राणा अमर सिंह: Difference between revisions
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-13 | (पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-13 | ||
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चित्र:Disamb2.jpg अमर सिंह | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- अमर सिंह (बहुविकल्पी) |
अमर सिंह मेवाड़ का राणा (1596-1620 ई.) था। वह महाराणा प्रताप का पुत्र और उनका उत्तराधिकारी था।
- अपनी स्वतंत्रता के लिए अमर सिंह ने बादशाह अकबर से बहादुरी के साथ युद्ध किया, लेकिन 1599 ई. में वह पराजित हो गया।
- अमर सिंह अकबर की परतंत्रता से अपनी मातृभूमि को बचाने में सफल तो नहीं हुआ, लेकिन उसने 1614 ई. तक मुग़लों के विरुद्ध अपनी लड़ाई जारी रखी।
- मुग़ल साम्राज्य के बढ़ते हुए दबाव और लगातार विफलता के कारण अमर सिंह ने बादशाह जहाँगीर से सम्मापूर्वक संधि कर ली।
- जहाँगीर ने मेवाड़ के राणा को मुग़ल दरबार में हाज़िर होने और किसी भी राजकुमारी को मुग़ल हरम में भेजने की अपमानजनक शर्त नहीं रखी।
- मेवाड़ और मुग़लों के बीच मित्रता के जो सम्बन्ध स्थापित हो गये थे, वे अधिक समय तक नहीं बने रह सके। औरंगज़ेब के समय में उसकी धार्मिक असहिष्णुता की नीति के कारण वे सम्बंध शीघ्र ही समाप्त हो गये।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-13
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 40 |