ढोलक: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replacement - "वरन " to "वरन् ")
 
(9 intermediate revisions by 4 users not shown)
Line 1: Line 1:
*ढोल, ढोलक या ढोलकी भारतीय वाद्य-[[यंत्र]] है। ढोल [[भारत]] के बहुत पुराने ताल वाद्य यंत्रों में से है। उत्तर भारत में इसका अधिकतर प्रयोग किया जाता है।
{{सूचना बक्सा वाद्य यंत्र
|चित्र=Dholak-1.jpg
|चित्र का नाम=ढोलक
|अन्य नाम=ढोल या ढोलकी
|उत्पत्ति=
|प्रचलन=
|प्रकार=[[ताल वाद्य]]
|बजाने का तरीक़ा=हाथ या छडी
|प्रसिद्ध वादक=
|धार्मिक मान्यता=
|पौराणिक संदर्भ=
|संबंधित लेख=
|शीर्षक 1=
|पाठ 1=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=[[होली]] के गीतों में ढोलक का जमकर प्रयोग होता है। ढोलक और ढोलकी को अधिकतर हाथ से बजाया जाता है जबकि ढोल को अलग अलग तरह की छड़ियों से।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
}}
'''ढोलक''', ढोल या ढोलकी भारतीय [[वाद्य यंत्र]] है। ढोल [[भारत]] के बहुत पुराने [[ताल वाद्य]] यंत्रों में से है। [[उत्तर भारत]] में इसका अधिकतर प्रयोग किया जाता है।
*ये हाथ या छडी से बजाए जाने वाले छोटे नगाड़े हैं जो मुख्य रूप से लोक संगीत या भक्ति संगीत को ताल देने के काम आते हैं।  
*ये हाथ या छडी से बजाए जाने वाले छोटे नगाड़े हैं जो मुख्य रूप से लोक संगीत या भक्ति संगीत को ताल देने के काम आते हैं।  
*[[होली]] के गीतो में ढोलक का जमकर प्रयोग होता है। ढोलक और ढोलकी को अधिकतर हाथ से बजाया जाता है जबकि ढोल को अलग अलग तरह की छड़ियों से।  
*[[होली]] के गीतों में ढोलक का जमकर प्रयोग होता है। ढोलक और ढोलकी को अधिकतर हाथ से बजाया जाता है जबकि ढोल को अलग अलग तरह की छड़ियों से।  
*ढोलक [[आम]], बीजा, शीशम, सागौन या नीम की लकड़ी से बनाई जाती है। लकड़ी को पोला करके दोनों मुखों पर बकरे की खाल डोरियों से कसी रहती है। डोरी में छल्ले रहते हैं, जो ढोलक का स्वर मिलाने में काम आते हैं। चमड़े अथवा सूत की रस्सी के द्वारा इसको खींचकर कसा जाता है।
*ढोलक [[आम]], बीजा, [[शीशम]], सागौन या [[नीम]] की लकड़ी से बनाई जाती है। लकड़ी को पोला करके दोनों मुखों पर बकरे की खाल डोरियों से कसी रहती है। डोरी में छल्ले रहते हैं, जो ढोलक का स्वर मिलाने में काम आते हैं। चमड़े अथवा सूत की रस्सी के द्वारा इसको खींचकर कसा जाता है।
*यह गायन व नृत्य के साथ बजायी जाती है। यह एक प्रमुख ताल वाद्य है।
[[चित्र:Dholak.jpg|thumb|left|250px|ढोलक]]
*प्राचीन काल में ढोल का प्रयोग पूजा प्रार्थना और नृत्य गान में ही नहीं किया जाता था वरन दुश्मनों पर प्रहार करने, खूंखार जानवरों को भगाने, समय व चेतावनी देने के साधन के रूप में भी उस का प्रयोग किया जाता था।  
*यह गायन व [[नृत्य]] के साथ बजायी जाती है। यह एक प्रमुख ताल वाद्य है।
*सामाजिक विकास के चलते ढोल का प्रयोग दायरा और विस्तृत हो गया है, जातीय संगीत मंडली, विभिन्न प्रकार के नृत्यगान, नौका प्रतियोगिता, जश्न मनाने और श्रम प्रतियोगिता में ताल व उत्साहपूर्ण वातावरण बनाने के लिये ढोल का सहारा लिया जाता है। ढोल की संरचना बहुत सरल है। आवाज निकलने के लिये ढोल के ऊपरी व निचली दोनों तरफ जानवर की खाल लगाई जाती है। इसका खोल लकड़ी का होता है।   
*प्राचीन काल में ढोल का प्रयोग पूजा प्रार्थना और नृत्य गान में ही नहीं किया जाता था वरन् दुश्मनों पर प्रहार करने, खूंखार जानवरों को भगाने, समय व चेतावनी देने के साधन के रूप में भी उस का प्रयोग किया जाता था।  
*फाग तथा शैला नृत्यों में इनका विशेष उपयोग होते हैं। ढोल की लयबद्ध ध्वनि बेहद मनमोहक है, आम तौर लोक नृत्य गान और लोकप्रिय संगीतों में उसका ज़्यादा प्रयोग किया जाता है।
*सामाजिक विकास के चलते ढोल का प्रयोग दायरा और विस्तृत हो गया है, जातीय [[संगीत]] मंडली, विभिन्न प्रकार के नृत्यगान, नौका प्रतियोगिता, जश्न मनाने और श्रम प्रतियोगिता में ताल व उत्साहपूर्ण वातावरण बनाने के लिये ढोल का सहारा लिया जाता है। ढोल की संरचना बहुत सरल है। आवाज़ निकलने के लिये ढोल के ऊपरी व निचली दोनों तरफ जानवर की खाल लगाई जाती है। इसका खोल लकड़ी का होता है।   
*फाग तथा शैला नृत्यों में इनका विशेष उपयोग होते हैं। ढोल की लयबद्ध ध्वनि बेहद मनमोहक है, आम तौर [[लोक नृत्य]] गान और लोकप्रिय संगीतों में उसका ज़्यादा प्रयोग किया जाता है।


