नैंसी वेक

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नैंसी ग्रेस ऑगस्ता वेक (अंग्रेज़ी: Nancy Grace Augusta Wake, जन्म- 30 अगस्त, 1912; मृत्यु- 7 अगस्त, 2011) दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान प्रसिद्ध महिला लड़ाकों में से एक थीं। कई मायनों में उनकी शख्सियत बेहद विराट थी। नैंसी वेक की छवि एक भयंकर लड़ाके की थी। साथ ही उन्हें एक जबरदस्त तरीके से फ़्लर्ट करने वाली और दारू पीने वाली महिला के तौर पर भी जाना जाता है। नाज़ियों से उनकी दुश्मनी मशहूर है।

परिचय

नैंसी वेक न्यूज़ीलैंड में जन्मीं, लेकिन उनका पालन-पोषण ऑस्ट्रेलिया में हुआ। 16 साल की उम्र में नैंसी स्कूल से भाग गईं और फ्रांस में बतौर पत्रकार काम करने लगीं। माना जाता है कि उन्होंने यह नौकरी पाने के लिए झूठ बोला कि वह मिस्र के इतिहास के बारे में बहुत कुछ जानतीं हैं और इस बारे में लिखना चाहती हैं। वहां उन्हें फ्रेंच कारोबारी हेनरी फिओक्का मिले। दोनों लोगों ने विवाह कर लिया।

दूसरे विश्वयुद्ध में भागीदारी

सन 1939 में जब जर्मनों ने फ्रांस पर हमला किया, तब नैंसी वेक मर्सिले में रह रही थीं। नैंसी वेक फ्रांसीसी प्रतिरोध के साथ जुड़ गईं और उन्होंने सहयोगी वायु सैनिकों को स्पेन में सुरक्षित स्थानों तक पहुंचने में मदद दी। जब 1942 में उनके नेटवर्क को धोखा दिया गया और उनकी जानकारियां जर्मनों को दी गईं तो वह स्पेन होते हुए ब्रिटेन भाग गईं।[1]

उनके पति हेनरी फिओक्का फ्रांस में ही छूट गए थे और उन्हें पकड़ लिया गया। नाज़ियों ने उन्हें प्रताड़ित किया और उन्हें मार दिया। नैंसी वेक फ्रांस वापस पहुंच गईं और उन्होंने ब्रिटिश स्पेशल ऑपरेशंस एग्जिक्यूटिव (एसओई) एजेंट्स के साथ काम करना शुरू कर दिया। इस दौरान वह कई ख़तरनाक मिशनों में शामिल हुईं। माना जाता है कि उन्होंने एक बार केवल हाथों से ही एक जर्मन संतरी को मार दिया था।

सन 1990 के दशक में एक टीवी इंटरव्यू में नैंसी वेक ने बताया, "उन्होंने एसओई में मुझे यह जूडो-चॉप स्किल सिखाई थी। मैंने इसकी खूब प्रैक्टिस की थी, लेकिन, मैंने पहली बार ही इसका इस्तेमाल जंग में किया और एक बार में ही वह संतरी मारा गया।"

व्हाइट माउस

जंग में बेहद अहम सहयोगी देशों के रेडियो कोड्स खो जाने के बाद नैंसी वेक ने 500 कि.मी. की दूरी साइकिल से तय करके दुश्मन के इलाके में घुसकर इसके रिप्लेसमेंट लाने का फैसला किया। उन्होंने कहा था कि उन्होंने यह काम महज तीन दिन में कर दिखाया था। वह तैयार होकर जर्मनियों के साथ डेटिंग पर जाती थीं ताकि उनकी जानकारियां हासिल कर सकें।

एक ऑस्ट्रेलियाई समाचार पत्र को उन्होंने बताया था, "थोड़ा सा पाउडर और रास्ते में थोड़ी सी शराब पीकर मैं जर्मन पोस्ट्स से गुजरती थी और उनसे पूछती थी कि क्या वे मेरी तलाशी लेना चाहेंगे। हे भगवान, मैं कितना फ्लर्ट करती थी।" उनकी जीवनी लिखने वाले पीटर फिट्ज़सिमोन्स बताते हैं कि वे कई दफ़ा जर्मनों के चंगुल में आते-आते बची थीं। उनकी बचने की कला से ही जर्मन उन्हें व्हाइट माउस कहकर बुलाते थे। उनकी जीवनी का भी यही नाम है।

मृत्यु

नैंसी वेक को युद्ध के बाद कई पुरस्कार मिले। उनकी मौत लंदन में 7 अगस्त, 2011 में 98 साल की उम्र में हुई। उन्होंने इच्छा जताई थी कि उनकी अस्थियां फ्रांस में बिखेर दी जाएं।


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