यूची क़बीला: Difference between revisions
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[[हूण|हूणों]] के आक्रमण के कारण युइशि लोग अपने प्राचीन अभिजन को छोड़कर अन्यत्र जाने के लिए विवश हुए थे, और इसलिए मध्य एशिया के क्षेत्र में निवास करने वाली विविध जातियों में एक प्रकार की उथल-पुथल मच गई थी। 'युइशि जाति', जिसे 'यूची क़बीला' के नाम से भी जाना जाता है, का मूल अभिजन [[तिब्बत]] के उत्तर-पश्चिम में 'तकला मक़ान' की मरुभूमि के सीमान्त क्षेत्र में था। उस समय हूण लोग उत्तरी चीन में निवास करते थे। जब [[चीन]] के शक्तिशाली सम्राट शी-हुआंग-ती (246—210 ई. पू.) ने उत्तरी चीन में विशाल दीवार बनवाकर हूणों के लिए अपने राज्य पर आक्रमण कर सकना असम्भव बना दिया, तो हूण लोग पश्चिम की ओर बढ़े, और उस प्रदेश पर टूट पड़े, जहाँ युइशि जाति का निवास था। युइशि लोगों के लिए यह सम्भव नहीं था कि वे बर्बर और प्रचण्ड हूण आक्रान्ताओं का मुक़ाबला कर सकते। वे अपने अभिजन को छोड़कर पश्चिम व दक्षिण की ओर जाने के लिए विवश हुए। उस समय सीर नदी की घाटी में [[शक]] जाति का निवास था। युइशि लोगों के आक्रमण के कारण वह अपने प्रदेश को छोड़ देने के लिए विवश हुई, और सीर नदी की घाटी पर युइशि जाति का अधिकार हो गया। युइशियों से धकेले जाकर ही शकों ने [[बैक्ट्रिया]] और [[पार्थिया]] पर आक्रमण किए और उनकी एक शाखा [[भारत]] में भी प्रविष्ट हुई। शकों के द्वारा बैक्ट्रिया के [[यवन]] राज्य का अन्त हुआ, और पार्थिया भी उनके अधिकार में आ जाता, यदि राजा मिथिदातस द्वितीय उनके आक्रमणों से अपने राज्य की रक्षा करने में समर्थ न होता। पार्थिया को जीत सकने में समर्थ न हो पाने के कारण ही शकों की एक शाखा सीस्तान होती हुई [[सिंधु नदी|सिन्ध नदी]] में प्रविष्ट हुई थी। | [[हूण|हूणों]] के आक्रमण के कारण युइशि लोग अपने प्राचीन अभिजन को छोड़कर अन्यत्र जाने के लिए विवश हुए थे, और इसलिए [[मध्य एशिया]] के क्षेत्र में निवास करने वाली विविध जातियों में एक प्रकार की उथल-पुथल मच गई थी। 'युइशि जाति', जिसे 'यूची क़बीला' के नाम से भी जाना जाता है, का मूल अभिजन [[तिब्बत]] के उत्तर-पश्चिम में 'तकला मक़ान' की मरुभूमि के सीमान्त क्षेत्र में था। उस समय हूण लोग उत्तरी चीन में निवास करते थे। जब [[चीन]] के शक्तिशाली सम्राट शी-हुआंग-ती (246—210 ई. पू.) ने उत्तरी चीन में विशाल दीवार बनवाकर हूणों के लिए अपने राज्य पर आक्रमण कर सकना असम्भव बना दिया, तो हूण लोग पश्चिम की ओर बढ़े, और उस प्रदेश पर टूट पड़े, जहाँ युइशि जाति का निवास था। युइशि लोगों के लिए यह सम्भव नहीं था कि वे बर्बर और प्रचण्ड हूण आक्रान्ताओं का मुक़ाबला कर सकते। वे अपने अभिजन को छोड़कर पश्चिम व दक्षिण की ओर जाने के लिए विवश हुए। उस समय सीर नदी की घाटी में [[शक]] जाति का निवास था। युइशि लोगों के आक्रमण के कारण वह अपने प्रदेश को छोड़ देने के लिए विवश हुई, और सीर नदी की घाटी पर युइशि जाति का अधिकार हो गया। युइशियों से धकेले जाकर ही शकों ने [[बैक्ट्रिया]] और [[पार्थिया]] पर आक्रमण किए और उनकी एक शाखा [[भारत]] में भी प्रविष्ट हुई। शकों के द्वारा बैक्ट्रिया के [[यवन]] राज्य का अन्त हुआ, और पार्थिया भी उनके अधिकार में आ जाता, यदि राजा मिथिदातस द्वितीय उनके आक्रमणों से अपने राज्य की रक्षा करने में समर्थ न होता। पार्थिया को जीत सकने में समर्थ न हो पाने के कारण ही शकों की एक शाखा सीस्तान होती हुई [[सिंधु नदी|सिन्ध नदी]] में प्रविष्ट हुई थी। | ||
