कुटीर उद्योग: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replace - "महत्वपूर्ण" to "महत्त्वपूर्ण")
 
(2 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 3: Line 3:
'''कुटीर उद्योग''' उन उद्योगों का सम्मिलित नाम हैं, जिनके अन्तर्गत कुशल कारीगरों द्वारा कम पूंजी एवं अधिक कुशलता से अपने हाथों के माध्यम से वस्तुओं का निर्माण किया जाता हे। यह वृहत पैमाने के भारी उद्योगों की विपरीत स्थिति हैं। [[भारत]] में कुटीर उद्योगों के अन्तर्गत कुछ ऐसी वस्तुओं का भी निर्माण होता है, जो आधुनिक तकनीकि से उत्पादित वस्तुओं से भी प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हैं।
'''कुटीर उद्योग''' उन उद्योगों का सम्मिलित नाम हैं, जिनके अन्तर्गत कुशल कारीगरों द्वारा कम पूंजी एवं अधिक कुशलता से अपने हाथों के माध्यम से वस्तुओं का निर्माण किया जाता हे। यह वृहत पैमाने के भारी उद्योगों की विपरीत स्थिति हैं। [[भारत]] में कुटीर उद्योगों के अन्तर्गत कुछ ऐसी वस्तुओं का भी निर्माण होता है, जो आधुनिक तकनीकि से उत्पादित वस्तुओं से भी प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हैं।
==भारत में कुटीर उद्योग==
==भारत में कुटीर उद्योग==
[[भारत की अर्थव्यवस्था]] में प्राचीन काल से ही कुटीर उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के भारत आगमन के पश्चात् देश में कुटीर उद्योगों तेज़ी से नष्ट हुए एवं परम्परागत कारीगरों ने अन्य व्यवसाय अपना लिये किन्तु [[स्वदेशी आन्दोलन]] के प्रभाव से पुनः कुटीर उद्योगों को बल मिला और वर्तमान में तो कुटीर उद्योग आधुनिक तकनीकी के समानान्तर भूमिका निभा रहे हैं। अब इनमें कुशलता एवं परिश्रम के अतिरिक्त छोटे पैमाने पर मशीनों का भी उपयोग किया जाने लगा है।  
[[भारत की अर्थव्यवस्था]] में प्राचीन काल से ही कुटीर उद्योगों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के भारत आगमन के पश्चात् देश में कुटीर उद्योगों तेज़ी से नष्ट हुए एवं परम्परागत कारीगरों ने अन्य व्यवसाय अपना लिये किन्तु [[स्वदेशी आन्दोलन]] के प्रभाव से पुनः कुटीर उद्योगों को बल मिला और वर्तमान में तो कुटीर उद्योग आधुनिक तकनीकी के समानान्तर भूमिका निभा रहे हैं। अब इनमें कुशलता एवं परिश्रम के अतिरिक्त छोटे पैमाने पर मशीनों का भी उपयोग किया जाने लगा है।  
== परिभाषा==
== परिभाषा==
[[एशिया]] एवं सुदूर पूर्व के आर्थिक आयोग द्वारा कुटीर उद्योगों को इस प्रकार परिभाषित किया गया हैं -  
[[एशिया]] एवं सुदूर पूर्व के आर्थिक आयोग द्वारा कुटीर उद्योगों को इस प्रकार परिभाषित किया गया हैं -  
Line 12: Line 12:
==प्रकार==
==प्रकार==
कुटीर उद्योगों को निम्नलिखित वर्गों में रखा जाता है-
कुटीर उद्योगों को निम्नलिखित वर्गों में रखा जाता है-
#ग्रामीण कुटीर उद्योग
#[[ग्रामीण कुटीर उद्योग]]
#नगरीय कुटीर उद्योग
#[[नगरीय कुटीर उद्योग]]


