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==पालक में जाने वाले तत्व==
==पालक में जाने वाले तत्व==
पालक में विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी और विटामिन ई तथा प्रोटीन, सोडियम, कैल्शियम, [[फास्फोरस]], क्लोरिन, थायामिन, फाइबर, राइबोफ्लैविन तथा लौह तत्व पाये जाते हैं। पालक [[खून]] के रक्ताणुओं को बढ़ाता है। पालक में [[प्रोटीन]] उत्पादक एमिनोएसिड अधिकतम मात्रा में हैं। पालक बुद्धि बढ़ाने में सहायक बनता है।  
पालक में [[विटामिन ए]], विटामिन बी, [[विटामिन सी]] और विटामिन ई तथा प्रोटीन, सोडियम, कैल्शियम, [[फास्फोरस]], क्लोरिन, थायामिन, फाइबर, राइबोफ्लैविन तथा लौह तत्व पाये जाते हैं। पालक [[खून]] के रक्ताणुओं को बढ़ाता है। पालक में [[प्रोटीन]] उत्पादक एमिनोएसिड अधिकतम मात्रा में हैं। पालक बुद्धि बढ़ाने में सहायक बनता है।  


==गुण==   
==गुण==   
पालक में जो गुण पाए जाते हैं, वे सामान्यतः अन्य शाक-भाजी में नहीं होते। यही कारण है कि पालक स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी है। पालक बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए पौष्टिकता से भरपूर एवं एक अच्छा खाने वाला भोजन है। पालक फेंफड़े की सड़न को भी दूर करता है। आंतों के रोग, दस्त आदि में भी पालक लाभदायक है। पालक में खून बढ़ाने का गुण ज़्यादा है यह खून को साफ़ करता है और हड्डियों को मज़बूत बनाता है।  
पालक में जो गुण पाए जाते हैं, वे सामान्यतः अन्य शाक-भाजी में नहीं होते। यही कारण है कि पालक स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी है। पालक बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए पौष्टिकता से भरपूर एवं एक अच्छा खाने वाला भोजन है। पालक फेंफड़े की सड़न को भी दूर करता है। आंतों के रोग, दस्त आदि में भी पालक लाभदायक है। पालक में ख़ून बढ़ाने का गुण ज़्यादा है यह ख़ून को साफ़ करता है और हड्डियों को मज़बूत बनाता है।  


==हानिकारक==   
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thumb|250px|पालक के पत्ते

पालक एक ऐसी सब्ज़ी है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी है। रेतीली ज़मीन को छोड़कर शेष प्रकार की ज़मीन पर पालक खेती के लिए अनुकूल रहती है। कच्चा पालक खाने में कड़वा और खारा लगता है, परंतु गुणकारी होता है। दही के साथ कच्चे पालक का रायता बहुत ही स्वादिष्ट और गुणकारी होता है। पालक मानव के लिए एक अमृत के समान लाभकारी सब्ज़ी है तथा यह सब्ज़ी ही अपने आप में एक सम्पूर्ण भोजन है, क्योंकि इसमें कैल्शियम, विटामिन-सी और लौह तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो शरीर में पोषक तत्वों की पूर्ति करते हैं। पालक से कई तरह की औषधियाँ भी बनायी जाती हैं। पालक की तासीर शीतल और ठंडी होती है।

उत्पत्ति

यह भारत के प्रायः सभी प्रांतों में पाया जाता है। इसका पौधा लगभग एक से डेढ़ फुट ऊँचा होता है। इसके पत्ते चिकने, मांसल व मोटे होते हैं। यह साधारणतः शीत ऋतु में अधिक खेती होती है, कहीं-कहीं अन्य ऋतुओं में भी इसकी खेती होती है।

पालक में जाने वाले तत्व

पालक में विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी और विटामिन ई तथा प्रोटीन, सोडियम, कैल्शियम, फास्फोरस, क्लोरिन, थायामिन, फाइबर, राइबोफ्लैविन तथा लौह तत्व पाये जाते हैं। पालक खून के रक्ताणुओं को बढ़ाता है। पालक में प्रोटीन उत्पादक एमिनोएसिड अधिकतम मात्रा में हैं। पालक बुद्धि बढ़ाने में सहायक बनता है।

गुण

पालक में जो गुण पाए जाते हैं, वे सामान्यतः अन्य शाक-भाजी में नहीं होते। यही कारण है कि पालक स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी है। पालक बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए पौष्टिकता से भरपूर एवं एक अच्छा खाने वाला भोजन है। पालक फेंफड़े की सड़न को भी दूर करता है। आंतों के रोग, दस्त आदि में भी पालक लाभदायक है। पालक में ख़ून बढ़ाने का गुण ज़्यादा है यह ख़ून को साफ़ करता है और हड्डियों को मज़बूत बनाता है।

हानिकारक

पालक की भाजी वायुकारक है, इसलिए वर्षा के मौसम में इसका सेवन नहीं करना चाहिए।[1]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पालक (हिन्दी) जनकल्याण। अभिगमन तिथि: 4 मार्च, 2012

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख