पीलू मोदी

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पीलू मोदी (अंग्रेज़ी: Pillo Modi, जन्म- 14 नवम्बर, 1926; मृत्यु- 29 जनवरी, 1983) स्वतंत्र पार्टी के प्रमुख नेता थे। वह भारत में उदारवादी एवं मुक्त आर्थिक नीतियों के समर्थक थे। वह पारसी धर्म के अनुयायी थे। वह लोकसभा के सभासद भी थे। उनके भाई रूसी मोदी, टाटा की इस्पात कम्पनी 'टिस्को' के भूतपूर्व अध्यक्ष थे। आपातकाल (भारत) के समय सन 1975 में इन्दिरा गांधी ने पीलू मोदी को मीसा के अन्तर्गत गिरफ्तार करवा लिया था।

परिचय एवं शिक्षा

पीलू मोदी का जन्म 14 नवम्बर, 1926 एक मुम्बई के एक पारसी परिवार में हुआ था। इनके पिता सर होमी मोदी थे और माता लेडी 'जेराबाई' थीं। इनके दो भाई रूसी मोदी और काली मोदी थे। इनकी पत्नी का नाम वीना था। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा देहरादून के दून स्कूल में हुई और उनकी उच्चतर शिक्षा बर्कली के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में हुई जहाँ उन्होने वास्तुकला (आर्किटेक्चर) का अध्ययन किया। पीलू मोदी जुल्फिकार अली भुट्टो के नजदीकी मित्र थे एवं उन्होंने प्रसिद्ध पुस्तक "जुल्फी माय फ्रेंड" (Zulfy my Friend) लिखी।

कॅरियर

पीलू मोदी स्वतंत्र पार्टी के संस्थापक थे। यह गुजरात से चुनाव लड़कर सांसद बने फिर संसद से एक साल की अनुपस्थिति के बाद, 10 अप्रैल 1978 को यह राज्यसभा में शामिल हो गए और 1983 में अपनी मृत्यु तक वहां कार्य किया।

संसद में पीलू मोदी

स्वतंत्र पार्टी के संस्थापक पीलू मोदी किसी भी समय सदन का माहौल हल्का करने में माहिर थे, लेकिन अपनी अंग्रेजी की महारत से वह कई बार पीठासीन अधिकारी के कोप से बच भी जाते थे। एक बार पीलू सदन में बोल रहे थे। जेसी जैन उन्हें लगातार टोक रहे थे। पीलू मोदी ने झल्लाकर कहा स्टॉप बार्किंग (भौंकना बंद करो)। जैन ने आपत्ति की कि उन्हें कुत्ता कहा जा रहा है। इस पर पीठासीन अधिकारी ने इस टिप्पणी को कार्यवाही से निकाल दिया। पीलू कहां चुप रहने वाले। उन्होंने फिर कहा देन स्टॉप ब्रेयिंग (गधे की तरह रेंकना)। जैन की समझ में नहीं आया और यह टिप्पणी कार्यवाही का हिस्सा रह गई। पीलू मोदी अपने पर भी हंस सकते थे। एक दिन सदन में उन्हें एक सदस्य ने टोका कि पीठासीन अधिकारी की तरफ अपनी बैक (पीठ) करके मत बोलिए। भारी भरकम शरीर वाले पीलू मोदी का तपाक से जवाब आया, मैं तो गोल हूं।[1]

इंदिरा गांधी का आरोप

इंदिरा गांधी अक्सर यह आरोप लगाती रहती थी कि उनकी सरकार को विदेशी ताकतें ध्वस्त करने में जुटी है। पीलू मोदी उनके कट्टर विरोधियों में होते थे। जब इंदिरा गांधी ने एक बार फिर यह आरोप लगाया तो वे अगले दिन जो कमीज पहनकर आए उस पर लिखा हुआ था कि मैं सीआइए का एजेंट हूं। इस पर जबरदस्त हंगामा हुआ। उसके बाद आपातकाल (भारत) के समय सन 1975 में इन्दिरा गांधी ने पीलू मोदी को मीसा के अन्तर्गत गिरफ्तार करवा लिया था।[2]

