अम्बाजी शक्तिपीठ: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
(4 intermediate revisions by 3 users not shown)
Line 1: Line 1:
{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=अम्बाजी |लेख का नाम=अम्बाजी (बहुविकल्पी)}}
{{सूचना बक्सा मन्दिर
|चित्र=Ambaji-Temple.jpg
|चित्र का नाम=अम्बाजी शक्तिपीठ
|वर्णन=[[गुजरात]] स्थित 'अम्बाजी शक्तिपीठ' [[भारतवर्ष]] के अज्ञात 108 एवं ज्ञात [[शक्तिपीठ|51 पीठों]] में से एक है। इसका [[हिन्दू धर्म]] में बड़ा ही महत्त्व है।
|स्थान=[[जूनागढ़]], [[गुजरात]]
|निर्माता=
|जीर्णोद्धारक=
|निर्माण काल=
|देवी-देवता=देवी 'चन्द्रभागा' तथा [[शिव]] 'वक्रतुण्ड'।
|वास्तुकला=
|भौगोलिक स्थिति=
|संबंधित लेख=[[शक्तिपीठ]], [[सती]]
|शीर्षक 1=पौराणिक मान्यता
|पाठ 1=मान्यतानुसार यह माना जाता है कि इस स्थान पर [[सती|देवी सती]] का 'उदर भाग' गिरा था।
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=[[गुजरात]] के [[ब्राह्मण]] वर्ग के लोग [[विवाह]] के बाद वर-वधू को यहाँ देवी का चरणस्पर्श कराने के लिए लेकर आते हैं।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
}}
'''अम्बाजी शक्तिपीठ''' [[शक्तिपीठ|51 शक्तिपीठों]] में से एक है। [[हिन्दू धर्म]] के [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार जहां-जहां [[सती]] के अंग के टुकड़े, धारण किए [[वस्त्र]] या [[आभूषण]] गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आये। ये अत्यंत पावन [[तीर्थ स्थान|तीर्थस्थान]] कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। देवीपुराण में [[शक्तिपीठ|51 शक्तिपीठों]] का वर्णन है।
'''अम्बाजी शक्तिपीठ''' [[शक्तिपीठ|51 शक्तिपीठों]] में से एक है। [[हिन्दू धर्म]] के [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार जहां-जहां [[सती]] के अंग के टुकड़े, धारण किए [[वस्त्र]] या [[आभूषण]] गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आये। ये अत्यंत पावन [[तीर्थ स्थान|तीर्थस्थान]] कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। देवीपुराण में [[शक्तिपीठ|51 शक्तिपीठों]] का वर्णन है।
==स्थिति==
==स्थिति==
Line 10: Line 31:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{शक्तिपीठ}}
{{शक्तिपीठ}}
[[Category:हिन्दू_धर्म]]
[[Category:हिन्दू_तीर्थ]]
[[Category:हिन्दू_तीर्थ]]
[[Category:गुजरात]]
[[Category:गुजरात]]
Line 18: Line 38:
[[Category:हिन्दू_धार्मिक_स्थल]]
[[Category:हिन्दू_धार्मिक_स्थल]]
[[Category:गुजरात_के_धार्मिक_स्थल]]
[[Category:गुजरात_के_धार्मिक_स्थल]]
[[Category:शक्तिपीठ]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__
{{सुलेख}}
{{सुलेख}}

Latest revision as of 08:43, 25 September 2014

चित्र:Disamb2.jpg अम्बाजी एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- अम्बाजी (बहुविकल्पी)
अम्बाजी शक्तिपीठ
वर्णन गुजरात स्थित 'अम्बाजी शक्तिपीठ' भारतवर्ष के अज्ञात 108 एवं ज्ञात 51 पीठों में से एक है। इसका हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्त्व है।
स्थान जूनागढ़, गुजरात
देवी-देवता देवी 'चन्द्रभागा' तथा शिव 'वक्रतुण्ड'।
संबंधित लेख शक्तिपीठ, सती
पौराणिक मान्यता मान्यतानुसार यह माना जाता है कि इस स्थान पर देवी सती का 'उदर भाग' गिरा था।
अन्य जानकारी गुजरात के ब्राह्मण वर्ग के लोग विवाह के बाद वर-वधू को यहाँ देवी का चरणस्पर्श कराने के लिए लेकर आते हैं।

अम्बाजी शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आये। ये अत्यंत पावन तीर्थस्थान कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है।

स्थिति

गुजरात शक्ति-साधना का अनुपम केन्द्र है। यहाँ हलवद के पास सुंदरी, कच्छ में आशापुर, बदवाण में बुटामाता, द्वारका में अभयमाता, नर्मदा तट पर अनसूया, घोघा के पास खोड्यार माता आदि अनेक रूपों में शक्ति की उपासना होती है। पुराने जूनागढ़ के गिरनार पर्वत के प्रथम शिखर पर देवी अम्बिका का भव्य-विशाल मंदिर है। कहते हैं पार्वती यहीं निवास करती हैं। अम्बिका (अम्बाजी) के इस मंदिर को शक्तिपीठ मानते हैं। पर्वत की चढ़ाई काफ़ी ऊँची हैं। सहस्त्रों सीढ़ियाँ पार करने पर तीन शिकरों की यात्रा होती है। इन शिखरों पर क्रमश: अम्बादेवी, योगाचार्य गोरखनाथ तथा दत्तात्रेय के स्थान हैं।

मान्यता

अम्बादेवी की विशाल मूर्ति इस वन प्रदेश में उग्र प्रतीत होती है। इसी पर्वत की एक गुफा में काली जी की मूर्ति है। यहाँ सती का 'उदर भाग' गिरा था। यहाँ की शक्ति 'चन्द्रभागा' तथा शिव 'वक्रतुण्ड' हैं। ऐसी भी मान्यता है कि गिरनार पर्वत के निकट ही सती का 'ऊर्ध्वओष्ठ' गिरा था, जो भैरव शक्तिपीठ के नाम से विख्यात है, जहाँ की शक्ति 'अवंती' तथा शिव 'लंबकर्ण' हैं। गुजरात के ब्राह्मण विवाह के बाद वर-वधू को यहाँ देवी का चरणस्पर्श कराने के लिए लेकर आते हैं। पश्चिमी रेलवे के राजकोट से दक्षिण पश्चिम जूनागढ़ स्थित है। जूनागढ़ के आगे पश्चिम में सोमनाथ पड़ता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


सुव्यवस्थित लेख|link=भारतकोश:सुव्यवस्थित लेख