शिबि: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''शिबि''' पंजाब का एक जनपद- <blockquote>'शिबींस्त्रिगर्तानम...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
 
Line 5: Line 5:
*यहाँ शिबि का '[[त्रिगर्त]]'<ref>जलंधर दोआब</ref> के साथ वर्णन है। इस जनपद को [[पाण्डव]] [[नकुल]] ने पश्चिम दिशा की विजय के प्रसंग मे जीता था।<ref name="aa">{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=899|url=}}</ref>
*यहाँ शिबि का '[[त्रिगर्त]]'<ref>जलंधर दोआब</ref> के साथ वर्णन है। इस जनपद को [[पाण्डव]] [[नकुल]] ने पश्चिम दिशा की विजय के प्रसंग मे जीता था।<ref name="aa">{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=899|url=}}</ref>
*'शिविपुर' (या शिवपुर) नामक नगर का उल्लेख [[पतंजलि]] के '[[महाभाष्य]]'<ref>महाभाष्य 4,2,2</ref> में है।
*'शिविपुर' (या शिवपुर) नामक नगर का उल्लेख [[पतंजलि]] के '[[महाभाष्य]]'<ref>महाभाष्य 4,2,2</ref> में है।
*इसका अभिज्ञान वोगल ने ज़िला झंग, [[पंजाब]]-[[पाकिस्तान]] में स्थित 'शोरकोट' नामक स्थान के साथ किया है।<ref>एपिग्राफिका इंडिका, 1921 पृ. 16</ref> 'शोर' शिवपुर का [[अपभ्रंश]] जान पड़ता है।
*इसका अभिज्ञान वोगल ने [[झंग|ज़िला झंग]], [[पंजाब]]-[[पाकिस्तान]] में स्थित 'शोरकोट' नामक स्थान के साथ किया है।<ref>एपिग्राफिका इंडिका, 1921 पृ. 16</ref> 'शोर' शिवपुर का [[अपभ्रंश]] जान पड़ता है।
*शिबिपुर का उल्लेख शोरकोट से प्राप्त एक [[अभिलेख]] में हुआ है। यह अभिलेख 83 गुप्त संवत (402-403 ई.) का है और एक विशाल [[ताँबा|तांबे]] के कढ़ाव पर उत्कीर्ण है, जो यहां स्थित प्राचीन बौद्ध बिहार से प्राप्त हुआ था। यह [[लाहौर]] के संग्रहालय में सुरक्षित है।
*शिबिपुर का उल्लेख शोरकोट से प्राप्त एक [[अभिलेख]] में हुआ है। यह अभिलेख 83 गुप्त संवत (402-403 ई.) का है और एक विशाल [[ताँबा|तांबे]] के कढ़ाव पर उत्कीर्ण है, जो यहां स्थित प्राचीन बौद्ध बिहार से प्राप्त हुआ था। यह [[लाहौर]] के संग्रहालय में सुरक्षित है।
*शोरकोट के इलाके को '[[आइना-ए-अकबरी]]' में [[अबुल फ़ज़ल]] ने 'शोर' लिखा है। यह लगभग निश्चित ही समझना चाहिए शिबि जनपद की अवस्थिति इसी स्थान के परिवर्ती प्रदेश में थी और शिबिपुर इसका मुख्य नगर था।<ref name="aa"/>
*शोरकोट के इलाके को '[[आइना-ए-अकबरी]]' में [[अबुल फ़ज़ल]] ने 'शोर' लिखा है। यह लगभग निश्चित ही समझना चाहिए शिबि जनपद की अवस्थिति इसी स्थान के परिवर्ती प्रदेश में थी और शिबिपुर इसका मुख्य नगर था।<ref name="aa"/>

Latest revision as of 14:12, 22 August 2014

शिबि पंजाब का एक जनपद-

'शिबींस्त्रिगर्तानम्बष्ठान् मालवान् पंचकर्पटान् तथा माध्यमिकाश्चैव वाटधानान् द्विजानथ।'[1]

  • यहाँ शिबि का 'त्रिगर्त'[2] के साथ वर्णन है। इस जनपद को पाण्डव नकुल ने पश्चिम दिशा की विजय के प्रसंग मे जीता था।[3]
  • 'शिविपुर' (या शिवपुर) नामक नगर का उल्लेख पतंजलि के 'महाभाष्य'[4] में है।
  • इसका अभिज्ञान वोगल ने ज़िला झंग, पंजाब-पाकिस्तान में स्थित 'शोरकोट' नामक स्थान के साथ किया है।[5] 'शोर' शिवपुर का अपभ्रंश जान पड़ता है।
  • शिबिपुर का उल्लेख शोरकोट से प्राप्त एक अभिलेख में हुआ है। यह अभिलेख 83 गुप्त संवत (402-403 ई.) का है और एक विशाल तांबे के कढ़ाव पर उत्कीर्ण है, जो यहां स्थित प्राचीन बौद्ध बिहार से प्राप्त हुआ था। यह लाहौर के संग्रहालय में सुरक्षित है।
  • शोरकोट के इलाके को 'आइना-ए-अकबरी' में अबुल फ़ज़ल ने 'शोर' लिखा है। यह लगभग निश्चित ही समझना चाहिए शिबि जनपद की अवस्थिति इसी स्थान के परिवर्ती प्रदेश में थी और शिबिपुर इसका मुख्य नगर था।[3]
  • शिबियों (सिबोई) का उल्लेख अलक्षेंद्र (सिकन्दर) के इतिहास लेखकों ने भी किया है और लिखा है कि "इनके पास चालीस सहस्त्र पैदल सेना थी और ये लोग पशुओं की खाल के कपड़े पहनते थे।"
  • शिबि नरेश द्वारा अपने राजकुमार बेस्तंतर को देश निकाला दिए जाने की कथा का 'बेस्संतरजातक' में वर्णन है।
  • 'उम्मदंतिजातक' में शिबि देश के अरिठ्ठपुर तथा 'बेस्संतरजातक' में इस जनपद के जेतुत्तर नामक नगर का उल्लेख है।
  • ऋग्वेद[6] में सम्भवतः शिबियों का ही 'शिव' नाम से उल्लेख है-

'आ पक्थासों भलानसो भनन्तालिनासो विषाण्निः शिवासः। आयोऽनयत्सधमा-आर्यस्य गव्यातृत्सुभ्यो अजगन्नयुधानुन्।'

  • महाभारत में शिबि देश के राजा उशीनर की कथा है। श्येन से कपोत के प्राण बचाने में तत्पर राजा श्येन से कहता है-

'राष्ट्रं शिबीनामृद्धं वै ददानि तव खेचर।'[7]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत, सभापर्व 32,7-8
  2. जलंधर दोआब
  3. 3.0 3.1 3.2 ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 899 |
  4. महाभाष्य 4,2,2
  5. एपिग्राफिका इंडिका, 1921 पृ. 16
  6. ऋग्वेद 7,18,7
  7. महाभारत, वनपर्व 131 21
  8. पृ. 205
  9. दशकुमारचरित

संबंधित लेख