बान्द्रा-वर्ली समुद्र सेतु: Difference between revisions
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'''बान्द्रा-वर्ली समुद्र सेतु''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Bandra–Worli Sea Link'') [[मुंबई]], [[महाराष्ट्र]] में स्थित है, जिसे 'राजीव गांधी समुद्र सेतु' भी कहते हैं। यह [[भारत]] का सबसे लंबा समुद्री सेतु है। यह सेतु माहिम वे पर ब्रांद्रा को वर्ली से जोड़ता | '''बान्द्रा-वर्ली समुद्र सेतु''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Bandra–Worli Sea Link'') [[मुंबई]], [[महाराष्ट्र]] में स्थित है, जिसे 'राजीव गांधी समुद्र सेतु' भी कहते हैं। यह [[भारत]] का सबसे लंबा समुद्री सेतु है। यह सेतु माहिम वे पर ब्रांद्रा को वर्ली से जोड़ता है।<br /> | ||
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*यह बांद्रा को मुम्बई के पश्चिमी और दक्षिणी (वर्ली) उपनगरों से जोड़ता है और पश्चिमी-द्वीप महामार्ग प्रणाली का प्रथम चरण है। | *यह बांद्रा को मुम्बई के पश्चिमी और दक्षिणी (वर्ली) उपनगरों से जोड़ता है और पश्चिमी-द्वीप महामार्ग प्रणाली का प्रथम चरण है। | ||
*इस पुल का उद्घाटन [[30 जून]], [[2009]] को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन प्रमुख [[सोनिया गांधी]] द्वारा किया गया था, लेकिन जन साधारण के लिए इसे [[1 जुलाई]], 2009 को मध्य-रात्रि से खोला गया। | *इस पुल का उद्घाटन [[30 जून]], [[2009]] को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन प्रमुख [[सोनिया गांधी]] द्वारा किया गया था, लेकिन जन साधारण के लिए इसे [[1 जुलाई]], 2009 को मध्य-रात्रि से खोला गया। |
Latest revision as of 05:33, 9 March 2022
thumb|250px|बान्द्रा-वर्ली समुद्र सेतु
बान्द्रा-वर्ली समुद्र सेतु (अंग्रेज़ी: Bandra–Worli Sea Link) मुंबई, महाराष्ट्र में स्थित है, जिसे 'राजीव गांधी समुद्र सेतु' भी कहते हैं। यह भारत का सबसे लंबा समुद्री सेतु है। यह सेतु माहिम वे पर ब्रांद्रा को वर्ली से जोड़ता है।
- यह सेतु 5.6 किलोमीटर लंबा है। यह 8 लेन यातायात को नियंत्रित करता है।
- यह बांद्रा को मुम्बई के पश्चिमी और दक्षिणी (वर्ली) उपनगरों से जोड़ता है और पश्चिमी-द्वीप महामार्ग प्रणाली का प्रथम चरण है।
- इस पुल का उद्घाटन 30 जून, 2009 को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन प्रमुख सोनिया गांधी द्वारा किया गया था, लेकिन जन साधारण के लिए इसे 1 जुलाई, 2009 को मध्य-रात्रि से खोला गया।
- साढ़े पांच किलोमीटर लंबे इस पुल के बनने से बांद्रा और वर्ली के बीच यात्रा में लगने वाला समय 45 मिनट से घटकर मात्र 6-8 मिनट रह गया है।
- बान्द्रा-वर्ली समुद्र सेतु की योजना 1980 के दशक में बनायी गई थी।
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