हुगली बन्दरगाह: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{पुनरीक्षण}} '''हुगली बन्दरगाह''' कोलकाता से कुछ मील उ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
 
(7 intermediate revisions by 4 users not shown)
Line 1: Line 1:
{{पुनरीक्षण}}
{{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय
'''हुगली बन्दरगाह''' [[कोलकाता]] से कुछ मील उत्तर में [[गंगा]] के तट पर स्थित है। 1559 ई. के आस-पास [[पुर्तग़ाली]] लोग हुगली में आकर बस गये और इस बन्दरगाह का उपयोग करने लगे थे।  
|चित्र=Hooghly-Port.jpg
*1579-80 ई. में सम्राट [[अकबर]] ने उन्हें यहाँ से व्यापार करने की अनुमति प्रदान कर दी थी लेकिन उन्हें क़िले बनाने की अनुमति नहीं थी।
|चित्र का नाम=हुगली बन्दरगाह
*हुगली से पुर्तग़ाली [[जौनपुर]] के बने मोटे गलीचे और रेशमी कपे ले जाते थे इसके अतिरिक्त यहाँ से सिले हुए गद्दे, शामियाना और खेमा लगाने का सामान ले जाते थे।
|विवरण=1579-80 ई. में [[मुग़ल]] [[अकबर|बादशाह अकबर]] ने पुर्तग़ालियों को हुगली से व्यापार करने की अनुमति प्रदान कर दी थी|
*1651 में ईस्ट इण्डिया के [[अंग्रेज़]] व्यापारियों ने यहाँ अपनी एक व्यापारिक कोठी बनायी थी।
|शीर्षक 1=देश
*1659 ई. में मुग़लों ने हुगली को घेर कर उस पर कब्ज़ा कर लिया। इसके बाद हुगली की अवनति होने लगी। इसके पास बाद में डज लोगों ने चिनसुरा तथा फ्रांसिसियों ने [[चन्द्रनगर]] की बस्तियाँ बसायी थी।  
|पाठ 1=[[भारत]]
|शीर्षक 2=स्थान
|पाठ 2=हुगली , [[कलकत्ता]]
|शीर्षक 3=
|पाठ 3=
|शीर्षक 4=
|पाठ 4=
|शीर्षक 5=
|पाठ 5=
|शीर्षक 6=
|पाठ 6=
|शीर्षक 7=
|पाठ 7=
|शीर्षक 8=
|पाठ 8=
|शीर्षक 9=
|पाठ 9=
|शीर्षक 10=
|पाठ 10=
|संबंधित लेख=
|अन्य जानकारी=1651 में [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] के [[अंग्रेज़]] व्यापारियों ने यहाँ अपनी एक व्यापारिक कोठी स्थापित की।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=05:34, 2 दिसम्बर-2016 (IST)
}}
'''हुगली बन्दरगाह''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Hooghly Port'') [[कोलकाता]] (भूतपूर्व कलकत्ता) से कुछ मील उत्तर में [[गंगा]] के तट पर स्थित है। 1559 ई. के आस-पास [[पुर्तग़ाली]] लोग हुगली में आकर बस गये थे और इस बन्दरगाह का उपयोग करने लगे थे। इस स्थान पर 1651 ई. में [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने अपनी व्यापारिक कोठी बनाई थी।


