई. के मध्य बनाए।
||[[तैयब मेहता]] बाम्बे प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप से संबंधित थे। उनके द्वारा चित्रित 'काली का चित्र' सर्वाधिक प्रसिद्ध है जिसकी एक करोड़ रुपये की बोली लगी। वर्ष [[2009]] में इनकी मृत्यु हुई थी।
 
{[[रंग]] को तकनीकी भाषा में कहते हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-159,प्रश्न-16
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+ह्यू
-वैल्यू
-क्रोमा
-विबग्योर
||[[रंग]] को तकनीकी भाषा में ह्यू कहते हैं। ह्यू तकनीकी से [[नीला रंग|नीले]], [[पीला रंग|पीले]] और [[लाल रंग]] की विशेषता को जानते हैं। चित्र के एक ही रंग की विशेषता को जानते हैं। चित्र के एक ही [[रंग]] की शुद्धता (हल्का अथवा गहरा) को ज्ञात करने को क्रोमा कहा जाता है जबकि विबग्योर [[सूर्य]] [[प्रकाश]] के वर्ण विक्षेपण के रंगों का नीचे से ऊपर क्रमश: [[बैंगनी रंग|बैंगनी]], जामुनी, नीला, [[हरा रंग|हरा]], [[पीला रंग|पीला]], [[नारंगी रंग|नारंगी]], तथा [[लाल रंग|लाल]]।
 
{समान अथवा सामंजस्यपूर्ण अवयवों की पुनरावृत्ति से उत्पन्न निरतरता को कहते हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-164,प्रश्न-55
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-एकता
+[[लय]]
-प्रभाविता
-संतुलन
||समान अथवा सामंजस्यपूर्ण अवयवों की पुनरावृत्ति से उत्पन्न निरंतरता को 'लय' कहते हैं। लय समस्त कलाओं की [[आत्मा]] और गति का आधार है।
 
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Revision as of 11:57, 12 December 2017

1 प्रसिद्ध लोक चित्रकारी मांडना किस प्रदेश से संबंधित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-171,प्रश्न-34

उत्तर प्रदेश
राजस्थान
पश्चिम बंगाल
बिहार

2 न्यूज पेपर 'बंगाल गजट' के संस्थापक का नाम- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-192,प्रश्न-57

डेविड ओगील्वी
जेम्स आगस्ट
वोल्नी बी. पालमर
ए.डब्ल्यू. अय्यर

3 जैन चित्रकला कहलाती है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-44,प्रश्न-30

भित्ति चित्र
पोथी चित्र
लद्यु चित्र
पट चित्र

4 कौन-सा पहाड़ी शैली के चित्रों का केंद्र नहीं है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-50,प्रश्न-28

बसौली
गुलेर
मेवाड़
कांगड़ा

5 जहांगीर अपने समय में सबसे अच्छा चित्रकार मानता था- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-61,प्रश्न-36

उस्ताद मंसूर
अबुल फजल को
अबुल हसन को
बसावन को

6 'अकबर' की चित्रशाला में कुल कितने गुजराती चित्रकार थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-69,प्रश्न-84

सात
आठ
छ:
चार

7 इनमें मूर्तिकार कौन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-81,प्रश्न-28

देवी प्रसाद रायचौधरी
ईश्वरी प्रसाद
सुधीर रंजन खास्तगीर
मुकुल डे

8 'हरिपुरा पैनल' की विषय-वस्तु बताइये? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-81,प्रश्न-35

भारतीय ग्राम्य जीवन
पौराणिक कथायें
रामायण
महाभारत

9 एक कवि-चित्रकार जिनकी कर्मभूमि शांतिनिकेतन थी, हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-85,प्रश्न-60

नंदलाल बोस
देवी प्रसाद रायचौधरी
रबींद्रनाथ ठाकुर
गगनेन्द्रनाथ ठाकुर

10 किस लैंडस्केप चित्रकार ने प्रभाववादियों को प्रेरणा दी थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-117,प्रश्न-14

टर्नर
क्लॉड
मिले
गोया

11 किस भारतीय कलाकार ने 2001 में अपना 100 वां वर्ष मनाया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-146,प्रश्न-63

के.जी. सुब्रमण्यन
सत्येन घोषाल
भावेश सान्याल
अतुल बसु

12 प्रभाववादी चित्रों का भूल उद्देश्य था- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-119,प्रश्न-25

विषय का भाववादी चित्रण
विषय पर क्षणिक दृष्टि के प्रभाव का चित्रण
विषय पर रंगों की छटा का चित्रण
विषय का सौंदर्यपूर्ण चित्रण

13 अजंता भित्तिचित्रों की रचना किस राजवंश के शासनकाल में हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-31,प्रश्न-21

मौर्य
वाकाटक
शुंग
पल्लव

14 कांगड़ा चित्रकला पर किस शैली का प्रभाव पड़ा? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-74,प्रश्न-15

राजस्थानी
मुगल
जैन
कश्मीरी

15 प्रसिद्ध कलाकृति, 'द लास्ट सपर' के चित्रकार हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-107,प्रश्न-35

लियोनार्डो दा विंची
माइकल एंजेलो
राफेल सौंजियो डयू
अलबर्ट ड्यूरर

16 प्रभाववादी चित्रकार का मुख्य विषय होता है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-120,प्रश्न-35

तान
वस्तु
रंग
वातावरण और प्रकाश

17 घनवाद से प्रेरणा लेने के उपरांत निजी विशेषता वाले कलाकार का नाम बताइए-(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-129,प्रश्न-38

ब्राक
ओकेनफेन्ट
के.एस. कुलकर्णी
राजकुमार

18 तैयब मेहता का प्रसिद्ध चित्र कौन-सा है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-145,प्रश्न-50

दुर्गा
सरस्वती
काली
रेवती

19 रंग को तकनीकी भाषा में कहते हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-159,प्रश्न-16

ह्यू
वैल्यू
क्रोमा
विबग्योर

20 समान अथवा सामंजस्यपूर्ण अवयवों की पुनरावृत्ति से उत्पन्न निरतरता को कहते हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-164,प्रश्न-55

एकता
लय
प्रभाविता
संतुलन