Difference between revisions of "कच्छ का रण"

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*'''कच्छ का रण''' [[गुजरात]] राज्य में [[कच्छ ज़िला|कच्छ ज़िले]] के उत्तर तथा पूर्व में फैला हुआ एक नमकीन दलदल का वीरान स्थल है।  
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[[चित्र:Rann-Of-Kachchh.jpg|thumb|250px|कच्छ का रण, [[कच्छ]], [[गुजरात]]]]
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*'''कच्छ का रण''' [[गुजरात]] राज्य में [[कच्छ]] ज़िले के उत्तर तथा पूर्व में फैला हुआ एक नमकीन दलदल का वीरान स्थल है।  
 
*कच्छ का रण लगभग 23,300 वर्ग कि.मी. क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यह समुद्र का ही एक सँकरा अंग है जो [[भूकंप]] के कारण संभवत: अपने मौलिक तल को ऊपर उभर आया है और परिणामस्वरूप समुद्र से पृथक हो गया है।  
 
*कच्छ का रण लगभग 23,300 वर्ग कि.मी. क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यह समुद्र का ही एक सँकरा अंग है जो [[भूकंप]] के कारण संभवत: अपने मौलिक तल को ऊपर उभर आया है और परिणामस्वरूप समुद्र से पृथक हो गया है।  
 
*[[सिकंदर]] महान के समय यह नौगम्य झील था। उत्तरी रण, जो लगभग 257 कि.मी. में फैला हुआ है। पूर्वी रण अपेक्षाकृत छोटा है। इसका क्षेत्रफल लगभग 5,178 वर्ग कि.मी. है।  
 
*[[सिकंदर]] महान के समय यह नौगम्य झील था। उत्तरी रण, जो लगभग 257 कि.मी. में फैला हुआ है। पूर्वी रण अपेक्षाकृत छोटा है। इसका क्षेत्रफल लगभग 5,178 वर्ग कि.मी. है।  
 
*[[मार्च]] से [[अक्टूबर]] मास तक यह क्षेत्र अगम्य हो जाता है। सन 1819 ई. के भूकंप में उत्तरी रण का मध्य भाग किनारों की अपेक्षा अधिक ऊपर उभर गया। इसके परिणामस्वरूप मध्य भाग सूखा तथा किनारे पानी, कीचड़ तथा दलदल से भरे हैं। ग्रीष्म काल में दलदल सूखने पर [[लवण (रसायन विज्ञान)|लवण]] के श्वेत कण [[सूर्य (तारा)|सूर्य]] के [[प्रकाश]] में चमकने लगते हैं।
 
*[[मार्च]] से [[अक्टूबर]] मास तक यह क्षेत्र अगम्य हो जाता है। सन 1819 ई. के भूकंप में उत्तरी रण का मध्य भाग किनारों की अपेक्षा अधिक ऊपर उभर गया। इसके परिणामस्वरूप मध्य भाग सूखा तथा किनारे पानी, कीचड़ तथा दलदल से भरे हैं। ग्रीष्म काल में दलदल सूखने पर [[लवण (रसायन विज्ञान)|लवण]] के श्वेत कण [[सूर्य (तारा)|सूर्य]] के [[प्रकाश]] में चमकने लगते हैं।
  
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Revision as of 12:29, 11 March 2011

[[chitr:Rann-Of-Kachchh.jpg|thumb|250px|kachchh ka ran, kachchh, gujarat]]

  • kachchh ka ran gujarat rajy mean kachchh zile ke uttar tatha poorv mean phaila hua ek namakin daladal ka viran sthal hai.
  • kachchh ka ran lagabhag 23,300 varg ki.mi. kshetraphal mean phaila hua hai. yah samudr ka hi ek sankara aang hai jo bhookanp ke karan sanbhavat: apane maulik tal ko oopar ubhar aya hai aur parinamasvaroop samudr se prithak ho gaya hai.
  • sikandar mahan ke samay yah naugamy jhil tha. uttari ran, jo lagabhag 257 ki.mi. mean phaila hua hai. poorvi ran apekshakrit chhota hai. isaka kshetraphal lagabhag 5,178 varg ki.mi. hai.
  • march se aktoobar mas tak yah kshetr agamy ho jata hai. san 1819 ee. ke bhookanp mean uttari ran ka madhy bhag kinaroan ki apeksha adhik oopar ubhar gaya. isake parinamasvaroop madhy bhag sookha tatha kinare pani, kich d tatha daladal se bhare haian. grishm kal mean daladal sookhane par lavan ke shvet kan soory ke prakash mean chamakane lagate haian.

kachchh ka ran chitr vithika


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

sanbandhit lekh