अढाई दिन का झोंपड़ा अजमेर: Difference between revisions

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'''अढाई दिन का झोंपड़ा''' एक ऐतिहासिक ईमारत है, जो [[राजस्थान]] के शहर [[अजमेर]] में स्थित है। माना जाता है कि यह ऐतिहासिक इमारत [[चौहान वंश|चौहान]] सम्राट [[बीसलदेव]] ने सन 1153 में बनवाई थी। यह मूलत: संस्कृत विद्यालय थी, जिसे बाद में [[मुहम्मद ग़ोरी|शाहबुद्दीन मुहम्मद ग़ोरी]] ने मस्जिद का रूप दे दिया। इस मस्जिद को बनवाने में कहते है कि सिर्फ़ ढाई दिन ही लगे, इसलिए इसे 'अढाई दिन का झोंपड़ा' कहा जाता है।


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*इस इमारत में सात मेहराबें बनी हुई हैं। ये मेहराबें [[हिन्दू]]-[[मुस्लिम]] स्‍थापत्‍य शिल्‍पकला के अनूठे उदाहरण हैं।
'''अढाई दिन का झोंपड़ा''' [[राजस्थान]] के शहर [[अजमेर]] में स्थित है।
*इस मस्जिद को बनवाने में कहते है सिर्फ़ ढाई दिन ही लगे इसलिए इसे अढाई दिन का झोंपड़ा कहा जाता है।
*यह [[ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह अजमेर|ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह]] से आगे कुछ ही दूरी पर स्थित है।
*यह [[ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह अजमेर|ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह]] से आगे कुछ ही दूरी पर स्थित है।
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*इस से कई बातें प्रचलित है, और अब हर साल यहाँ (ढाई) अढाई दिन का मेला लगता है।  
*इस से कई बातें प्रचलित है और अब हर साल यहाँ (ढाई) अढाई दिन का मेला लगता है।  
*इसका नाम इस के निर्माण के कारण ही अढाई दिन का झोंपड़ा पडा है।
*इसका नाम इस के निर्माण के कारण ही अढाई दिन का झोंपड़ा पडा है।
*यहाँ पहले बहुत बड़ा संस्कृत का विद्यालय था।
*यहाँ पहले बहुत बड़ा संस्कृत का विद्यालय था।
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*1198 में [[मुहम्मद ग़ोरी]] ने उस पाठशाला को इस मस्जिद में बदल दिया।
*इसका निर्माण थोडा सा फ़िर से करवाया।
*इसका निर्माण थोडा सा फिर से करवाया।
*अबु बकर ने इसका नक्शा तैयार किया था।
*अबु बकर ने इसका नक्शा तैयार किया था।
*मस्जिद का अन्दर का हिस्सा मस्जिद से अलग किसी मंदिर की तरह से लगता है।
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Latest revision as of 14:04, 1 August 2017

अढाई दिन का झोंपड़ा अजमेर
विवरण 'अढाई दिन का झोंपड़ा' मस्जिद राजस्थान के पर्यटन स्थलों में से एक है, जो अजमेर में स्थित है। इस मस्जिद को बनवाने में सिर्फ़ ढाई दिन ही लगे थे, इसलिए इसे अढाई दिन का झोंपड़ा कहा जाता है।
राज्य राजस्थान
ज़िला अजमेर ज़िला
संबंधित लेख राजस्थान, राजस्थान पर्यटन, अजमेर, ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह, मुस्लिम, हिन्दु, मुहम्मद ग़ोरी,


अन्य जानकारी अढाई दिन का झोंपड़ा खंडहरनुमा इमारत में 7 मेहराब एवं हिन्दु-मुस्लिम कारीगिरी के 70 खंबे बने हैं तथा छत पर भी शानदार कारीगिरी की गई है तथा अबु बकर ने इस इमारत नक्शा तैयार किया था।

अढाई दिन का झोंपड़ा एक ऐतिहासिक ईमारत है, जो राजस्थान के शहर अजमेर में स्थित है। माना जाता है कि यह ऐतिहासिक इमारत चौहान सम्राट बीसलदेव ने सन 1153 में बनवाई थी। यह मूलत: संस्कृत विद्यालय थी, जिसे बाद में शाहबुद्दीन मुहम्मद ग़ोरी ने मस्जिद का रूप दे दिया। इस मस्जिद को बनवाने में कहते है कि सिर्फ़ ढाई दिन ही लगे, इसलिए इसे 'अढाई दिन का झोंपड़ा' कहा जाता है।

  • इस इमारत में सात मेहराबें बनी हुई हैं। ये मेहराबें हिन्दू-मुस्लिम स्‍थापत्‍य शिल्‍पकला के अनूठे उदाहरण हैं।
  • यह ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह से आगे कुछ ही दूरी पर स्थित है।
  • इस खंडहरनुमा इमारत में 7 मेहराब एवं हिन्दु-मुस्लिम कारीगिरी के 70 खंबे बने हैं तथा छत पर भी शानदार कारीगिरी की गई है।
  • इस से कई बातें प्रचलित है और अब हर साल यहाँ (ढाई) अढाई दिन का मेला लगता है।
  • इसका नाम इस के निर्माण के कारण ही अढाई दिन का झोंपड़ा पडा है।
  • यहाँ पहले बहुत बड़ा संस्कृत का विद्यालय था।
  • 1198 में मुहम्मद ग़ोरी ने उस पाठशाला को इस मस्जिद में बदल दिया।
  • इसका निर्माण थोडा सा फिर से करवाया।
  • अबु बकर ने इसका नक्शा तैयार किया था।
  • मस्जिद का अन्दर का हिस्सा मस्जिद से अलग किसी मंदिर की तरह से लगता है।

[[चित्र:Adhai-Din-Ka-Jhonpra-Ajmer-5.jpg|शानदार कारीगिरी, अढाई दिन का झोंपड़ा, अजमेर|thumb|left]]


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