हनुमानगढ़ पर्यटन: Difference between revisions

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हनुमानगढ़, राजस्थान का एक आकर्षक पर्यटन स्थल है। यहाँ एक प्राचीन क़िला है, जिसका पुराना नाम भटनेर था। [[मंगलवार]] के दिन अधिकार होने के कारण इस क़िले में एक छोटा सा [[हनुमान]] जी का मंदिर बनवाया गया तथा उसी दिन से उसका नाम हनुमानगढ़ रखा गया। घग्घर के आस-पास का प्रदेश होने के कारण यह [[बीकानेर]] का संपन्न भाग था तथा यहाँ शिल्पकला एवं हस्तकला का काफ़ी विकास हुआ।  
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[[चित्र:Hanuman-Statue-Hanumangarh.jpg|[[हनुमान|हनुमानजी]] की मूर्ति, हनुमानगढ़|250px|thumb]]
हनुमानगढ़, [[राजस्थान]] का एक आकर्षक पर्यटन स्थल है। यहाँ एक प्राचीन क़िला है, जिसका पुराना नाम भटनेर था। [[मंगलवार]] के दिन इस क़िले अधिकार होने के कारण इस क़िले में एक छोटा सा [[हनुमान]] जी का मंदिर बनवाया गया तथा उसी दिन से उसका नाम 'हनुमानगढ़' रखा गया। [[घग्घर नदी|घग्घर]] के आस-पास का प्रदेश होने के कारण यह [[बीकानेर]] का संपन्न भाग था तथा यहाँ शिल्पकला एवं हस्तकला का काफ़ी विकास हुआ।  
==भटनेर क़िला==
==भटनेर क़िला==
{{मुख्य|भटनेर क़िला हनुमानगढ़}}
{{मुख्य|भटनेर क़िला हनुमानगढ़}}
*भटनेर किला काफ़ी पुराना क़िला है।  
*भटनेर क़िला काफ़ी पुराना क़िला है।  
*घाघहर नदी के किनारे भटनेर दुर्ग स्थित है। भूपत के पुत्र अभय राव भाटी ने 295 ई. में इस किले का निर्माण करवाया था। यह किला भारतीय इतिहास की कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी भी रहा है। मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच प्रसिद्ध तराइन का युद्ध यहीं पर हुआ था। कुतुबुद्दीन ऐबक, तैमूर और अकबर ने भी भटनेर में शासन किया है। तैमूर ने अपनी आत्‍मकथा तुजुक-ए-तैमूरी में लिखा है कि मैंने इस किले के समान हिन्दुस्तान के किसी अन्‍य किले को सुरक्षित और शाक्तिशाली नहीं पाया है। बीकानेर के सम्राट सूरत सिंह ने 1805 ई. में भाटी से लड़ाई जीत कर इस स्थान पर क़ब्ज़ा कर लिया था। जिस दिन वह लड़ाई जीते उस दिन मंगलवार था। हनुमानगढ़ को तभी से भटनेर के साथ हनुमानगढ़ के नाम से भी जाना जाता है।  
*भटनेर क़िला घग्घर नदी के किनारे स्थित है।
==कालीबंगा संग्रहालय==
 
{{मुख्य|कालीबंगा संग्रहालय हनुमानगढ़}}
*कालीबंगा संग्रहालय हनुमानगढ़ से लगभग बीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस संग्रहालय में कई प्रकार की प्राचीन वस्तुएँ रखी हुई हैं।  कालीबंगा संग्रहालय में विभिन्न समान जैसे आभूषण, खिलौने और पुराने शहरों की तस्वीरें और बरतन आदि देखे जा सकते हैं।
==संगारिया संग्रहालय==
==संगारिया संग्रहालय==
{{मुख्य|संगारिया संग्रहालय हनुमानगढ़ }}  
{{मुख्य|संगारिया संग्रहालय हनुमानगढ़ }}  
*संगारिया संग्रहालय संगारिया से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।  
*संगारिया संग्रहालय संगारिया से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।  
*इस संग्रहालय में देश की विभिन्न जगहों से चिकनी मिट्टी, पत्थर और धातु की बनी मूर्तियाँ, पुराने सिक्के आदि को प्रदर्शित किया गया है।  
*इस संग्रहालय में देश की विभिन्न जगहों से चिकनी मिट्टी, पत्थर और धातु की बनी मूर्तियाँ, पुराने सिक्के आदि को प्रदर्शित किया गया है।  
*इसके अलावा इस संग्रहालय में देवी पार्वती की 600 से 900 वर्ष पुरानी मूर्ति है।
==सिल्ला माता मंदिर==
{{मुख्य|सिल्ला माता मंदिर हनुमानगढ़}}
*सिल्ला माता का मंदिर अठारहवीं शताब्दी में स्थापित है।
*सिल्ला माता का मंदिर साम्प्रदायिक सद्‌भाव का सबसे अच्छा उदाहरण है।
 
