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'''आरा''' [[भारत]] के [[बिहार]] प्रांत के [[भोजपुर ज़िला|भोजपुर]] ज़िले का एक प्रमुख नगर तथा व्यापारिक केंद्र है। यह नगर एक प्रमुख रेल तथा सड़क जंक्शन है। बिहार की राजधानी [[पटना]] यहाँ से 32 मील की दूरी पर स्थित है। आरा स्थित 'द लिटल हाउस' एक ऐसा भवन है, जिसकी रक्षा [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने [[1857]] ई. के विद्रोह में कुंवर सिंह से लड़ते हुए की थी। आरा को [[1865]] ई. में नगरपालिका बनाया गया था। यहाँ के दर्शनीय स्थलों में 'आरण्य देवी' और 'मढ़िया का राम मन्दिर' प्रसिद्ध है।
*आरा शहर, [[बिहार]] राज्य, पूर्वोत्तर [[भारत]] का एक नगर है।  
==स्थिति==
*आरा एक प्रमुख रेल सड़क जंक्शन है।
यह नगर [[वाराणसी]] से 136 मील पूर्व-उत्तर, पटना से 37 मील पश्चिम, [[गंगा नदी]] से 14 मील दक्षिण और [[सोन नदी]] से 8 मील पश्चिम में स्थित है। यह पूर्वी रेलवे की प्रधान शाखा तथा आरा-[[सासाराम]] रेलवे लाइन का जंक्शन है। डिहरी से निकलने वाली सोन की पूर्वी नहर की प्रमुख 'आरा नहर' शाखा भी यहाँ से होकर जाती है।
*यह बिहार की राजधानी [[पटना]] से 32 मील की दूरी पर है।  
====इतिहास====
==इतिहास==
आरा अति प्राचीन ऐतिहासिक नगर है। इसकी प्राचीनता का संबंध [[महाभारत]] काल से है। पांडवों ने भी अपना गुप्त [[अज्ञातवास]] यहाँ बिताया था। [[कनिंघम|जेनरल कनिंघम]] के अनुसार [[युवानच्वांग]] द्वारा उल्लिखित कहानी का संबंध, जिसमें [[अशोक]] ने दानवों के [[बौद्ध]] होने के संस्मरणस्वरूप एक बौद्ध [[स्तूप]] खड़ा किया था, इसी स्थान से है। आरा के पास मसार ग्राम में प्राप्त [[जैन]] [[अभिलेख|अभिलेखों]] में उल्लिखित 'आरामनगर' नाम भी इसी नगर के लिए आया है।
*आरा स्थित द लिटल हाउस एक ऐसा भवन है, जिसकी रक्षा अंग्रेज़ों ने 1857 के विद्रोह में कुंवर सिंह से लड़ते हुए की थी।  
*आरा को 1865 में नगरपालिका बनाया गया था।
==वाणिज्यिक गतिविधियाँ==
कृषि, व्यापार और तेल निकालना यहाँ की प्रमुख वाणिज्यिक गतिविधियाँ है।  
==शिक्षण संस्थान==
यहाँ वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय और अनेक महाविद्यालय है।
==दर्शनीय स्थल==


आरा के दर्शनीय स्थलों में आरण्य देवी, मढ़िया का [[राम]] मन्दिर प्रसिद्ध है।
[[पुराण|पुराणों]] में लिखित मोरध्वज की कथा से भी इस नगर का संबंध बताया जाता है। बुकानन ने इस नगर के नामकरण में भौगोलिक कारण बताते हुए कहा कि [[गंगा]] के दक्षिण ऊँचे स्थान पर स्थित होने के कारण, अर्थात्‌ 'आड' या 'अरार' में होने के कारण, इसका नाम 'आरा' पड़ा। [[1857]] के [[प्रथम स्वतंत्रता संग्राम]] के प्रमुख सेनानी कुंवर सिंह की कार्य-स्थली होने का गौरव भी इस नगर को प्राप्त है।
==व्यापारिक तथा प्रशासनिक केन्द्र==
गंगा और [[सोन नदी]] की उपजाऊ घाटी में स्थित होने के कारण आरा अनाज का प्रमुख व्यापारिक क्षेत्र तथा वितरण केंद्र है। 'वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय' सहित यहाँ अनेक महाविद्यालय हैं। रेलों और पक्की सड़कों द्वारा यह [[पटना]], [[वाराणसी]] और [[सासाराम]] आदि से जुड़ा हुआ है। नगर की आकृति षड्भुजाकार है और इसका क्षेत्रफल छह वर्ग मील है। नगर के आकार पर धरातल का प्रभाव अधिक है। बहुधा सोन नदी की बाढ़ों से अधिकांश नगर क्षतिग्रस्त हो जाता है। प्रशासनिक केंद्र होने के कारण यहाँ की अधिकांश जनसंख्या वकालत, डाक्टरी, नौकरी एवं प्राशासनिक कार्यों में लगी है। 22.2 प्रतिशत लोग व्यापार से तथा 24.3 प्रतिशत [[कृषि]] से जीविकोपार्जन करते हैं। उद्योग धंधे में लगे लोगों की संख्या अपेक्षाकृत बहुत ही कम है।
(नृ.कु.सिं.)
==जनसंख्या==
==जनसंख्या==
2001 की जनगणना के अनुसार आरा शहर की कुल जनसंख्या 2,03,395 है।
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आरा भारत के बिहार प्रांत के भोजपुर ज़िले का एक प्रमुख नगर तथा व्यापारिक केंद्र है। यह नगर एक प्रमुख रेल तथा सड़क जंक्शन है। बिहार की राजधानी पटना यहाँ से 32 मील की दूरी पर स्थित है। आरा स्थित 'द लिटल हाउस' एक ऐसा भवन है, जिसकी रक्षा अंग्रेज़ों ने 1857 ई. के विद्रोह में कुंवर सिंह से लड़ते हुए की थी। आरा को 1865 ई. में नगरपालिका बनाया गया था। यहाँ के दर्शनीय स्थलों में 'आरण्य देवी' और 'मढ़िया का राम मन्दिर' प्रसिद्ध है।

