नैरंजना नदी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{पुनरीक्षण}} *नैरंजना नदी गया के पास बहने वाली [[फल्ग...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
m (Text replacement - "अर्थात " to "अर्थात् ")
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 1: Line 1:
{{पुनरीक्षण}}
'''नैरंजना नदी''' [[गया]] के पास बहने वाली [[फल्गु नदी]] की सहायता उपनदी है जिसे अब [[नीलांजना नदी]] कहते है।  
*नैरंजना नदी [[गया]] के पास बहने वाली [[फल्गु नदी]] की सहायता उपनदी जिसे अब [[नीलांजना नदी]] कहते है।  
*नैरंजना नदी गया से दक्षिण में 3 मील पर महाना अथवा फल्गु में मिलती है।<ref>गया के पूर्व में नगकूट पहाड़ी है, इसके दक्षिण में जाकर फल्गु का नाम महाना हो जाता है।</ref>
*नैरंजना नदी गया से दक्षिण में 3 मील पर महाना अथवा फल्गु में मिलती है।<ref>गया के पूर्व में नगकूट पहाड़ी है, इसके दक्षिण में जाकर फल्गु का नाम महाना हो जाता है।</ref>
*नैरंजना नदी [[बौद्ध साहित्य]] की प्रसिद्ध नदी है।  
*नैरंजना नदी [[बौद्ध साहित्य]] की प्रसिद्ध नदी है।  
*नैरंजना नदी के तट पर [[बुद्ध|भगवान बुद्ध]] को बुद्धत्व प्राप्ति हुई थी। अश्वघोष-रचित बुद्धचरित्र में नैरंजना का उल्लेख है:-  
*नैरंजना नदी के तट पर [[बुद्ध|भगवान बुद्ध]] को बुद्धत्व प्राप्ति हुई थी। अश्वघोष-रचित बुद्धचरित्र में नैरंजना का उल्लेख इस प्रकार है:-  
<poem>'ततो हित्वाश्रमं तस्य श्रेयोऽर्थी कृतनिश्च्य: भेजे गयस्य राजर्षे- र्नगरीं संज्ञामाश्रमम।  
<poem>'ततो हित्वाश्रमं तस्य श्रेयोऽर्थी कृतनिश्च्य: भेजे गयस्य राजर्षे- र्नगरीं संज्ञामाश्रमम।  
अय नैरंजनातीरे शुचौ शुचिपराक्रम: चकार वासमेकांत-विहाराभिरतिर्मुनि।<ref>बुद्धचरित. 12,89-90 </ref></poem>अर्थात तब श्रेय पाने की इच्छा से गौतम ने उद्रक मुनि का आश्रम छोड़कर राजर्षिगय की नगरी से आश्रम का सेवन किया और पवित्र पराक्रमवान एकांतविहार में आनंद प्राप्त करने वाले उस मुनि ने, नैरंजना नदी के पवित्र तीर पर निवास किया। इस उद्धरण से नैरंजना का वर्तमान नैलंजना से अभिज्ञान स्पष्ट हो जाता है।
अय नैरंजनातीरे शुचौ शुचिपराक्रम: चकार वासमेकांत-विहाराभिरतिर्मुनि।<ref>बुद्धचरित. 12,89-90 </ref>
</poem>अर्थात् तब श्रेय पाने की इच्छा से गौतम ने उद्रक मुनि का आश्रम छोड़कर राजर्षिगय की नगरी से आश्रम का सेवन किया और पवित्र पराक्रमवान एकांतविहार में आनंद प्राप्त करने वाले उस मुनि ने, नैरंजना नदी के पवित्र तीर पर निवास किया। इस उद्धरण से नैरंजना का वर्तमान नैलंजना से अभिज्ञान स्पष्ट हो जाता है।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
Line 16: Line 16:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{भारत की नदियाँ}}
{{भारत की नदियाँ}}
[[Category:बिहार]][[Category:बिहार की नदियाँ]]
[[Category:बिहार]]
[[Category:भारत की नदियाँ]][[Category:भूगोल कोश]]
[[Category:बिहार की नदियाँ]]
[[Category:नया पन्ना सितंबर-2011]]
[[Category:भारत की नदियाँ]]
[[Category:भूगोल कोश]]
 


__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 07:55, 7 November 2017

नैरंजना नदी गया के पास बहने वाली फल्गु नदी की सहायता उपनदी है जिसे अब नीलांजना नदी कहते है।

  • नैरंजना नदी गया से दक्षिण में 3 मील पर महाना अथवा फल्गु में मिलती है।[1]
  • नैरंजना नदी बौद्ध साहित्य की प्रसिद्ध नदी है।
  • नैरंजना नदी के तट पर भगवान बुद्ध को बुद्धत्व प्राप्ति हुई थी। अश्वघोष-रचित बुद्धचरित्र में नैरंजना का उल्लेख इस प्रकार है:-

'ततो हित्वाश्रमं तस्य श्रेयोऽर्थी कृतनिश्च्य: भेजे गयस्य राजर्षे- र्नगरीं संज्ञामाश्रमम।
अय नैरंजनातीरे शुचौ शुचिपराक्रम: चकार वासमेकांत-विहाराभिरतिर्मुनि।[2]

अर्थात् तब श्रेय पाने की इच्छा से गौतम ने उद्रक मुनि का आश्रम छोड़कर राजर्षिगय की नगरी से आश्रम का सेवन किया और पवित्र पराक्रमवान एकांतविहार में आनंद प्राप्त करने वाले उस मुनि ने, नैरंजना नदी के पवित्र तीर पर निवास किया। इस उद्धरण से नैरंजना का वर्तमान नैलंजना से अभिज्ञान स्पष्ट हो जाता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. गया के पूर्व में नगकूट पहाड़ी है, इसके दक्षिण में जाकर फल्गु का नाम महाना हो जाता है।
  2. बुद्धचरित. 12,89-90

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख