Difference between revisions of "अशोक चिह्न"

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[[चित्र:Ashok-emblem.jpg|thumb|250px|अशोक चिह्न <br />Ashok Emblem]]
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{{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय
'''राष्‍ट्रचिह्न / [[भारत]] का कुलचिह्न / राजकीय प्रतीक'''
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|चित्र=Ashok-emblem.jpg
 
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|चित्र का नाम=अशोक चिह्न
[[भारत]] का राष्‍ट्रचिह्न [[सारनाथ]] स्थित [[अशोक]] के [[सिंह]] स्तंभ की अनुकृति है, जो सारनाथ के संग्रहालय में सुरक्षित है। मूल स्तंभ में शीर्ष पर चार सिंह हैं, जो एक-दूसरे की ओर पीठ किए हुए हैं। इसके नीचे घंटे के आकार के पद्म के ऊपर एक चिह्न वल्लरी में एक [[हाथी]], चौकड़ी भारता हुआ एक [[घोड़ा]], एक [[सांड]] तथा एक सिंह की उभरी हुई मूर्तियां हैं, इसके बीच-बीच में चक्र बने हुए हैं। एक ही पत्थर को काटकर बनाए गए इस सिंह स्तंभ के ऊपर क़ानून का चक्र 'धर्मचक्र' रखा हुआ है।
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|विवरण=अशोक चिह्न [[भारत]] का राजकीय प्रतीक है। इसको [[सारनाथ]] में मिली अशोक लाट से लिया गया है।
 
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|शीर्षक 1=रूपरेखा
भारत सरकार ने यह चिह्न [[26 जनवरी]], [[1950]] को अपनाया। इसमें केवल तीन सिंह दिखाई पड़ते हैं, चौथा दिखाई नहीं देता। पट्टी के मध्य में उभरी हुई नक्काधी में चक्र है, जिसके दाईं ओर एक सांड और बाईं ओर एक घोड़ा है। दाएं तथा बाएं छोरों पर अन्य चक्रों के किनारे हैं। आधार का पद्म छोड़ दिया गया है। फलक के नीचे मुंडकोपनिषद् का सूत्र ''''[[सत्यमेव जयते]]'''' [[देवनागरी लिपि]] में अंकित है, जिसका अर्थ है- ''''सत्य की ही विजय होती है''''।
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|पाठ 1=[[घंटा|घंटे]] के आकार के पद्म के ऊपर एक चिह्न वल्लरी में एक [[हाथी]], चौकड़ी भारता हुआ एक घोड़ा, एक सांड तथा एक सिंह की उभरी हुई मूर्तियां हैं, इसके बीच-बीच में चक्र बने हुए हैं।
 
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|शीर्षक 2=अंगीकृत
{{प्रचार}}
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|पाठ 2=[[26 जनवरी]], [[1950]]  
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|संबंधित लेख=
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|अन्य जानकारी=फलक के नीचे [[मुण्डकोपनिषद]] का सूत्र ''''[[सत्यमेव जयते]]'''' [[देवनागरी लिपि]] में अंकित है, जिसका अर्थ है- ''''सत्य की ही विजय होती है''''।
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'''अशोक चिह्न''' [[भारत]] का राजकीय प्रतीक है। भारत का राष्‍ट्रचिह्न [[सारनाथ]] स्थित [[अशोक]] के [[सिंह]] स्तंभ की अनुकृति है, जो [[सारनाथ संग्रहालय|सारनाथ के संग्रहालय]] में सुरक्षित है। मूल स्तंभ में शीर्ष पर चार सिंह हैं, जो एक-दूसरे की ओर पीठ किए हुए हैं। इसके नीचे [[घंटा|घंटे]] के आकार के पद्म के ऊपर एक चिह्न वल्लरी में एक [[हाथी]], चौकड़ी भारता हुआ एक घोड़ा, एक सांड तथा एक सिंह की उभरी हुई मूर्तियां हैं, इसके बीच-बीच में चक्र बने हुए हैं। एक ही पत्थर को काटकर बनाए गए इस सिंह स्तंभ के ऊपर क़ानून का चक्र '[[धर्मचक्र]]' रखा हुआ है।
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==मुख्य बिंदु==
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* भारत सरकार ने यह चिह्न [[26 जनवरी]], [[1950]] को अपनाया।
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* इसमें केवल तीन सिंह दिखाई पड़ते हैं, चौथा दिखाई नहीं देता।
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* पट्टी के मध्य में उभरी हुई नक्काधी में चक्र है, जिसके दाईं ओर एक सांड और बाईं ओर एक घोड़ा है। दाएं तथा बाएं छोरों पर अन्य चक्रों के किनारे हैं।
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* आधार का पद्म छोड़ दिया गया है।
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* फलक के नीचे [[मुण्डकोपनिषद]] का सूत्र ''''[[सत्यमेव जयते]]'''' [[देवनागरी लिपि]] में अंकित है, जिसका अर्थ है- ''''सत्य की ही विजय होती है''''।
  
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{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
{{राष्ट्रीय चिन्ह और प्रतीक}}
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{{राष्ट्रीय चिह्न और प्रतीक}}
[[Category:राष्ट्रीय_चिन्ह_और_प्रतीक]]
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[[Category:गणराज्य संरचना कोश]]
 
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Latest revision as of 07:09, 5 August 2014

ashok chihn
vivaran ashok chihn bharat ka rajakiy pratik hai. isako saranath mean mili ashok lat se liya gaya hai.
rooparekha ghante ke akar ke padm ke oopar ek chihn vallari mean ek hathi, chauk di bharata hua ek gho da, ek saand tatha ek sianh ki ubhari huee moortiyaan haian, isake bich-bich mean chakr bane hue haian.
aangikrit 26 janavari, 1950
any janakari phalak ke niche mundakopanishad ka sootr 'satyamev jayate' devanagari lipi mean aankit hai, jisaka arth hai- 'saty ki hi vijay hoti hai'.

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ashok chihn bharat ka rajakiy pratik hai. bharat ka rashh‍trachihn saranath sthit ashok ke sianh stanbh ki anukriti hai, jo saranath ke sangrahalay mean surakshit hai. mool stanbh mean shirsh par char sianh haian, jo ek-doosare ki or pith kie hue haian. isake niche ghante ke akar ke padm ke oopar ek chihn vallari mean ek hathi, chauk di bharata hua ek gho da, ek saand tatha ek sianh ki ubhari huee moortiyaan haian, isake bich-bich mean chakr bane hue haian. ek hi patthar ko katakar banae ge is sianh stanbh ke oopar qanoon ka chakr 'dharmachakr' rakha hua hai.

mukhy biandu

  • bharat sarakar ne yah chihn 26 janavari, 1950 ko apanaya.
  • isamean keval tin sianh dikhaee p date haian, chautha dikhaee nahian deta.
  • patti ke madhy mean ubhari huee nakkadhi mean chakr hai, jisake daeean or ek saand aur baeean or ek gho da hai. daean tatha baean chhoroan par any chakroan ke kinare haian.
  • adhar ka padm chho d diya gaya hai.
  • phalak ke niche mundakopanishad ka sootr 'satyamev jayate' devanagari lipi mean aankit hai, jisaka arth hai- 'saty ki hi vijay hoti hai'.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

sanbandhit lekh