उपयुक्त प्रकारों के साथ ही कुछ ऐसे भी कुटीर उद्योग हैं जिनका विकास भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कुशलतापूर्वक किया जा सकता है अथवा किया जा रहा है। ये उद्योग निम्नलिखित हैं।  
उपयुक्त प्रकारों के साथ ही कुछ ऐसे भी कुटीर उद्योग हैं जिनका विकास भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कुशलतापूर्वक किया जा सकता है अथवा किया जा रहा है। ये उद्योग निम्नलिखित हैं।  
Line 26: Line 26:
==अन्य कुटीर उद्योग==
==अन्य कुटीर उद्योग==
भारत के कुछ कुटीर उद्योग एवं उनके वितरण निम्नलिखित हैं -  
भारत के कुछ कुटीर उद्योग एवं उनके वितरण निम्नलिखित हैं -  
#हथकरघा उद्योग
#[[हथकरघा उद्योग]]
#रेशम उद्योग
#[[रेशम उद्योग]]
#ऊनी वस्त्र उद्योग
#[[ऊनी वस्त्र उद्योग]]
#मधुमक्खी पालन
#[[मधुमक्खी पालन]]
#चमड़ा उद्योग
#[[चमड़ा उद्योग]]
#गुड़ तथा खांडसारी उद्योग
#[[गुड़ तथा खांडसारी उद्योग]]
#दियासलाई उद्योग
#[[दियासलाई उद्योग]]


==सरकारी संस्थाऐं==
==सरकारी संस्थाऐं==
Line 50: Line 50:
==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{भारत में उद्योग और व्यापार}}
[[Category:उद्योग और कल कारख़ाने]]
[[Category:उद्योग और कल कारख़ाने]]
[[Category:वाणिज्य व्यापार कोश]]
[[Category:वाणिज्य व्यापार कोश]]
[[Category:कुटीर उद्योग]]
[[Category:कुटीर उद्योग]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 08:00, 1 August 2013

चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

कुटीर उद्योग उन उद्योगों का सम्मिलित नाम हैं, जिनके अन्तर्गत कुशल कारीगरों द्वारा कम पूंजी एवं अधिक कुशलता से अपने हाथों के माध्यम से वस्तुओं का निर्माण किया जाता हे। यह वृहत पैमाने के भारी उद्योगों की विपरीत स्थिति हैं। भारत में कुटीर उद्योगों के अन्तर्गत कुछ ऐसी वस्तुओं का भी निर्माण होता है, जो आधुनिक तकनीकि से उत्पादित वस्तुओं से भी प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हैं।

भारत में कुटीर उद्योग

भारत की अर्थव्यवस्था में प्राचीन काल से ही कुटीर उद्योगों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। अंग्रेज़ों के भारत आगमन के पश्चात् देश में कुटीर उद्योगों तेज़ी से नष्ट हुए एवं परम्परागत कारीगरों ने अन्य व्यवसाय अपना लिये किन्तु स्वदेशी आन्दोलन के प्रभाव से पुनः कुटीर उद्योगों को बल मिला और वर्तमान में तो कुटीर उद्योग आधुनिक तकनीकी के समानान्तर भूमिका निभा रहे हैं। अब इनमें कुशलता एवं परिश्रम के अतिरिक्त छोटे पैमाने पर मशीनों का भी उपयोग किया जाने लगा है।

परिभाषा

एशिया एवं सुदूर पूर्व के आर्थिक आयोग द्वारा कुटीर उद्योगों को इस प्रकार परिभाषित किया गया हैं -

"कुटीर उद्योग वे उद्योग हैं, जिनका एक ही परिवार के सदस्यों द्वारा पूर्णरूप से अथवा आंशिक रूप से संचालन किया जाता है।"

भारत के द्वितीय योजना आयोग द्वारा इसी परिभाषा को मान्यता प्रदान की गयी हैं। इसके अतिरिक्त 'प्रो. काले' ने कुटीर उद्योगों को परिभाषित करते हुए कहा है "कुटीर उद्योग इस प्रकारके संगठन को कहते हैं जिसके अन्तर्गत स्वतन्त्र उत्पादनकर्ता अपनी पूंजी लगाता है और अपने श्रम के कुल उत्पादन का स्वयं अधिकारी होता है।"

प्रकार

कुटीर उद्योगों को निम्नलिखित वर्गों में रखा जाता है-

  1. ग्रामीण कुटीर उद्योग
  2. नगरीय कुटीर उद्योग

उपयुक्त प्रकारों के साथ ही कुछ ऐसे भी कुटीर उद्योग हैं जिनका विकास भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कुशलतापूर्वक किया जा सकता है अथवा किया जा रहा है। ये उद्योग निम्नलिखित हैं।

  1. कृषि सम्बन्धी एवं कृषि सहायक उद्योग- जैसे; विभिन्न प्रकार की चटनियाँ, मुरब्बे एवं अचार बनाना, दालें बनाना, धान से चावल बनाना, गेहूँ एवं अन्य अनाजों की पिसाई, गुड़, शक्कर तथा खांडसारी का निर्माण, विभिन्न प्रकार के तम्बाकू बनाना, दुग्शालाओं का संचालन, मुर्गी तथा मधुमक्खी पालन आदि।
  2. स्त्र उद्योग- जैसे; कपास से बीच (बिनौले) निकालना, रुई धुनना, सूत की कताई, कपड़े की बुनाई, रेशम के कीड़े पालना, भेड़ों एवं बकरियों से ऊन उतारना, ऊन कातना, कम्बल, दरियाँ, गलीचे आदि बनाना, कपड़ों की छपाई तथा कढ़ाई करना।
  3. काष्ठ उद्योग- जैसे; लकड़ी चीरना, फर्नीचर बनाना, खिलौने एवं कलात्मक वस्तुऐं बनाना, उनकी रंगाई करना तथा छोटे-छोटे औजारों का निर्माण करना।
  4. धातु उद्योग- जैसे; कच्ची धातु को पिघलाकर एवं अन्य विधियों से शुद्ध धातु प्राप्त करना, चाकू छुरियाँ, कैंची, पीतल के बरतन, तांबे के बरतन आदि बनाना तथा धातुओं के तार बनना आदि।
  5. मिट्टी के काम- जैसे; कुम्हारगीरी, ईंट, खपरैल का निर्माण करना, चीनी मिट्टी के बर्तन बनना आदि।
  6. चर्म शिल्प- जैसे; मृत पशुओं का चमड़ा उतरना, उसको तैयार करना, चमड़े की रंगाई, जूते, बैग एवं अन्य वस्तुओं का निर्माण करना, सीगों से कंधे बनाना, हड्डियों से खाद बनाना आदि।
  7. अन्य काम- जैसे; लाख से चूड़ियाँ एवं अन्य सामान बनाना, साबुन, रंग एवं वार्निश बनाना आदि।
  8. अन्य उद्योग- जैसे; हस्तनिर्मित काग़ज़ बनाना, पत्तल बनाना आदि।

अन्य कुटीर उद्योग

भारत के कुछ कुटीर उद्योग एवं उनके वितरण निम्नलिखित हैं -

  1. हथकरघा उद्योग
  2. रेशम उद्योग
  3. ऊनी वस्त्र उद्योग
  4. मधुमक्खी पालन
  5. चमड़ा उद्योग
  6. गुड़ तथा खांडसारी उद्योग
  7. दियासलाई उद्योग

सरकारी संस्थाऐं

वैसे तो कुटीर उद्योगों का विकास राज्य सरकारों के अधीन होता है किन्तु केन्द्र सरकार द्वारा भी राज्य सरकारों के सहयोग के लिए कुछ संस्थाओं की स्थापना की गयी हैं, जो इस प्रकार हैं-

  1. कुटीर उद्योग बोर्ड - 1948
  2. केन्द्र सिल्क बोर्ड - 1949
  3. अखिल भारतीय हथकरघा बोर्ड - 1953
  4. अखिल भारतीय हस्तकला बोर्ड - 1953
  5. अखिल भारतीय खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड - 1854
  6. लघु उद्योग बोर्ड - 1954
  7. नारियल जटा परिषद
  8. केन्द्र विक्रय संगठन - 1856 (मुख्यालय - चेन्नई)


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख