विटामिन सी

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[[चित्र:Lemon.jpg|thumb|300px|विटामिन सी का स्रोत नींबू]] विटामिन सी (अंग्रेज़ी: Vitamin C) मानव शरीर के लिए अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। इसे 'एस्कॉर्बिक एसिड' के नाम से भी जाना जाता है। यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसके नियमित सेवन से सर्दी, खांसी व अन्य तरह के संक्रमण होने का ख़तरा कम हो जाता है। इतना ही नहीं, यह अनेक प्रकार के कैंसर से भी बचाव करता है और हर तरह से स्वस्थ बनाए रखता है। सभी प्रकार के खट्टे पदार्थों में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जैसे- आँवला, नींबू, संतरा आदि।

संक्षिप्त परिचय

विटामिन सी को 'एस्कॉर्बिक एसिड' के नाम से भी जाना जाता है। यह हमारे शरीर की कार्य प्रणाली को सुचारू रूप से चलाने के लिए अति आवश्यक पोषक तत्वों में से एक है। विटामिन सी केवल इंसानों के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य स्पनपायी जानवरों के लिए भी ज़रूरी है। अन्तर सिर्फ इतना है कि बहुत से स्तनपायी जानवर अपने शरीर की कोशिकाओं की मदद से विटामिन सी उत्पन्न कर लेते हैं, जबकि मानव, गुरिल्ला इत्यादि ऐसा नहीं कर सकते। यही वजह है कि हमारे लिए विटामिन सी से भरपूर फलसब्जियों या फिर सप्लीमेंट्स का सेवन करना ज़रूरी हो जाता है। स्वस्थ रहने के लिए यह बेहद ज़रूरी है कि इसकी सही मात्रा ली जाए।[1]

आवश्यकता

मानव शरीर में विटामिन सी की भूमिका एक संरक्षक की होती है। यह पोषक तत्व फ्री रेडिकल्स से हमारी कोशिकाओं का बचाव करता है व हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिसके कारण सर्दी, खांसी व अन्य तरह के संक्रमण होने का खतरा कम होता है। इतना ही नहीं, यह अनेक प्रकार के कैंसर से भी बचाव करता है। साथ ही शरीर में विटामिन ई की सप्लाई को पुनर्जीवित करता है और आयरन के अवशोषण की क्षमता को भी बढ़ाता है। यह एक 'ऐंटि-एलर्जिक' व 'ऐंटि-ऑक्सिडेंट' के रूप भी काम करता है और दांत, मसूड़ों व आंखों को भी स्वस्थ रखने में भी मदद करता है।

कमी के लक्ष्मण

अक्सर सर्दी जुकाम होना, कमज़ोर रोग प्रतिरोधक क्षमता, थकावट, अचानक वजन कम होना, सूखे बाल होना, बालों का गिरना, त्वचा की असमान रंगत, घाव का धीरे भरना व दांत संबंधी समस्याएं, विटामिन सी की कमी के लक्षण माने जाते हैं। विटामिन सी अन्य पोषक तत्वों, जैसे- विटामिन ए व आयरन के साथ मिलकर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और शरीर को स्वस्थ बनाए रखता है। विटामिन सी घुलनशील होता है, इसलिए अतिरिक्त पोषक तत्व आसानी से पेशाब के रास्ते शरीर से बाहर निकल जाते हैं।

विशेषज्ञों की राय

[[चित्र:Oranges.jpg|thumb|250px|संतरा]] विशेषज्ञों के अनुसार बाज़ार में उपलब्ध कुछ खाद्य व पेय पदार्थ विटामिन सी फोटिफाइड होते हैं। फोटिफाइड का अर्थ होता है कि उनमें विटामिन सी मिलाया जाता है। उन उत्पादों में विटामिन सी की सही मात्रा जानने के लिए हमेशा उनमें विटामिन सी का लेवल पढ़ना चाहिए। विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थों को गैस या अवन में पकाने या उबालने व अधिक समय तक स्टोर करके रखने से उनकी पौष्टिकता कम हो जाती है। इसलिए विटामिन सी का अधिक से अधिक लाभ उठाने के लिए कच्चे फल व सब्जियां ही खाएं। सप्लीमेंट्स के रूप में भी विटामिन सी का सेवन किया जा सकता है, लेकिन डॉक्टर की सलाह लेकर ही ऐसा करना चाहिए, क्योंकि अत्यधिक मात्रा में इसका सेवन करने से पेट खराब होने, उबकाई आने या शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने का खतरा रहता है। शरीर के सभी प्रमुख अंगों, जैसे- दिमाग, फेफड़े, अग्नाशय और गुर्दे इत्यादि को सही ढंग से काम करने के लिए विटामिन सी की ज़रूरत होती है।[1]

'विटामिन सी अन्य पोषक तत्वों जैसे विटामिन ए व आयरन के साथ मिलकर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और शरीर को स्वस्थ बनाए रखता है। विटामिन सी घुलनशील होता है, इसलिए अतिरिक्त पोषक तत्व आसानी से यूरिन के रास्ते शरीर से बाहर निकल जाते हैं।' 'सर्दी जुकाम होना, कमज़ोर रोग प्रतिरोधक क्षमता, थकावट, अचानक वजन कम होना, ड्राई बाल, बालों का गिरना, त्वचा की असमान रंगत, घाव का धीरे भरना व दांत संबंधी समस्याएं, विटामिन सी की कमी के लक्षण माने जाते हैं।

स्रोत

'विटामिन सी' के प्रमुख स्रोत हैं- खट्टे रसदार फल, जैसे- आंवला, नारंगी, नींबू, संतरा, बेर, बिल्व, कटहल, शलगम, पुदीना, अंगूर, टमाटर, आदि एवं अमरूद, सेब, केला, मूली के पत्ते, मुनक्का, दूध, चुकंदर, चौलाई, बंदगोभी, हरा धनिया और पालक। इसके अलावा दालें भी विटामिन सी का स्रोत होती हैं।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 संजीवनी बूटी है विटामिन सी (हिन्दी) नवभारत टाइम्स। अभिगमन तिथि: 30 दिसम्बर, 2014।
  2. क्यों ज़रूरी है विटामिन सी (हिन्दी) बोल्ड स्काई। अभिगमन तिथि: 30 दिसम्बर, 2014।

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