Difference between revisions of "नागार्जुनकोंडा"
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− | + | '''नागार्जुनकोंडा''' [[आंध्र प्रदेश]] राज्य के [[नलगोंडा ज़िला|नलगोंडा ज़िले]] में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है। | |
*[[हैदराबाद]] से 100 मील दक्षिण-पूर्व की ओर स्थित नागार्जुनकोंडा एक प्राचीन स्थान है। | *[[हैदराबाद]] से 100 मील दक्षिण-पूर्व की ओर स्थित नागार्जुनकोंडा एक प्राचीन स्थान है। | ||
*यह [[बौद्ध]] महायान के प्रसिद्ध [[नागार्जुन बौद्धाचार्य|आचार्य नागार्जुन]] (द्वितीय शताब्दी) ई. के नाम पर प्रसिद्ध है। | *यह [[बौद्ध]] महायान के प्रसिद्ध [[नागार्जुन बौद्धाचार्य|आचार्य नागार्जुन]] (द्वितीय शताब्दी) ई. के नाम पर प्रसिद्ध है। | ||
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*'हाल' नामक सातवाहन राजा ने [[नागार्जुन]] के लिए श्री पर्वत शिखर पर एक विहार बनवाया था। | *'हाल' नामक सातवाहन राजा ने [[नागार्जुन]] के लिए श्री पर्वत शिखर पर एक विहार बनवाया था। | ||
*यह स्थान [[बौद्ध धर्म]] की महायान शाखा का भी काफ़ी समय तक प्रचार केन्द्र रहा। | *यह स्थान [[बौद्ध धर्म]] की महायान शाखा का भी काफ़ी समय तक प्रचार केन्द्र रहा। | ||
− | + | *[[सातवाहन|सातवाहनों]] के पश्चात इक्ष्वाकु नरेशों ने यहाँ राज्य किया। | |
− | *सातवाहनों के पश्चात इक्ष्वाकु नरेशों ने यहाँ राज्य किया। | ||
*नागार्जुनकोंडा इक्ष्वाकु राजाओं के समय एक सुन्दर नगर था। | *नागार्जुनकोंडा इक्ष्वाकु राजाओं के समय एक सुन्दर नगर था। | ||
− | *[[कृष्णा नदी]] के तट पर स्थित तथा चतुर्दिक पर्वत मालाओं से परिवृत्त यह नगर प्राकृतिक सौन्दर्य से समंवित होने के साथ ही दुर्भेद्य दुर्ग की भाँति सुरक्षित भी था। | + | *[[कृष्णा नदी]] के [[तट]] पर स्थित तथा चतुर्दिक पर्वत मालाओं से परिवृत्त यह नगर प्राकृतिक सौन्दर्य से समंवित होने के साथ ही दुर्भेद्य दुर्ग की भाँति सुरक्षित भी था। |
*यहाँ से नौ बौद्ध [[स्तूप|स्तूपों]] के अवशेष लगभग 50 वर्ष पूर्व उत्खनित किये गये थे। | *यहाँ से नौ बौद्ध [[स्तूप|स्तूपों]] के अवशेष लगभग 50 वर्ष पूर्व उत्खनित किये गये थे। | ||
*ये इस नगर के प्राचीन गौरव एवं ऐश्वर्य के साक्षी हैं। | *ये इस नगर के प्राचीन गौरव एवं ऐश्वर्य के साक्षी हैं। | ||
− | *उत्खनन में प्राप्त यहाँ के अवशेषों में एक स्तूप, दो चैत्य और एक विहार हैं। | + | *[[उत्खनन]] में प्राप्त यहाँ के अवशेषों में एक स्तूप, दो चैत्य और एक विहार हैं। |
− | *स्तूप के निकट [[बुद्ध]] के जीवन के दृश्यों को व्यक्त करने वाले चूने के पत्थर के टुकड़े मिले हैं। | + | *[[स्तूप]] के निकट [[बुद्ध]] के जीवन के दृश्यों को व्यक्त करने वाले चूने के पत्थर के टुकड़े मिले हैं। |
*[[हिन्दू धर्म]] के पुनरुत्थान से नागार्गुनकोंडा का महत्त्व घटने लगा। | *[[हिन्दू धर्म]] के पुनरुत्थान से नागार्गुनकोंडा का महत्त्व घटने लगा। | ||
− | + | *नागार्जुनकोंडा से प्राप्त [[अभिलेख|अभिलेखों]] से यह ज्ञात होता है, कि पहली शताब्दी ई. में [[भारत]] का [[चीन]], यूनानी जगत तथा [[लंका]] से सम्बन्ध स्थापित था। | |
− | *नागार्जुनकोंडा से प्राप्त अभिलेखों से यह ज्ञात होता है, कि पहली शताब्दी ई. में [[भारत]] का [[चीन]], यूनानी जगत तथा [[लंका]] से सम्बन्ध स्थापित था। | ||
*नागार्जुनकोंडा के एक अभिलेख से स्थविरों के संघों का ज्ञान होता है, जिन्होंने [[कश्मीर]], [[गांधार]], चीन, किरात, तोसलि, [[यवन]], ताम्रपर्णी द्वीपों में बौद्ध धर्म फैलाया था। | *नागार्जुनकोंडा के एक अभिलेख से स्थविरों के संघों का ज्ञान होता है, जिन्होंने [[कश्मीर]], [[गांधार]], चीन, किरात, तोसलि, [[यवन]], ताम्रपर्णी द्वीपों में बौद्ध धर्म फैलाया था। | ||
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Revision as of 06:53, 9 February 2012
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nagarjunakoanda aandhr pradesh rajy ke nalagoanda zile mean sthit ek aitihasik nagar hai.
- haidarabad se 100 mil dakshin-poorv ki or sthit nagarjunakoanda ek prachin sthan hai.
- yah bauddh mahayan ke prasiddh achary nagarjun (dvitiy shatabdi) ee. ke nam par prasiddh hai.
- pratham shatabdi mean yahaan satavahan nareshoan ka rajy tha.
- 'hal' namak satavahan raja ne nagarjun ke lie shri parvat shikhar par ek vihar banavaya tha.
- yah sthan bauddh dharm ki mahayan shakha ka bhi kafi samay tak prachar kendr raha.
- satavahanoan ke pashchat ikshvaku nareshoan ne yahaan rajy kiya.
- nagarjunakoanda ikshvaku rajaoan ke samay ek sundar nagar tha.
- krishnaa nadi ke tat par sthit tatha chaturdik parvat malaoan se parivritt yah nagar prakritik saundary se samanvit hone ke sath hi durbhedy durg ki bhaanti surakshit bhi tha.
- yahaan se nau bauddh stoopoan ke avashesh lagabhag 50 varsh poorv utkhanit kiye gaye the.
- ye is nagar ke prachin gaurav evan aishvary ke sakshi haian.
- utkhanan mean prapt yahaan ke avasheshoan mean ek stoop, do chaity aur ek vihar haian.
- stoop ke nikat buddh ke jivan ke drishyoan ko vyakt karane vale choone ke patthar ke tuk de mile haian.
- hindoo dharm ke punarutthan se nagargunakoanda ka mahattv ghatane laga.
- nagarjunakoanda se prapt abhilekhoan se yah jnat hota hai, ki pahali shatabdi ee. mean bharat ka chin, yoonani jagat tatha lanka se sambandh sthapit tha.
- nagarjunakoanda ke ek abhilekh se sthaviroan ke sanghoan ka jnan hota hai, jinhoanne kashmir, gaandhar, chin, kirat, tosali, yavan, tamraparni dvipoan mean bauddh dharm phailaya tha.
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