कहावत लोकोक्ति मुहावरे-ओ: Difference between revisions
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1- ओछे की प्रीत,बालू की भीत। | | अर्थ - बालू की दीवार मज़बूत नहीं होती, वह कभी भी गिर सकती है, ऐसे ही किसी भी रूप में गिरे हुए आदमी की दोस्ती भी बहुत अधिक दिनों तक नहीं चलती। | ||
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अर्थ - बालू की दीवार | |||
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|2- ओखली में सिर दिया तो मूसल का क्या डर। | |2- ओखली में सिर दिया तो मूसल का क्या डर। | ||
| | | अर्थ - यदि कठिन कार्य हाथ में ले लिया है तो कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए। | ||
अर्थ - यदि कठिन कार्य हाथ में ले लिया है तो कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए। | |||
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|3- ओस चाटे प्यास नहीं बुझती। | |3- ओस चाटे प्यास नहीं बुझती। | ||
| | | अर्थ - बहुत थोड़ी सी वस्तु से आवश्यकता की पूर्ति नहीं होती है। | ||
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|4- ओखली में सिर देना। | |||
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| अर्थ - पक्की सहेलियाँ बनाना। | |||
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Latest revision as of 12:13, 20 April 2018
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कहावत लोकोक्ति मुहावरे | अर्थ |
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1- ओछे की प्रीत,बालू की भीत। | अर्थ - बालू की दीवार मज़बूत नहीं होती, वह कभी भी गिर सकती है, ऐसे ही किसी भी रूप में गिरे हुए आदमी की दोस्ती भी बहुत अधिक दिनों तक नहीं चलती। |
2- ओखली में सिर दिया तो मूसल का क्या डर। | अर्थ - यदि कठिन कार्य हाथ में ले लिया है तो कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए। |
3- ओस चाटे प्यास नहीं बुझती। | अर्थ - बहुत थोड़ी सी वस्तु से आवश्यकता की पूर्ति नहीं होती है। |
4- ओखली में सिर देना। | अर्थ - जोखिम मोल लेना। |
5- ओढ़नी बदलना। | अर्थ - पक्की सहेलियाँ बनाना। |