संसद में हास-परिहास

एक बार जब वे सदन में खड़े होकर बोल रहे थे तो उनकी पीठ आसन की ओर थी। सीताराम केसरी तुरंत खड़े हुए और कहने लगे कि यह आसन का अपमान है वे उनकी ओर पीठ किए हुए हैं। इस पर तत्कालीन अध्यक्ष ने कहा कि आप इसकी चिंता मत कीजिए क्योंकि पीलू मोदी का आकार ऐसा है कि यह पता ही नहीं चलता है कि उनकी पीठ कहा हैं व पेट कहां है, यह सुनकर सदन में ठहाके फूट पड़े। मालूम हो कि वे काफी गोल मटोल थे।[2]

जुल्फिकार अली भुट्टो से मित्रता

केंद्र सरकार के पूर्व रियासतों को दी जाने वाली प्रिवीपर्स को समाप्त करने के बाद कुछ भूतपूर्व राजाओं ने स्वतंत्र पार्टी का गठन किया था। उस पार्टी की टिकट पर बहुत से सांसद लोकसभा में आये। पीलू मोदी बताते हैं कि 26 जून, 1972 में शिमला समझौते के पहले और बाद में उनकी जुल्फिकार अली भुट्टो से कम से कम दस घंटे तक मुलाकातें चलीं। उन मुलाकातों में पीलू मोदी, उनकी पत्नी वीना और पाकिस्तान के राष्ट्रपति भुट्टो (उस समय भुट्टो राष्ट्रपति थे) रहा करते थे और वे लोग अपने पुराने दिनों और मस्तियों को याद कर खूब हंसा करते थे। पीलू मोदी एक मात्र गैर-सरकारी मेहमान थे और उनकी भुट्टो से जितनी करीबी थी भारत में और किसी व्यक्ति की नहीं थी।[3]

शिमला समझौता

कहा जाता है कि इंदिरा गांधी और भुट्टो के बीच जिस शिमला समझौते पर दस्तख्त हुए थे उसकी पहली प्रति देखने का गौरव पीलू मोदी को प्राप्त हुआ था। देश के दूसरे लोगों और विश्व के पत्रकारों को बाद में। एक और प्रसंग को याद करते हुए पीलू मोदी ने बताया था कि शिखर वार्ता के कई दौर चले और टूट गये। भुट्टो के विदाई भोज के बाद एक बार फिर जब इंदिरा गांधी और भुट्टो में बातचीत चली तो अचानक दोनों नेताओं ने और वार्ता का प्रयास करने की सोची। वह प्रयास फलदायी रहा। शिमला के हिमाचल भवन में दोनों नेताओं में सहमति हुई। उस समय इलेक्ट्रॉनिक टाइपराइटर तलाशा गया। जब वह हिमाचल भवन में नहीं मिला तो ओबराय क्लार्स होटल से मंगाया गया और उस पर शिमला समझौता टाइप हुआ। मोदी के अनुसार यह पहला समझौता है जो किसी होटल की स्टेशनरी पर टाइप हुआ था। उसके बाद पाकिस्तान सरकार की मुहर ढूंढ़ी गयी, पता चला कि वार्ता में गतिरोध के कारण सामान में बांधकर वह लाहौर भेज दी गयी। लिहाजा बिना सरकारी मुहरों के ही इस समझौते की घोषणा हुई थी।[3]

कुशल वास्तुकार

स्वतंत्रता के बाद भारत ने अभी तक केवल एक ही नये शहर चड़ीगढ़ का निर्माण किया है। इसके वास्तुकार फ़्रांस के ही श्री लाॅ कार बूजिये थे। कार बूजिये के साथ वास्तुकार का कार्य इसी भारतीय संसद के महान सांसद 'स्वर्गीय पीलू मोदी ने किया था। संयोग है कि पीलू मोदी गुजरात से ही चुनाव लड़कर लोकसभा में आया करते थे।[4]


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टीका-टिप्पणी और संदर्भ

  1. हास्यरस से हीन राजनीति (हिंदी) jagran.com। अभिगमन तिथि: 30 सितम्बर, 2016।
  2. 2.0 2.1 सक्सैना, विवेक। राजनीती में अब नहीं हास-परिहास (हिंदी) नया इण्डिया। अभिगमन तिथि: 02 अक्टूबर, 2016।
  3. 3.0 3.1 पीलू मोदी व भुट्टो की दोस्ती (हिंदी) दैनिक ट्रिब्यून। अभिगमन तिथि: 02 अक्टूबर, 2016।
  4. अदमिन, अवध। आजादी के बाद से ही रहे भारत व फ्रांस के मधुर रिश्ते (हिंदी) दैनिक ट्रिब्यून। अभिगमन तिथि: 02 अक्टूबर, 2016।

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