मुम्बई बंदरगाह

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मुम्बई बंदरगाह (अंग्रेज़ी: Mumbai Port) भारत का ही नहीं विश्व का भी एक प्रमुख बंदरगाह है जो सालसट द्वीप पर स्थित है। इसीलिए मुंबई को भारत के द्वार की संज्ञा दी गयी। सभी बंदरगाहों से होने वाले कुल कारोबार का 20 प्रतिशत से भी अधिक कारोबार मुम्बई बंदरगाह द्वारा होता है|[1]

इतिहास

मुंबई बंदरगाह या फ्रंट बे, उल्हास नदी के दक्षिणी भाग का मुहाना है, जिसके उत्तरी (और संकरे) हिस्से को ठाणे कोल कहा जाता है। एलिफेंटा का ऐतिहासिक द्वीप इस बंदरगाह के अंतर्गत आने वाले छह द्वीपों में से एक है। यह मुंबई पोर्ट ट्रस्ट (मुंबई पत्तन न्यास) का आवास-स्थल है, जो बंदरगाह के पश्चिमी छोर के दक्षिणी भाग में अवस्थित है। मुंबई बंदरगाह का आधिकारिक नाम (Front Bay) फ्रंट बे है, यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि मुंबई, बंदरगाह की ओर मुंह किये एक छोटी-सी बस्ती के रूप में विकसित हुई थी। मूल व्यवस्थापन के पीछे का जलाधार, पूर्व कोलाबा के द्वीप और बंबई द्वीप के बीच मालाबार हिल के उच्च अंतरीप या प्रायद्वीप तक एक वृत्त-खंड बनाता है, जिसे इसी तरह बैक बे कहा जाता है। जवाहर लाल नेहरू पोर्ट और नवी मुंबई (नई मुंबई) मुख्य भूमि के पूर्व में अवस्थित है और मुंबई शहर (पहले बम्बई) साल्सेट द्वीप के पश्चिम में बसी है। बंदरगाह अरब सागर के दक्षिण की ओर खुलता है। एलीफेंटा जाने के लिए अपनी जेट्टी (घाट) के साथ गेटवे ऑफ़ इंडिया, साथ ही साथ जिसके मार्ग में भारतीय नौसेना पोत विक्रांत का समुद्री संग्रहालय भी है, एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बन गया है।

क्षमता

मुम्बई बंदरगाह पश्चिमी तट पर एक प्राकृतिक कटान में स्थित है यहां मानसून काल के तूफानों से भी ज़हाज सुरक्षित खड़े रह सकते हैं। समुद्र के निकट ज़हाजों के ठहरने के लिए 23 किलोमीटर लम्बी, 10 किलोमीटर चौड़ी तथा 7 मीटर गहरी एक खाड़ी-सी बन गई है। इसी में ज़हाज आकर ठहरते हैं। मुम्बई के बंदरगाह में जल की गहराई 11 मीटर है। इतनी गहराई में वे सभी आकर ठहर सकते है जो स्वेज नहर में से होकर निकल सकते हैं क्योंकि स्वेज नहर की गहराई भी इतनी ही है। मुंबई बंदरगाह यूरोप तथा संयुक्त राज्य अमरीका के निकट पड़ता है।

पृष्ठदेश

मुम्बई बंदरगाह के विकास में कई कारण सहायक रहे हैं, यूरोप से अन्य भारतीय बंदरगाहों की अपेक्षा अधिक निकटता, स्वेज नहर मार्ग तथा उत्तमाशा अंतरीप मार्ग पर इसकी मध्यवर्ती स्थिति, प्राकृतिक एवं विस्तृत पोताश्रय, साल भर खुला रहना, अपने पृष्ठदेश से रेलमार्गों, सड़कों तथा वायुमार्गों से जुड़ा होना और पश्चिमी घाटों पर जल-विद्युत् शक्ति के विकास के कारण एक प्रमुख औद्यौगिक नगर होना रहा है।

सुविधाएं

मुम्बई बंदरगाह के तीन मुख्य डॉक हैं। प्रिंस डॉक में 12, विक्टोरिया डॉक में 13 और एलैक्जेण्ड्रा डॉक में 18 बर्थ हैं। मुम्बई बंदरगाह में 2 शुष्क डॉक भी बनाये गये हैं। यहां मछुआरों के लिये भी विशेष सुविधा प्रदान की गई है। तटीय व्यापार की दृष्टी से भी मुम्बई बंदरगाह का महत्वपूर्ण स्थान है। एलैक्जेण्ड्रा डॉक के पश्चिम में 457 मीटर लम्बा लार्ड प्लेटफार्म दर्शनीय है। मुम्बई बंदरगाह के निकट ही पेट्रोलियम का विशाल गोदाम भी स्थित है। एक नया विशाल व बहूद्देश्यीय गोदाम बूचर द्वीप के पास बनाया गया है। अनाज रखने का भी एक विशाल गोदाम बनाया गया है। यहां के कपास के गोदाम में 178 अग्नि-सुरक्षित कमरे हैं, यह संसार के प्रसिद्ध एवं विशाल गोदामों में है। इन सभी गोदामों में अग्नि-सुरक्षा, अवागमन, अस्पताल, जलपान-गृह, आदि की सुविधाएं भी हैं।

निर्यात एवं आयात

मुम्बई बंदरगाह से चमड़े का सामान, तिलहन, लकड़ी, ऊन, इंजीनियरी सामान, कंटेनर सेवा, मोटरें, मशीन, ऊनी और सूती कपड़े, मैंगजीन, आदि वस्तुएं निर्यात की जाती हैं और विदेशों से ऊनी तथा रेशमी वस्त्र, मशीनें, कागज, रंग, फल, रासायनिक पदार्थ, मिट्टी का तेल और लोहेइस्पात का सामान आयात किया जाता है।

अन्य जानकारी

निकट ही न्हावाशेवा (जवाहर पोर्ट) विकसित किये जाने के कारण अब मुम्बई बंदरगाह पर निरंतर ज़हाजों का दबाव घटा है। साथ ही न्हावाशेवा के व्यापार में निरंतर वृद्धि होती जा रही है। सभी बंदरगाहों से होने वाले कुल कारोबार का 20 प्रतिशत से भी अधिक कारोबार मुम्बई बंदरगाह द्वारा होता है, जिसमें पेट्रोलियम पदार्थ तथा शुष्क माल प्रमुख है। यहां एक मुक्त व्यापार क्षेत्र स्थापित किया गया है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारत का भूगोल |लेखक: डॉ. चतुर्भुज मामोरिया |प्रकाशक: साहित्य भवन पब्लिकेशन्स, आगरा |पृष्ठ संख्या: 366 |

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