अनाप-शनाप खर्च करना: Difference between revisions

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'''अर्थ'''- व्यर्थ के कामों में खर्च करना।
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'''प्रयोग'''- अपनी आमदनी की परवाह न करता हुआ अनाप शनाप खर्च करता है। (प्रेमचंद)
'''प्रयोग'''- अपनी आमदनी की परवाह न करता हुआ अनाप शनाप खर्च करता है। ([[प्रेमचंद]])




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Latest revision as of 12:12, 20 April 2018

अनाप-शनाप खर्च करना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।

अर्थ- व्यर्थ के कामों में खर्च करना।

प्रयोग- अपनी आमदनी की परवाह न करता हुआ अनाप शनाप खर्च करता है। (प्रेमचंद)


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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