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सीर नदी की घाटी से शकों को निकालकर युइशि जाति के लोग वहाँ पर आबाद हो गए थे। पर वे वहाँ पर भी देर तक नहीं टिक सके। जिन हूणों के आक्रमण के कारण युइशि लोग अपने मूल अभिजन को छोड़ने के लिए विवश हुए थे, उन्होंने उन्हें सीर नदी की घाटी में भी चैन से नहीं रहने दिया। हूणों ने यहाँ पर भी उनका पीछा कया, जिससे की शकों के पीछे-पीछे वे बैक्ट्रिया में भी प्रविष्ट हुए। बैक्ट्रिया और उसके समीपवर्ती प्रदेशों पर उन्होंने क़ब्ज़ा कर लिया, और वहाँ अपने पाँच राज्य क़ायम किए। एक चीनी ऐतिहासिक के अनुसार | सीर नदी की घाटी से शकों को निकालकर युइशि जाति के लोग वहाँ पर आबाद हो गए थे। पर वे वहाँ पर भी देर तक नहीं टिक सके। जिन हूणों के आक्रमण के कारण युइशि लोग अपने मूल अभिजन को छोड़ने के लिए विवश हुए थे, उन्होंने उन्हें सीर नदी की घाटी में भी चैन से नहीं रहने दिया। हूणों ने यहाँ पर भी उनका पीछा कया, जिससे की शकों के पीछे-पीछे वे बैक्ट्रिया में भी प्रविष्ट हुए। बैक्ट्रिया और उसके समीपवर्ती प्रदेशों पर उन्होंने क़ब्ज़ा कर लिया, और वहाँ अपने पाँच राज्य क़ायम किए। एक चीनी ऐतिहासिक के अनुसार पहली [[सदी]] ई. पू. से ही युइशि लोग अपने ये पाँच राज्य स्थापित कर चुके थे। जिनके नाम ये हैं : | ||
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हूणों के आक्रमण के कारण युइशि लोग अपने प्राचीन अभिजन को छोड़कर अन्यत्र जाने के लिए विवश हुए थे, और इसलिए मध्य एशिया के क्षेत्र में निवास करने वाली विविध जातियों में एक प्रकार की उथल-पुथल मच गई थी। 'युइशि जाति', जिसे 'यूची क़बीला' के नाम से भी जाना जाता है, का मूल अभिजन तिब्बत के उत्तर-पश्चिम में 'तकला मक़ान' की मरुभूमि के सीमान्त क्षेत्र में था। उस समय हूण लोग उत्तरी चीन में निवास करते थे। जब चीन के शक्तिशाली सम्राट शी-हुआंग-ती (246—210 ई. पू.) ने उत्तरी चीन में विशाल दीवार बनवाकर हूणों के लिए अपने राज्य पर आक्रमण कर सकना असम्भव बना दिया, तो हूण लोग पश्चिम की ओर बढ़े, और उस प्रदेश पर टूट पड़े, जहाँ युइशि जाति का निवास था। युइशि लोगों के लिए यह सम्भव नहीं था कि वे बर्बर और प्रचण्ड हूण आक्रान्ताओं का मुक़ाबला कर सकते। वे अपने अभिजन को छोड़कर पश्चिम व दक्षिण की ओर जाने के लिए विवश हुए। उस समय सीर नदी की घाटी में शक जाति का निवास था। युइशि लोगों के आक्रमण के कारण वह अपने प्रदेश को छोड़ देने के लिए विवश हुई, और सीर नदी की घाटी पर युइशि जाति का अधिकार हो गया। युइशियों से धकेले जाकर ही शकों ने बैक्ट्रिया और पार्थिया पर आक्रमण किए और उनकी एक शाखा भारत में भी प्रविष्ट हुई। शकों के द्वारा बैक्ट्रिया के यवन राज्य का अन्त हुआ, और पार्थिया भी उनके अधिकार में आ जाता, यदि राजा मिथिदातस द्वितीय उनके आक्रमणों से अपने राज्य की रक्षा करने में समर्थ न होता। पार्थिया को जीत सकने में समर्थ न हो पाने के कारण ही शकों की एक शाखा सीस्तान होती हुई सिन्ध नदी में प्रविष्ट हुई थी।
युइशि जाति का बैक्ट्रिया में प्रवेश
सीर नदी की घाटी से शकों को निकालकर युइशि जाति के लोग वहाँ पर आबाद हो गए थे। पर वे वहाँ पर भी देर तक नहीं टिक सके। जिन हूणों के आक्रमण के कारण युइशि लोग अपने मूल अभिजन को छोड़ने के लिए विवश हुए थे, उन्होंने उन्हें सीर नदी की घाटी में भी चैन से नहीं रहने दिया। हूणों ने यहाँ पर भी उनका पीछा कया, जिससे की शकों के पीछे-पीछे वे बैक्ट्रिया में भी प्रविष्ट हुए। बैक्ट्रिया और उसके समीपवर्ती प्रदेशों पर उन्होंने क़ब्ज़ा कर लिया, और वहाँ अपने पाँच राज्य क़ायम किए। एक चीनी ऐतिहासिक के अनुसार पहली सदी ई. पू. से ही युइशि लोग अपने ये पाँच राज्य स्थापित कर चुके थे। जिनके नाम ये हैं :
- हिउ-मी
- शुआंग-मी
- कुएई-शुआंग
- ही-तू
- काओ-फ़ू।
इन राज्यों में परस्पर संघर्ष चलता रहता था। बैक्ट्रिया के यवन निवासियों के सम्पर्क में आकर युइशि लोग सभ्यता के मार्ग पर भी अग्रसर होने लगे थे, और वे उस दशा से उन्नति कर गए थे, जिसमें कि वे तक़लामक़ान की मरुभूमि के समीपवर्ती अपने मूल अभिजन में रहा करते थे।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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