{{लेख प्रगति  
{{लेख प्रगति  
Line 20: Line 41:
[[Category:संगीत वाद्य]]
[[Category:संगीत वाद्य]]
[[Category:संगीत कोश]]
[[Category:संगीत कोश]]
[[Category:कला कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

Latest revision as of 07:40, 7 November 2017

ढोलक
अन्य नाम ढोल या ढोलकी
प्रकार ताल वाद्य
बजाने का तरीक़ा हाथ या छडी
अन्य जानकारी होली के गीतों में ढोलक का जमकर प्रयोग होता है। ढोलक और ढोलकी को अधिकतर हाथ से बजाया जाता है जबकि ढोल को अलग अलग तरह की छड़ियों से।

ढोलक, ढोल या ढोलकी भारतीय वाद्य यंत्र है। ढोल भारत के बहुत पुराने ताल वाद्य यंत्रों में से है। उत्तर भारत में इसका अधिकतर प्रयोग किया जाता है।

  • ये हाथ या छडी से बजाए जाने वाले छोटे नगाड़े हैं जो मुख्य रूप से लोक संगीत या भक्ति संगीत को ताल देने के काम आते हैं।
  • होली के गीतों में ढोलक का जमकर प्रयोग होता है। ढोलक और ढोलकी को अधिकतर हाथ से बजाया जाता है जबकि ढोल को अलग अलग तरह की छड़ियों से।
  • ढोलक आम, बीजा, शीशम, सागौन या नीम की लकड़ी से बनाई जाती है। लकड़ी को पोला करके दोनों मुखों पर बकरे की खाल डोरियों से कसी रहती है। डोरी में छल्ले रहते हैं, जो ढोलक का स्वर मिलाने में काम आते हैं। चमड़े अथवा सूत की रस्सी के द्वारा इसको खींचकर कसा जाता है।

thumb|left|250px|ढोलक

  • यह गायन व नृत्य के साथ बजायी जाती है। यह एक प्रमुख ताल वाद्य है।
  • प्राचीन काल में ढोल का प्रयोग पूजा प्रार्थना और नृत्य गान में ही नहीं किया जाता था वरन् दुश्मनों पर प्रहार करने, खूंखार जानवरों को भगाने, समय व चेतावनी देने के साधन के रूप में भी उस का प्रयोग किया जाता था।
  • सामाजिक विकास के चलते ढोल का प्रयोग दायरा और विस्तृत हो गया है, जातीय संगीत मंडली, विभिन्न प्रकार के नृत्यगान, नौका प्रतियोगिता, जश्न मनाने और श्रम प्रतियोगिता में ताल व उत्साहपूर्ण वातावरण बनाने के लिये ढोल का सहारा लिया जाता है। ढोल की संरचना बहुत सरल है। आवाज़ निकलने के लिये ढोल के ऊपरी व निचली दोनों तरफ जानवर की खाल लगाई जाती है। इसका खोल लकड़ी का होता है।
  • फाग तथा शैला नृत्यों में इनका विशेष उपयोग होते हैं। ढोल की लयबद्ध ध्वनि बेहद मनमोहक है, आम तौर लोक नृत्य गान और लोकप्रिय संगीतों में उसका ज़्यादा प्रयोग किया जाता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख