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*[[कर्नाटक]] के ज़िला अर्काट में स्थित जिंजी अपने सुदृढ़ दुर्ग के कारण उल्लेखनीय है।
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'''जिंजी''' [[कर्नाटक]] के अर्काट ज़िला में स्थित था। वर्तमान में यह [[तमिलनाडु]] के [[विलुप्पुरम ज़िला|विलुप्पुरम ज़िले]] में स्थित है।
*जिंजी अपने सुदृढ़ दुर्ग के कारण उल्लेखनीय है।
* सन् 1677 ई. में [[शिवाजी]] ने जिंजी के क़िले को [[बीजापुर]] से छीन लिया और अपनी कर्नाटक सरकार की राजधानी बना दिया।  
* सन् 1677 ई. में [[शिवाजी]] ने जिंजी के क़िले को [[बीजापुर]] से छीन लिया और अपनी कर्नाटक सरकार की राजधानी बना दिया।  
*शिवाजी की मृत्यु के बाद जिंजी पूर्वी तट पर [[मराठा|मराठों]] के स्वातंत्र्य युद्ध का प्रमुख केन्द्र बन गया।  
*शिवाजी की मृत्यु के बाद जिंजी पूर्वी तट पर [[मराठा|मराठों]] के स्वातंत्र्य युद्ध का प्रमुख केन्द्र बन गया।  
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*जिंजी का दुर्ग तीन पहाड़ियों को मज़बूत दीवार से जोड़ कर तीन मील की परिधि में बनाया गया है।  
*जिंजी का दुर्ग तीन पहाड़ियों को मज़बूत दीवार से जोड़ कर तीन मील की परिधि में बनाया गया है।  
*यहाँ इसकी एक पहाड़ी पर रंगनाथ का सुन्दर मन्दिर है, जिसमें [[कृष्ण]] की कलात्मक मूर्तियाँ हैं।  
*यहाँ इसकी एक पहाड़ी पर रंगनाथ का सुन्दर मन्दिर है, जिसमें [[कृष्ण]] की कलात्मक मूर्तियाँ हैं।  
 
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चित्र:Gingee-Fort-1.jpg|जिंजी दुर्ग
चित्र:Gingee-Fort-2.jpg|सार्वजनिक भवन, जिंजी दुर्ग
चित्र:Gingee-Fort-3.jpg|व्यायामशाला और पानी की टंकी, जिंजी दुर्ग
चित्र:Gingee-Fort-4.jpg|मन्दिर, जिंजी दुर्ग
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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==संबंधित लेख==
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Latest revision as of 13:07, 7 July 2012

thumb|250px|जिंजी दुर्ग जिंजी कर्नाटक के अर्काट ज़िला में स्थित था। वर्तमान में यह तमिलनाडु के विलुप्पुरम ज़िले में स्थित है।

  • जिंजी अपने सुदृढ़ दुर्ग के कारण उल्लेखनीय है।
  • सन् 1677 ई. में शिवाजी ने जिंजी के क़िले को बीजापुर से छीन लिया और अपनी कर्नाटक सरकार की राजधानी बना दिया।
  • शिवाजी की मृत्यु के बाद जिंजी पूर्वी तट पर मराठों के स्वातंत्र्य युद्ध का प्रमुख केन्द्र बन गया।
  • सन 1690 ई. में विशाल मुग़ल सेना ने जिंजी के क़िले पर अधिकार करने के लिए घेरा डाला ताकि शिवाजी के उत्तराधिकारी रामराजा को पराजित किया जा सके।
  • जिंजी का दुर्ग अजेय समझा जाता था, अतः दुर्ग का घेरा 18 जनवरी, 1698 ई. तक पड़ा रहा। उस दिन मुग़लों ने दुर्ग पर भीषण आक्रमण किया।
  • रामराजा को यहाँ से भागकर अन्यत्र जाना पड़ा।
  • कालांतर में इस क़िले पर फ्रांसीसी लोगों ने अधिकार कर लिया, किंतु 1761 ई. में पांडिचेरी के पतन के बाद उन्हें यह किला अंग्रेज़ों को सौंपना पड़ा।
  • जिंजी का दुर्ग तीन पहाड़ियों को मज़बूत दीवार से जोड़ कर तीन मील की परिधि में बनाया गया है।
  • यहाँ इसकी एक पहाड़ी पर रंगनाथ का सुन्दर मन्दिर है, जिसमें कृष्ण की कलात्मक मूर्तियाँ हैं।


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वीथिक

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख