उपदेशामृत: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
*11 श्लोकों के इस ग्रन्थ में भजनशील व्यक्तियों के लिए [[रूप गोस्वामी]] के अमूल्य अपदेश है। | *11 श्लोकों के इस ग्रन्थ में भजनशील व्यक्तियों के लिए [[रूप गोस्वामी]] के अमूल्य अपदेश है। | ||
*श्रीभक्तिविनोद ठाकुर महाशय ने इसे श्रद्धा भक्ति के पथ के पथिकों के लिए एक आलोक–स्तम्भ के समान जान इस पर पीयूष वर्षिणी टीका लिखी है और इसका 'सुललित त्रिपदी' [[छन्द]] में पद्मानुवाद कर इसे सर्वसाधारण के लिए और भी उपयोगी बनाया है। | *श्रीभक्तिविनोद ठाकुर महाशय ने इसे श्रद्धा भक्ति के पथ के पथिकों के लिए एक आलोक–स्तम्भ के समान जान इस पर पीयूष वर्षिणी टीका लिखी है और इसका 'सुललित त्रिपदी' [[छन्द]] में पद्मानुवाद कर इसे सर्वसाधारण के लिए और भी उपयोगी बनाया है। | ||
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | |||
{{लेख प्रगति|आधार= | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> |
Latest revision as of 10:16, 8 August 2012
- 11 श्लोकों के इस ग्रन्थ में भजनशील व्यक्तियों के लिए रूप गोस्वामी के अमूल्य अपदेश है।
- श्रीभक्तिविनोद ठाकुर महाशय ने इसे श्रद्धा भक्ति के पथ के पथिकों के लिए एक आलोक–स्तम्भ के समान जान इस पर पीयूष वर्षिणी टीका लिखी है और इसका 'सुललित त्रिपदी' छन्द में पद्मानुवाद कर इसे सर्वसाधारण के लिए और भी उपयोगी बनाया है।
|
|
|
|
|