==गोगामेड़ी मंदिर==
{{मुख्य|गोगामेड़ी मंदिर हनुमानगढ़}}
*गोगामेड़ी मंदिर साम्प्रदायिक व राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है।
*इस मंदिर में प्रार्थना करने के लिए विभिन्न धर्मो के लोग देश-विदेश से आते हैं।
==कालीबंगा==
[[चित्र:Kalibanga.jpg|thumb|[[कालीबंगा]] के [[अवशेष]]|250px]]
{{मुख्य|कालीबंगा हनुमानगढ़ }}
*कालीबंगा [[भारत]] की प्राचीनतम संस्‍कृति [[हड़प्पा संस्कृति|हड़प्‍पा संस्‍कृति]] का एक प्रमुख केंद्र था।
*यहाँ पर 5000 ईसा पूर्व की [[सिन्धु घाटी सभ्यता]] का केंद्र है जहाँ एक संग्रहालय भी है।
 
==कालीबंगा संग्रहालय==
{{मुख्य|कालीबंगा संग्रहालय}}
*कालीबंगा संग्रहालय हनुमानगढ़ से लगभग बीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।


*संगरिया संग्रहालय में पंद्रहवीं शताब्दी की तीर्थंकर शांतिनाथ की मूर्ति, सत्रहवीं शताब्दी का तोरन और 5.5 ऊँचा कमंडल विशेष रूप से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए बनाया गया है।
==अन्य स्थल==
==
;कबूतर साहिब गुरुद्वारा
शिला माता मंदिर- शिला माता का यह मंदिर साम्प्रदायिक सदभाव का सबसे अच्छा उदाहरण है। अठाहरवीं शताब्दी में स्थापित यह मंदिर जिला मुख्यालय पर वैदिक नदी सरस्वती के प्राचीन बहाव क्षेत्र में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि शिला माता के शिल पीर में जो कोई भी दूध व पानी चढ़ाता है उसके त्वचा सम्बन्धी रोगों का निवारण हो जाता है। इसके अलावा प्रत्येक वीरवार यहां मेला लगता है।
*[[खालसा पंथ |खालसा पंथ]] के संस्थापक और दसवें सिक्ख गुरु [[गुरु गोविंद सिंह|श्री गुरु गोविंद सिंह]] इस जगह घूमने के लिए आए थे।
*इस गुरुद्वारे का निर्माण 1730 ई. में किया गया था।


गोगामेड़ी- यह मंदिर साम्प्रदायिक व राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। विभिन्न धर्मो के लोग देश-विदेश से यहां प्रार्थना करने के लिए आते हैं। सावन पूर्णिमा के आरम्भ में साल में एक बार लेकिन एक महीने तक चलने वाला गोगामेड़ी मेला लगता है। काफी संख्या में भक्तगण इस मेले में हर साल आते हैं।


श्री कबूतर साहिब गुरूद्वारा- खालसा पंथ के संस्थापक और दसवें सिक्ख गुरू श्री गुरू गोविन्द सिंह इस जगह घूमने के लिए आए थे। इस गुरूद्वार का निर्माण 1730 ई. में किया गया था।


कालीबंगा- यह भारत की प्राचीनतम संस्‍कृति हड़प्‍पा संस्‍कृति का एक प्रमुख केंद्र थ‍ा। यह प्राचीन समय में अपने चूडियों के लिए प्रसिद्ध था। ये चूडियां पत्‍थरों की बनी होती थी। आज भी यहां की चूडियां प्रसिद्ध हैं। आज भी यहां हड़प्‍पा सभ्‍यता के अवशेषों को देखा जा सकता है।
{{लेख प्रगति
====आदर्श स्थल====
|आधार=
*'''गुरुद्वारा सुखासिंह महताबसिंह''' यहाँ पर दो भाई सुखासिंह व भाई महताबसिंह ने गुरुद्वारा हरिमंदर साहब पर [[अमृतसर]] में मस्सा रंघङ का सिर कलम कर बुडा जोहड़ लौटते समय इस स्थान पर रुक कर घोड़ों को पेड़ से बांध कर कुछ देर आराम किया था।
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2
|माध्यमिक=  
|पूर्णता=  
|शोध=
}}


