सीधा साधा रास्ता -रांगेय राघव: Difference between revisions

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*पहले खण्ड में नवाबों और जमींदारों के विलासी जीवन का वर्णन है और दूसरे खण्ड में स्वतंत्रता के लिए जागृति का चित्रण है।  
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Latest revision as of 10:52, 25 March 2013

सीधा साधा रास्ता -रांगेय राघव
लेखक रांगेय राघव
देश भारत
भाषा हिन्दी
प्रकार उपन्यास

सीधा साधा रास्ता प्रसिद्ध साहित्यकार, कहानीकार और उपन्यासकार रांगेय राघव द्वारा लिखा गया सामाजिक उपन्यास है। श्री भगवतीचरण वर्मा के 'टेढे-मेढे रास्ते' से ही मिलता-जुलता डॉ. राघव का समाजवादी उपन्यास 'सीधा-सादा रास्ता' है। अंग्रेजों के शासन के विरोध में जनता में जो चेतना आई थी, उसी को इस उपन्यास में प्रस्तुत किया गया है। यह दो खण्डों में विभक्त उपन्यास है।

  • पहले खण्ड में नवाबों और जमींदारों के विलासी जीवन का वर्णन है और दूसरे खण्ड में स्वतंत्रता के लिए जागृति का चित्रण है।
  • ब्रह्मदत्त मुख्य पात्र है जो समाज को यथार्थ रास्ते पर चलने के लिए आह्वान करता है। अन्य पात्रों में व्यक्तित्व के उतार-चढाव का वर्णन है।
  • नारी पात्रों में महालक्ष्मी मुख्य है जिसका चरित्र भारतीय आदर्श नारी का है, जब कि पूँजीवादी प्रकृति स्त्री को भोग की वस्तु समझती है।
  • विषयानुकूल अच्छे प्रवाह के संवाद हैं। [1]

कुछ प्रसिद्ध साहित्यिक कृतियों के उत्तर रांगेय राघव ने अपनी कृतियों के माध्यम से दिए। इसे हिंदी साहित्य में उनकी मौलिक देन के रूप में माना गया। ये मार्क्सवादी विचारों से प्रेरित उपन्यासकार थे। ‘टेढ़े-मेढ़े रास्ते’ के उत्तर में ‘सीधा-सादा रास्ता’, ‘आनंदमठ’ के उत्तर में उन्होंने ‘चीवर’ लिखा। प्रेमचंदोत्तर कथाकारों की कतार में अपने रचनात्मक वैशिष्ट्य, सृजन विविधता और विपुलता के कारण वे हमेशा स्मरणीय रहेंगे।[2]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. डॉ. रांगेय राघव: एक अद्वितीय उपन्यासकार (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 24 जनवरी, 2013।
  2. हिन्दी पखवाड़े में आज का व्यक्तित्व ---रांगेय राघव (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 24 जनवरी, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

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