स्थिति

यह नगर वाराणसी से 136 मील पूर्व-उत्तर, पटना से 37 मील पश्चिम, गंगा नदी से 14 मील दक्षिण और सोन नदी से 8 मील पश्चिम में स्थित है। यह पूर्वी रेलवे की प्रधान शाखा तथा आरा-सासाराम रेलवे लाइन का जंक्शन है। डिहरी से निकलने वाली सोन की पूर्वी नहर की प्रमुख 'आरा नहर' शाखा भी यहाँ से होकर जाती है।

इतिहास

आरा अति प्राचीन ऐतिहासिक नगर है। इसकी प्राचीनता का संबंध महाभारत काल से है। पांडवों ने भी अपना गुप्त अज्ञातवास यहाँ बिताया था। जेनरल कनिंघम के अनुसार युवानच्वांग द्वारा उल्लिखित कहानी का संबंध, जिसमें अशोक ने दानवों के बौद्ध होने के संस्मरणस्वरूप एक बौद्ध स्तूप खड़ा किया था, इसी स्थान से है। आरा के पास मसार ग्राम में प्राप्त जैन अभिलेखों में उल्लिखित 'आरामनगर' नाम भी इसी नगर के लिए आया है।

पुराणों में लिखित मोरध्वज की कथा से भी इस नगर का संबंध बताया जाता है। बुकानन ने इस नगर के नामकरण में भौगोलिक कारण बताते हुए कहा कि गंगा के दक्षिण ऊँचे स्थान पर स्थित होने के कारण, अर्थात्‌ 'आड' या 'अरार' में होने के कारण, इसका नाम 'आरा' पड़ा। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख सेनानी कुंवर सिंह की कार्य-स्थली होने का गौरव भी इस नगर को प्राप्त है।

व्यापारिक तथा प्रशासनिक केन्द्र

गंगा और सोन नदी की उपजाऊ घाटी में स्थित होने के कारण आरा अनाज का प्रमुख व्यापारिक क्षेत्र तथा वितरण केंद्र है। 'वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय' सहित यहाँ अनेक महाविद्यालय हैं। रेलों और पक्की सड़कों द्वारा यह पटना, वाराणसी और सासाराम आदि से जुड़ा हुआ है। नगर की आकृति षड्भुजाकार है और इसका क्षेत्रफल छह वर्ग मील है। नगर के आकार पर धरातल का प्रभाव अधिक है। बहुधा सोन नदी की बाढ़ों से अधिकांश नगर क्षतिग्रस्त हो जाता है। प्रशासनिक केंद्र होने के कारण यहाँ की अधिकांश जनसंख्या वकालत, डाक्टरी, नौकरी एवं प्राशासनिक कार्यों में लगी है। 22.2 प्रतिशत लोग व्यापार से तथा 24.3 प्रतिशत कृषि से जीविकोपार्जन करते हैं। उद्योग धंधे में लगे लोगों की संख्या अपेक्षाकृत बहुत ही कम है। (नृ.कु.सिं.)

जनसंख्या

सन 1953 में आरा की जनसंख्या 53,122 थी, जो 2001 की जनगणना के अनुसार 2,03,395 हो गई।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

हिन्दी विश्वकोश, भाग-1 |लेखक: नृपेन्द्र कुमार सिंह |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संपादन: कमलापति त्रिपाठी |पृष्ठ संख्या: 422 |


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