*1579-80 ई. में [[मुग़ल]] [[अकबर|बादशाह अकबर]] ने पुर्तग़ालियों को हुगली से व्यापार करने की अनुमति प्रदान कर दी थी, लेकिन उन्हें क़िले बनाने की अनुमति नहीं थी।
*हुगली से पुर्तग़ाली [[जौनपुर]] के बने मोटे ग़लीचे और रेशमी कपड़े ले जाते थे। इसके अतिरिक्त यहाँ से सिले हुए गद्दे, शामियाना और ख़ैमा लगाने का सामान ले जाते थे।
*1651 में [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] के [[अंग्रेज़]] व्यापारियों ने यहाँ अपनी एक व्यापारिक कोठी स्थापित की। इस कार्य में जेबराइल बाऊटन नामक अंग्रेज़ सर्जन ने, जो [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] का तत्कालीन [[मुग़ल]] [[सूबेदार]] का पारिवारिक चिकित्सक था, बहुत सहायता दी थी। 1658 में यह कोठी [[मद्रास]] के अधीन कर दी गई।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=1026|url=}}</ref>
*1659 ई. में मुग़लों ने हुगली को घेर कर उस पर कब्ज़ा कर लिया। इसके बाद हुगली की अवनति होने लगी। बाद के समय में [[डच]] लोगों ने चिनसुरा तथा [[फ़्राँसीसी|फ़्राँसीसियों]] ने [[चन्द्रनगर]] की बस्तियाँ बसायीं। 




{{संदर्भ ग्रंथ}}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
[[Category:कोलकाता]]
{{भारत के बंदरगाह}}
[[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]]
{{पश्चिम बंगाल के ऐतिहासिक स्थान}}
[[Category:पश्चिम बंगाल]]
[[Category:बंदरगाह]]
[[Category:नया पन्ना अक्टूबर-2011]]
[[Category:पश्चिम बंगाल]][[Category:पश्चिम बंगाल के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:कोलकाता]][[Category:पश्चिम बंगाल के पर्यटन स्थल]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:पर्यटन कोश]][[Category:ऐतिहासिक स्थल]][[Category:इतिहास कोश]]
 
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

Latest revision as of 12:05, 2 December 2016

हुगली बन्दरगाह
विवरण 1579-80 ई. में मुग़ल बादशाह अकबर ने पुर्तग़ालियों को हुगली से व्यापार करने की अनुमति प्रदान कर दी थी
देश भारत
स्थान हुगली , कलकत्ता
अन्य जानकारी 1651 में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के अंग्रेज़ व्यापारियों ने यहाँ अपनी एक व्यापारिक कोठी स्थापित की।
अद्यतन‎ 05:34, 2 दिसम्बर-2016 (IST)

हुगली बन्दरगाह (अंग्रेज़ी: Hooghly Port) कोलकाता (भूतपूर्व कलकत्ता) से कुछ मील उत्तर में गंगा के तट पर स्थित है। 1559 ई. के आस-पास पुर्तग़ाली लोग हुगली में आकर बस गये थे और इस बन्दरगाह का उपयोग करने लगे थे। इस स्थान पर 1651 ई. में अंग्रेज़ों ने अपनी व्यापारिक कोठी बनाई थी।

  • 1579-80 ई. में मुग़ल बादशाह अकबर ने पुर्तग़ालियों को हुगली से व्यापार करने की अनुमति प्रदान कर दी थी, लेकिन उन्हें क़िले बनाने की अनुमति नहीं थी।
  • हुगली से पुर्तग़ाली जौनपुर के बने मोटे ग़लीचे और रेशमी कपड़े ले जाते थे। इसके अतिरिक्त यहाँ से सिले हुए गद्दे, शामियाना और ख़ैमा लगाने का सामान ले जाते थे।
  • 1651 में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के अंग्रेज़ व्यापारियों ने यहाँ अपनी एक व्यापारिक कोठी स्थापित की। इस कार्य में जेबराइल बाऊटन नामक अंग्रेज़ सर्जन ने, जो बंगाल का तत्कालीन मुग़ल सूबेदार का पारिवारिक चिकित्सक था, बहुत सहायता दी थी। 1658 में यह कोठी मद्रास के अधीन कर दी गई।[1]
  • 1659 ई. में मुग़लों ने हुगली को घेर कर उस पर कब्ज़ा कर लिया। इसके बाद हुगली की अवनति होने लगी। बाद के समय में डच लोगों ने चिनसुरा तथा फ़्राँसीसियों ने चन्द्रनगर की बस्तियाँ बसायीं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 1026 |

संबंधित लेख