माधोसिंह: Difference between revisions
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*1748 ई. में [[बालाजी बाजीराव|बालाजी राव]], ईश्वरीसिंह और माधोसिंह का झगड़ा निपटाने के लिए [[जयपुर]] पहुँचा। उसने ईश्वरीसिंह से उसके राज्य के चार ज़िले जबरदस्ती माधोसिंह को दिलवा दिए। | *1748 ई. में [[बालाजी बाजीराव|बालाजी राव]], ईश्वरीसिंह और माधोसिंह का झगड़ा निपटाने के लिए [[जयपुर]] पहुँचा। उसने ईश्वरीसिंह से उसके राज्य के चार ज़िले जबरदस्ती माधोसिंह को दिलवा दिए। | ||
*ईश्वरीसिंह ने 1750 ई. के [[दिसम्बर]] में आत्महत्या कर ली। | *ईश्वरीसिंह ने 1750 ई. के [[दिसम्बर]] में आत्महत्या कर ली। | ||
*राजस्थान की राजधानी जयपुर में ऐतिहासिक '[[ईश्वर लाट]]' स्थित है। माना जाता है कि महाराज ईश्वरीसिंह ने अपने सौतेले भाई माधोसिंह पर विजय प्राप्त करने पर यादगार स्वरूप इसे बनवाया था। | *[[राजस्थान]] की राजधानी [[जयपुर]] में ऐतिहासिक '[[ईश्वर लाट]]' स्थित है। माना जाता है कि महाराज ईश्वरीसिंह ने अपने सौतेले भाई माधोसिंह पर विजय प्राप्त करने पर यादगार स्वरूप इसे बनवाया था। | ||
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माधोसिंह जयपुर, राजस्थान के सवाई जयसिंह का छोटा पुत्र था। राजगद्दी के अधिकार को लेकर उसका अपने बड़े भाई ईश्वरीसिंह से बैर था। सवाई जयसिंह की मृत्यु 23 सितम्बर, 1743 ई. में हो गई। इसके बाद उदयपुर की राजकुमारी से उत्पन्न उसके छोटे पुत्र माधोसिंह ने पुष्कर नामक स्थान पर हुए समझौते के अनुरूप जयपुर की राजगद्दी पर अपने अधिकार की घोषणा कर दी।
- माधोसिंह की घोषणा का समर्थन उदयपुर के राणा जगतसिंह ने किया।
- ईश्वरीसिंह ने बड़ी फुर्ती से माधोसिंह से पहले ही राजगद्दी पर अधिकार कर लिया और दिल्ली के बादशाह की ओर से उसे जयपुर के राजा के रूप में मान्यता भी मिल गई।
- सिंधिया तथा होल्कर ईश्वरीसिंह के समर्थक पहले से ही थे। इस स्थिति में ईश्वरीसिंह और माधोसिंह के बीच युद्ध ठन गया, जो बीच-बीच में रुककर लगभग सात वर्ष तक चलता रहा।
- मार्च, 1747 ई. में बनास नदी के किनारे ईश्वरीसिंह ने शानदार विजय प्राप्त की और मराठों को खुलकर लूटपाट करने का अवसर मिला।
- इसी बीच राणोजी सिंधिया की मृत्यु के बाद जयप्पा सिंधिया तथा मल्हारराव होल्कर में अनबन हो गई। इससे मल्हारराव होल्कर माधोसिंह के पक्ष में चला गया।
- 1748 ई. में बालाजी राव, ईश्वरीसिंह और माधोसिंह का झगड़ा निपटाने के लिए जयपुर पहुँचा। उसने ईश्वरीसिंह से उसके राज्य के चार ज़िले जबरदस्ती माधोसिंह को दिलवा दिए।
- ईश्वरीसिंह ने 1750 ई. के दिसम्बर में आत्महत्या कर ली।
- राजस्थान की राजधानी जयपुर में ऐतिहासिक 'ईश्वर लाट' स्थित है। माना जाता है कि महाराज ईश्वरीसिंह ने अपने सौतेले भाई माधोसिंह पर विजय प्राप्त करने पर यादगार स्वरूप इसे बनवाया था।
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