ऐ शरीफ़ इन्सानो -साहिर लुधियानवी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - " खून " to " ख़ून ")
m (Text replacement - "फतह" to "फ़तह")
 
Line 43: Line 43:
टैंक आगे बढे की पीछे हटे,
टैंक आगे बढे की पीछे हटे,
कोख धरतीकी बौझ होती है !
कोख धरतीकी बौझ होती है !
फतह का जश्न हो की हारका सोग,
फ़तह का जश्न हो की हारका सोग,
ज़िंदगी मय्यतोंपे रोंती है  !
ज़िंदगी मय्यतोंपे रोंती है  !



Latest revision as of 12:10, 5 July 2017

चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
ऐ शरीफ़ इन्सानो -साहिर लुधियानवी
कवि साहिर लुधियानवी
जन्म 8 मार्च, 1921
जन्म स्थान लुधियाना, पंजाब
मृत्यु 25 अक्तूबर, 1980
मृत्यु स्थान मुम्बई, महाराष्ट्र
मुख्य रचनाएँ तल्ख़ियाँ (नज़्में), परछाईयाँ (ग़ज़ल संग्रह)
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
साहिर लुधियानवी की रचनाएँ

खून आपना हो या पराया हो
नसल-ऐ-आदम का ख़ून है आख़िर,
जंग मशरिक में हो या मगरिब में,
अमन-ऐ-आलम का ख़ून है आख़िर !

बम घरों पर गिरे की सरहद पर ,
रूह-ऐ-तामीर जख्म खाती है !
खेत अपने जले की औरों के ,
जस्ति फ़ाकों से तिलमिलाती है !

टैंक आगे बढे की पीछे हटे,
कोख धरतीकी बौझ होती है !
फ़तह का जश्न हो की हारका सोग,
ज़िंदगी मय्यतोंपे रोंती है  !

जंग तो खुदही एक मसलआ है
जंग क्या मसलोंका हल देगी ?
आग और ख़ून आज बख्शेगी
भूख और एहतयाज कल देगी !

इसलिए ऐ शरीफ इंसानों ,
जंग टलती है तो बेहतर है !
आप और हम सभी के आँगन में,
शमा जलती रहे तो बेहतर है !


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख