बणी-ठणी: Difference between revisions

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thumb|250px|बणी-ठणी बणी-ठणी (अंग्रेज़ी: Bani Thani) एक चित्र का नाम है, जो किशनगढ़ के राजा ने अपनी दासी का बनाया था। बणी-ठणी राजस्थानी भाषा के शब्द है, जिनका हिन्दी में अर्थ होता है- सजी-धजी। किशनगढ़, अजमेर के तत्कालीन राजा सावंतसिंह ने अपनी प्रेमिका जिनको कलावंती, लवलीज, उत्सव, प्रिया व नागर रमणी, राजस्थान की राधा, राजस्थान की मोनालिसा और कृतिनीन के नाम से जाना जाता है। दासी कलावंती का सन 1778 में एक चित्र बनाया गया। उसको 'बनी-ठनी' या 'बणी-ठणी' कहते है, क्योंकी सावंतसिंह ने अपनी दासी का रानियों जैसा शृंगार कर उनका चित्र बनाकर उसको 'बणी-ठणी' नाम दिया।[1]

भारत की मोनालिसा

बणी-ठणी एक भारतीय चित्र है जो किशनगढ़ चित्रकला से सम्बन्धित है। किशनगढ़ शैली के खोजकर्ता एरिक डिक्सन व डॅा. फैयाज अली थे। बणी-ठणी को भारत की मोनालिसा की संज्ञा एरिक डिक्सन ने दी। बणी-ठणी राजस्थाान के किशनगढ़ रियासत के तत्कालीन राजा सांवत सिंह की दासी व प्रेमिका थी। वह सौंदर्य की अदभुत मिसाल होने के साथ ही उच्च कोटी की कवयित्री भी थी। वह स्वयं रसीक बिहारी के नाम से कविता करती थी।[2]

एक बार राजा सावंत सिंह ने जो चित्रकार थे, इसे रानियों जैसी पौशाक व आभूषण पहनाकर एकांत में उसका एक चित्र बनाया और इस चित्र को नाम दिया 'बणी-ठणी'। राजा ने यह चित्र चित्रकार निहालचंद को दिखाया व निहालचंद ने इसमें कुछ संशोधन बताये। इस चित्र का चित्रण लगभग संवत 1755 से 1757 में हुआ। इस चित्र का आकार 48.8 X 36.6 से.मी. है।

अन्य नाम

बणी ठणी के अन्य नाम हैं-

  1. लवलीज
  2. उत्सव प्रिया
  3. कलावंती व नागर रमणी
  4. राजस्थान की मोनालिसा
  5. राजस्थान की राधा
  6. कृतिनीन

राजा सावंत सिंह के अन्य नाम- चितवन, नागरीदास, चितेरे, अनुरागी।

वर्तमान में बणी-ठणी का चित्र अजमेर संग्रहालय में सुरक्षित है। व इसकी एक प्रति अल्बर्ट हाॅल, पेरिस में सुरक्षित है। 5 मई, 1973 को बणी-ठणी का चित्र भारत सरकार के डाक विभाग द्वारा 20 पैसें के डाक टिकट पर जारी जारी किया गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारत की मोनालिसा (हिंदी) uniinfos.com। अभिगमन तिथि: 17 अक्टूबर, 2021।
  2. बणी-ठणी (हिंदी) rajasthangyan.com। अभिगमन तिथि: 17 अक्टूबर, 2021।

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