पी. सतशिवम: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
आदित्य चौधरी (talk | contribs) m (Text replace - "अविभावक" to "अभिभावक") |
गोविन्द राम (talk | contribs) |
||
Line 62: | Line 62: | ||
*[http://www.supremecourtofindia.nic.in/ supreme court of india] | *[http://www.supremecourtofindia.nic.in/ supreme court of india] | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{भारत के मुख्य न्यायाधीश}} | {{भारत के मुख्य न्यायाधीश}}{{भारतीय राज्यों के राज्यपाल}} | ||
[[Category:न्यायाधीश]][[Category:भारत के मुख्य न्यायाधीश]] [[Category:चरित कोश]] | [[Category:न्यायाधीश]][[Category:भारत के मुख्य न्यायाधीश]] [[Category:चरित कोश]] | ||
[[Category:न्यायपालिका]][[Category:गणराज्य संरचना कोश]] | [[Category:न्यायपालिका]][[Category:गणराज्य संरचना कोश]] |
Revision as of 13:18, 21 February 2018
पी. सतशिवम
| |
पूरा नाम | पालानीसामी सतशिवम |
अन्य नाम | पी. सतशिवम |
जन्म | 27 अप्रैल, 1949 |
जन्म भूमि | तमिलनाडु |
नागरिकता | भारतीय |
पद | भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एवं केरल के वर्तमान राज्यपाल |
कार्यकाल | मुख्य न्यायाधीश- 19 जुलाई, 2013 से 27 अप्रैल, 2014 तक; राज्यपाल- 31 अगस्त, 2014 से अबतक |
अन्य जानकारी | पी. सदाशिवम द्वारा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पद धारण किए बिना ही सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश का पद ग्रहण किया गया था। आमतौर पर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ही सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति पाते हैं। |
अद्यतन | 12:47, 20 जनवरी 2015 (IST)
|
पी. सतशिवम अथवा पी. सदाशिवम (अंग्रेज़ी:P. Sathasivam, जन्म:27 अप्रैल, 1949) को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के 40वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में जाना जाता है। वे 19 जुलाई, 2013 से 27 अप्रैल, 2014 तक सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 19 जुलाई, 2013 शुक्रवार को उन्हें भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई थी। पी. सतशिवम को तमिलनाडु के ऐसे प्रथम व्यक्ति बनने का गौरव मिला था, जो भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद तक पहुँचा। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर का स्थान लिया था, जो गुरुवार, 18 जुलाई, 2013 को पदभार से मुक्त हुए थे। पी. सतशिवम केरल के वर्तमान राज्यपाल भी हैं।
जीवन परिचय
पी. सतशिवम का जन्म 27 अप्रैल, 1949 को हुआ था। उन्होंने जुलाई, 1973 में मद्रास में बतौर वकील पंजीकरण करवाया और जनवरी, 1996 में मद्रास उच्च न्यायालय के स्थाई न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए। इसके बाद अप्रैल, 2007 में उनका तबादला पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में कर दिया गया।
विशेष बिंदु
पी. सदाशिवम द्वारा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पद धारण किए बिना ही सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश का पद ग्रहण किया गया। आमतौर पर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ही सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति पाते हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश का पद इस न्यायालय के सबसे वरिष्ठतम न्यायाधीश को मिलता है। आपातकाल के बाद इस तरह की परम्परा कायम की गई। सर्वोच्च न्यायालय ने इस संबंध में निर्णय भी दिए हैं और वरिष्ठता सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्ति की तिथि से गिनी जाती है।
- अप्रैल 2007 में वह स्थानांतरित होकर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में नियुक्त किए गए.
- 64 वर्षीय पी सदाशिवम को वर्ष 1996 में मद्रास उच्च न्यायालय में स्थायी न्यायाधीश के रूप में शामिल किया गया था।
- वह भारत के प्रधान न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति पाने वाले तमिलनाडु से ताल्लुक़ रखने वाले पहले न्यायाधीश हैं। विदित हो कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 के तहत भारत के प्रधान न्यायाधीश की नियुक्ति का प्रावधान है। भारत के प्रथम प्रधान न्यायाधीश एच. जे. कानिया थे। एच. जे. कनिया को 26 जनवरी 1950 को भारत का प्रथम न्यायाधीश नियुक्त किया गया और वह इस पद पर 6 नवंबर 1951 तक रहे।
- न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर की तरह न्यायमूर्ति सदाशिवम भी उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए मौजूदा कोलेजियम व्यवस्था को खत्म करने के विरोध में हैं। इसके साथ ही उन्होंने स्वीकार किया है कि कोलेजियम व्यवस्था में कमियां हैं और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए प्रयास किए जा सकते हैं।
- सदाशिवम ने कई बड़े फैसले दिए हैं, जिनमें मुंबई विस्फोटों का मामला और पाकिस्तानी वैज्ञानिक मोहम्मद खलील चिश्ती का मामला भी शामिल है।
- न्यायमूर्ति सदाशिवम और न्यायमूर्ति बीसी चौहान ने मुंबई विस्फोटों के मामले में अभिनेता संजय दत्त और कई दूसरे अभियुक्तों की सजा को बरकरार रखा था।
- इनकी पीठ ने 1993 के विस्फोटों के मामले में पाकिस्तान की इस बात के लिए भर्त्सना की थी कि उसकी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई ने इन विस्फोटों को अंजाम देने वालों को प्रशिक्षण मुहैया कराया और वह अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपनी सरजमीं से होने वाले आतंकवादी हमलों को रोकने में नाकाम रही है।
- पाकिस्तानी वैज्ञानिक चिश्ती की सजा को रद्द करने वाला फैसला भी न्यायमूर्ति सदाशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिया था।
- न्यायमूर्ति सदाशिवम ने ऑस्ट्रेलियाई मिशनरी ग्राहम स्टेंस से जुड़े तिहरे हत्याकांड के मामले में भी फैसला सुनाया था।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ न्यायमूर्ति सदाशिवम बने देश के 40वें मुख्य न्यायाधीश (हिंदी) एनडीटीवी ख़बर। अभिगमन तिथि: 30 नवंबर, 2013।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
क्रमांक | राज्य | राज्यपाल/उपराज्यपाल | चित्र | कार्यकाल प्रारम्भ |