*'''गोगामेडी''' [[हिंदू धर्म|हिंदू]] और मुस्लिम दोनों में समान रूप से मान्य गोगा/जाहर पीर की समाधी है, जहाँ पर पशुओं का मेला भी [[भाद्रपद]] माह में लगता है।
==संबंधित लेख==
*'''कालीबंगा''' यहाँ पर 5000 ईसा पूर्व कि [[सिन्धु घाटी सभ्यता]] का केंद्र है जहाँ एक संग्रहालय भी है।
{{राजस्थान के पर्यटन स्थल}}
*'''नोहर''' सन 1730 में यहाँ दसवें [[गुरु गोविंद सिंह]] के आगमन पर बना कबूतर साहिब का गुरुद्वारा है तथा यह मिट्टी के बने बर्तनों के लिए प्रसिद्ध है।
[[Category:राजस्थान]][[Category:राजस्थान_के_पर्यटन_स्थल]][[Category:पर्यटन_कोश]]
*'''तलवाड़ा झील''' यहाँ पर [[पृथ्वीराज चौहान]] और [[मोहम्मद गौरी]] के बीच [[तराइन का युद्ध]] लड़ा गया था।
__INDEX__
*'''मसीतां वाली हेड''' जहाँ से इंदिरा गाँधी नहर राजस्थान में प्रवेश करती है।
__NOTOC__
*'''सिल्ला माता मंदिर''' यहाँ पर यह माना जाता है कि मंदिर में स्थापित सिल्ल पत्थर घग्घर नदी में बहकर आया था।
*'''भद्र्काली मंदिर''' यह घग्घर नदी के किनारे बना एक प्राचीन मंदिर है।

Latest revision as of 11:04, 3 March 2013

हनुमानगढ़ हनुमानगढ़ पर्यटन हनुमानगढ़ ज़िला

[[चित्र:Hanuman-Statue-Hanumangarh.jpg|हनुमानजी की मूर्ति, हनुमानगढ़|250px|thumb]] हनुमानगढ़, राजस्थान का एक आकर्षक पर्यटन स्थल है। यहाँ एक प्राचीन क़िला है, जिसका पुराना नाम भटनेर था। मंगलवार के दिन इस क़िले अधिकार होने के कारण इस क़िले में एक छोटा सा हनुमान जी का मंदिर बनवाया गया तथा उसी दिन से उसका नाम 'हनुमानगढ़' रखा गया। घग्घर के आस-पास का प्रदेश होने के कारण यह बीकानेर का संपन्न भाग था तथा यहाँ शिल्पकला एवं हस्तकला का काफ़ी विकास हुआ।

भटनेर क़िला

  • भटनेर क़िला काफ़ी पुराना क़िला है।
  • भटनेर क़िला घग्घर नदी के किनारे स्थित है।

संगारिया संग्रहालय

  • संगारिया संग्रहालय संगारिया से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
  • इस संग्रहालय में देश की विभिन्न जगहों से चिकनी मिट्टी, पत्थर और धातु की बनी मूर्तियाँ, पुराने सिक्के आदि को प्रदर्शित किया गया है।

सिल्ला माता मंदिर

  • सिल्ला माता का मंदिर अठारहवीं शताब्दी में स्थापित है।
  • सिल्ला माता का मंदिर साम्प्रदायिक सद्‌भाव का सबसे अच्छा उदाहरण है।

गोगामेड़ी मंदिर

  • गोगामेड़ी मंदिर साम्प्रदायिक व राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है।
  • इस मंदिर में प्रार्थना करने के लिए विभिन्न धर्मो के लोग देश-विदेश से आते हैं।

कालीबंगा

[[चित्र:Kalibanga.jpg|thumb|कालीबंगा के अवशेष|250px]]

कालीबंगा संग्रहालय

  • कालीबंगा संग्रहालय हनुमानगढ़ से लगभग बीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

अन्य स्थल

कबूतर साहिब गुरुद्वारा



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